दोस्त की दादी की चुदाई

नमस्ते दोस्तों मैं राहुल आज मैं जो कहानी सुनाने जा रहा हूं। वो मेरी और मेरे दोस्त सुनील की है। दरअसल मैंने और मेरे दोस्त ने उसकी दादी को चोद दिया था।

दोस्त की दादी की चुदाई

चलिए मैं आज आपको सब कुछ शुरू से बताता हूं। सुनील और मैं स्कूल के दोस्त थे। हमनें अपनी सारी पढ़ाई एक साथ ही की है। अब हम कॉलेज में आ चूके थे। अब हम जवान हो चुके थे।

हमदोनो में जवानी का खुमार ऊं चढ़ा था की मैं और वो हर अच्छी बुरी आदतों का शिकार बन चुके थे। जैसे लड़कियों और मैच्योर औरतों को ताड़ना उनके अंगों को घूरना हमें लड़कियों से ज्यादा आंटीयो और भाभियों में रुचि होने लगी थी।

मैं और सुनील राह चलती हर औरत चाहे वो किसी भी उम्र की हो बिना देखे नही गुजरते थे। बड़े उम्र की औरतें अपने पल्लू पर ज्यादा ध्यान नहीं देती है। इसलिए कभी कभी हमें उनकी चुचियों के गहरी और ऊंची चोटी की उभार देखने को मिल जाया करती थीं।

एक शाम को सुनील ने कहा की चलो आज रात को बीयर पीते हैं। मैंने कहा ठीक है लेकिन कहां पियेंगे तो उसने झट से बताया की उसके घर में अभी सिर्फ उसकी दादी है। बाकी के सब लोग 2 दिनों के लिए गांव गए है।

मैंने उससे कहा तुम्हारी दादी तो है न । तो उसने कहा अरे दादी की फिक्र मत करो वो अपने टाइप की है। पहले तो मुझे उसकी ये बात समझ नही आई। लेकिन मैंने उसकी दादी के बारे में सुना था की वो अपने जवानी के दिनों में मोहल्ले का हर लंड खा चुकी थी।

लेकिन वो मेरा दोस्त था। मुझे उसके या उसके घर के बारे में कुछ भी गलत सुनना पसंद नहीं आता था। रात को मैं और सुनील 4 बोतल बियर लेकर उसके घर आ गए। मैं और सुनील उसके कमरे में बैठकर बियर पीते हुए इधर उधर की बातें करने लगें।

जब मैंने अपनी दूसरी बोतल खत्म की तो मुझे नशा होने लगा। तभी सुनील ने पूछा राहुल भाई और कुछ लाऊं क्या? मैंने उससे मजाक में कहा सब ठीक है अगर रात के लिए कोई माल मिल जाता तो मजा आ जाता।

उसने मेरी बात पर हंस दिया और फिर थोड़ी देर बाद कुछ सोंचने के बाद अचानक से बोल पड़ा की मिल जायेगा माल। लेकिन थोड़ा पुराना है चलेगा। मैंने नशे में कहा हां यार बस छेद होनी चाहिए।

उसने कहा पर तुम किसी को बताओगे तो नही न मैंने पहले सोचा फिर मैंने उससे जवाब दिया की नही यार नही बताऊंगा। फिर वो एकदम से उठकर कमरे से बाहर गया। थोड़ी देर बाद वो उस कमरे में अपनी दादी को लेकर आया।

मैं उसकी दादी को देखते ही झट से उठकर खड़ा हो गया और बीयर की बोतलों को अपने शरीर से छुपाते हुए। उसकी दादी को देखता रहा। उसकी दादी भी मुझे अपने होठों पर मुस्कान लिए देख रही थी। तभी सुनील ने कहा दादी आप बिस्तर पर बैठो। फिर सुनील ने मुझसे कहा की राहुल तुम इसी कमरे में सो जाओ और मैं दुसरे कमरे में सोने जा रहा हूं।

मुझे उसकी बात समझ नही आई एक तो वो अपनी दादी को लेकर इस कमरे में आ गया फिर मुझे इस कमरे में सोने को कहकर खुद यहां से जा रहा है। मुझसे ये कहते हुए ही राहुल कमरे को छेड़कर जानें लगा। मैंने पीछे से उसे सुनील सुनील … कहकर रोकने की कोशिश कर ही रहा था।

तब तक पीछे से सुनील की दादी की आवाज आई राहुल रुको न … वो क्या करेगा यहां। उनकी बातें सुनने के चक्कर में सुनील कमरे से निकल गया। उसकी दादी ने कहा राहुल यहां आओ बैठो मेरे पास… वो मीठी और नखरीली आवाज में बोलीं।

मैं उनकी बात सुनते ही उनके पास बिस्तर पर अपनी नजरें झुकाए बैठ गया। वो मेरे पास एकदम कमर से कमर सटा कर बैठ गई। मैं शर्म और घबराहट के मारे अपनी नजरें नही उठा पा रहा था।

वो एक 55 से 60 साल की औरत थी मैंने उसके बारे में ऐसी कल्पना भी नहीं की थी की मैं या वो एक दूसरे के साथ। लेकिन जब मैंने अपनी तिरछी नजर से उनकी ओर देखा तो मैं हैरान हो गया। उन्होंने अपनी ब्लाउज के सारे हुक खोल रखे थे। उनकी दोनों बड़ी बड़ी चूचियां नंगी झूल रही थी।

जैसे ही मैंने उनकी चुचियों को देखा उन्होंने एक हाथ से मेरे चेहरे पकड़ लिया और बड़े प्यार से बोली देखो तुम्हारे लिए ही तो खोला है मैंने मुझे उस वक्त बहुत शर्म आ रही थी। कुछ देर के लिए तो मैंने अपनी पलके झपका लीं। लेकिन उन्होंने अपने दूसरे हाथ से अपनी एक चूंची को पकड़कर निप्पल को मेरे होठों पर सटा दिया।

कुछ देर तक तो वो मेरे होठों पर अपनी काली निप्पल को रगड़ती रही। अब मेरी सब्र का बांध उखड़ चुका था। मैंने अपनी आंखें खोली और हल्का सा अपने दोनों होठों को खोला। उनकी निप्पल मेरे होठों के बीच आ गई।

मैंने तमीज से उनकी निप्पल को अपने होठों से दबा दिया। तभी उनके मुंह से आन्ह्ह्ह ह ह ह ह…… की मधुर आवाज निकली। अब मेरी सारी शर्म हवा हो चुकी थी। मैं उसकी चूची चूसने और पीने लगा।

मैं उनकी एक चुंची को पीते हुए उनकी दूसरी चूंची को दबा रहा था। साथ ही अपने सर से उनको बिस्तर पर धक्का देकर दबा भी रहा था। वो अब बिस्तर पर लेट गई। मैं उनके उपर चढकर उनकी दोनों चूचियों को खूब मसल मसलकर चूस रहा था।

अब मेरा लौड़ा फटने को तैयार था। मैं और वो इतना जोश में आ चुके थे की पता ही नही चला की कब मैंने अपना हाथ उनकी साड़ी में डाल दिया। मैं अपनी दो उंगलियों को उनकी बुर में डालकर उनकी बुर को खंगाल रहा था।

वो मेरे सर को पकड़कर आन्ह्ह… आन्ह्हह… ओह्ह्ह… माआआ… उम्म्ह्ह्ह…. करे जा रही थी। उन्होंने भी मेरी लोअर में हाथ डाला और मेरे मोटे लौड़े को अपनी मुट्ठी में लेकर मुठ देने लगी। उनकी मुट्ठी में आते ही मेरे लौड़े में शैतान की आत्मा घुस गई।

मैं और मेरा लंड इतना जोश में आ गए थे। पहली बार मेरे लौड़े के कभर वाली चमड़ी अपने आप सुपाड़े के उपर से हट जा रही थी। मैंने फुर्ती दिखाते हुए सुनील की दादी की साड़ी जैसे तैसे खोल दी। फिर मैंने उनका पेटीकोट खोलना चाहा।

लेकिन उनकी पेटीकोट उनकी कमर पर पूरी टाईट थी जो मुझसे उतर नही रही थी। मैंने समय बचाने के लिए उनकी पेटिकोट को फाड़ के उनके कमर पर से नोंच के दूर फेंक दिया।

अब वो मेरे सामने पूरी की पूरी नंगी हो बिस्तर पर पड़ी थी। मैं किसी भूखे भेड़िए की तरह उनकी बुर को देख रहा था। उस वक्त मेरी नजर उनकी सुडौल जांघों और जांघों के बीच छुपी हुई उनकी बुर से हट नही रही थी।

मैं अपने एक हाथ से उनकी जांघ और उनकी बुर के उपर के काली घनी झांटों को सहलाने लगा। मेरे हाथ के स्पर्श से उनके बदन में करंट लग रहा था। मैं जब जब उनकी बुर और उनकी जांघों को सहलाता तब तब वो बिदक रही थी।

मैंने अपने सारे कपड़े उतार कर फेंक दिए। मैंने अपने ताव चढ़े लंड को अपनी मुट्ठी में लिया और सुनील की दादी को मन ही मन अपने लंड को दिखा कर धौंस जमाने लगा।

मैंने तुरंत उनके दोनों पैरो के ऐडियो को पकड़ा और उनकी दोनों टांगों को ऊपर उठाकर उसके दोनों घुटनों को उनकी चुचियों पर दबा दिया। मैंने एक हाथ से उनकी टांगों को ऊपर करके पकड़े हुए था।

फिर मैं उनकी गांड़ के पीछे बैठ गया और एक मुट्ठी में अपना लंड पकड़े उनकी दोनों जांघों के बीच दबी सिकुड़ी उनकी बुर में अपना मोटा लंड डालने लगा। जैसे ही मेरे लंड का सुपाड़ा उनकी बुर में घुसा मैंने अपना हाथ अपने लंड पर से हटा लिया।

फिर उनकी दोनों टांगों को अपने एक साइड के कंधे पर टांग दिया। मैंने अपने दोनों हाथों को बिस्तर पर जमा दिया और अपनी कमर को अपने घुटने के सहारे हवा में रखा।

अब मैं उनकी बुर को चोदने की पोजीशन ले चुका था। मैंने एक झटके में अपनी कमर उनकी गांड़ पर दबा दी। मेरी कमर उनके गांड और जांघ पर चिपक चुकी थी। उस दबाओ के कारण सुनील की दादी चीख पड़ी।

अभी भी मेरा लंड पूरा उनकी बुर में नही गया था। सुपाड़े से एक इंच के पीछे का हिस्सा ही उनकी बुर में घुसा था और लंड के आगे का बाकी का हिस्सा मेरी कमर के भार के कारण मुड़कर मेरी कमर और उनकी जांघों पर दबा हुआ था।

लेकिन मैं वैसे ही रुका रहा। मेरा लंड बहुत टाईट हो चुका था। मेरा लंड धीरे धीरे सीधा होने की कोशिश में रेंगते रेंगते उनकी बुर में जबर्दस्त रगड़ के साथ धीरे धीरे अंदर घुस रहा था। सुनील की दादी को थोड़ा दर्द हो रहा था। वो मुझे आहिस्ते आहिस्ते घुसाने को बोल रही थी।

लेकिन मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। 5 मिनट में मेरा मोटा लंड रेंगते हुए उनकी बुर में पूरा सरक गया था। अब बस मुझे उनकी बुर में धक्के मारने की जल्दी थी। तो मैंने अपनी कमर उपर उठाई और अपना मोटा और सफ़ेद पानी से गीला लंड उनकी बुर में से थोड़ा बाहर निकाला।

सुनील की दादी की बुर का पानी तब ही निकल चुका था जब मेरा लंड धीरे धीरे रेंगता हुआ उनकी बुर में समा रहा था। मैंने आधा लंड उनकी बुर से बाहर खींच लिया था। अपने जोश को काबू करके मैं धीरे धीरे अपना लंड उनकी बुर में अंदर बाहर धकेल रहा था।

फिर भी उनको मेरे लंड की मोटाई के कारण उनकी बुर में मेरा लंड टाईट जा रहा था। जिससे उनको दर्द हो रहा था। वो आह.. आह… राहुल जरा आराम से आह… ईशस्स… मैं थोड़ी देर के लिए उनकी बुर में लंड डालें रुक गया।

5 मिनट बाद उनको थोड़ी राहत मिली तो उन्होंने खुद कहा की अब करो लेकिन आराम से। मैंने उनकी दोनों टांगों को अपने कंधों से हटा दिया और सीधा करने को कहा। ताकि उनको अब दर्द न हो फिर उन्होंने अपनी दोनों टांगें बिस्तर पर सीधी कर ली और फैला दी।

मैं उनकी दोनों जांघों के बीच उनकी बुर में लंड दिए अपनी कमर को उनकी कमर पर रखकर सुनील की दादी पर लेट गया। फिर से मैंने उनको थोड़ा गरम करने के लिए उनके दोनों दूध को अपने होठों में भर लिया और उनकी दोनों चूचियों के काले लंबे निप्प्लों को बछड़े की तरह चूस चूसकर लंबा करने लगा।

वो अब एक अलग आवाज में कराह लेने लगी। साथ ही वो अपने हाथों से मेरे गालों को छू रही थी और अपनी छाती उठा उठाकर अपने दूधो को मेरे मूंह पर दबा रही थीं। नीचे से उनकी बुर पानी पानी हो रही थी। अचानक से मैं उनकी चुचियों पर से अपना मुंह हटाकर उनके होठों के तरफ लपका।

मैं उस वक्त उनके उपर चढकर लेटा हुआ था। जैसे ही मैंने अपना शरीर उपर सरकाया। मेरा मोटा लंड सुनील की दादी की बुर में घुस गया। वो अचानक से ज़ोर से विलापने लगी। मेरा लंड बिना कोई संकेत दिए उनकी बुर में गया था। जिससे उनकी बुर का और पानी निकल गया।

अब उनकी बुर में चटचटाहट थी और उनकी बुर गीली थी। मैं उनके उपर अपना बदन उपर नीचे सरकाकर रेंगने लगा। जिससे मेरा लंड उनकी बुर के अंदर बाहर होने लगा। अब उन्हें चुदवाने में मजा आ रहा था। वो अब कराहें नही मादक आवाज में आंहे भर रही थी।

अब मैं पूरी रफ्तार में अपने लंड को उनकी बुर में चलाने लगा। कुछ देर बाद हो फिर से झड़ गई और शांत पढ़ने लगी। लेकिन मैं उनकी बुर में लंड डालकर उनकी बुर में चढ़ता रहा। आखिरकार सुनील की दादी ने कह दिया की राहुल जरा सांस लेने दो और तुम भी आराम कर लो।

मैंने कहा नही अब रुक गया तो फिर जल्दी नही निकलेगा मेरा। मैंने बियर पी रखी थी उसके कारण मैं जल्दी झड़ नही रहा था। करीब वैसे ही सुनील की दादी की बुर में अपना मूसल जैसा लंड डालता रहा। अब मैं झड़ने वाला था। तो मैंने उन्हें बताया की मैं झड़ने वाला हूं। उन्होंने कोई जवाब नही दिया।

तो मुझे लगा की वो अपनी बुर में माल निकलवाने को तैयार है। मैंने हाँफते हुए 3 से 4 धक्के उनकी बुर में दिए और आह आह करते हुए उनकी बुर में झड़ गया। मेरे लंड का सारा गाढ़ा माल उनकी बुर में झड़ गया था।

फिर मैंने अपना लंड उनकी बुर से निकाला। मेरा लंड ऐसा लग रहा था की मानो किसी सफ़ेद गोंद में लिपटा हुआ हो। सुनील की दादी वैसे ही कुछ देर लेटी रही फिर उन्होंने एक कपड़े से अपनी बुर साफ की और फिर से चैन से आंह भरकर बिस्तर पर नंगी लेट गई।

लेटे हुए उन्होंने मुझसे बातें करनी शुरू कर दी। मैं भी बिस्तर के किनारे बैठकर उनकी बातें सुनने लगा। उन्होंने कहा की राहुल मेरे बारे में लोग क्या कहते है तुमने तो सुना ही होगा। मैंने अपने जवानी के दिनों में बहुत ऐश किया है क्या करती जवानी में ही पति छोड़कर उपर चला गया।

उस वक्त मैं मौहल्ले के हर मर्द के साथ सोई। लेकिन आज तक मुझे तुम्हारे जैसा मोटे लंड वाला मर्द नही मिला। तुम पहले ऐसे मर्द हो जिसने तीन बार मेरा पानी निकाला। बाकी सब तो अपनी भूख 5 मिनट में मिटाकर चले जाते थे। मैं भूखी की भूखी रह जाती थी।

काफ़ी देर ऐसी बातें हुई। फिर मैंने अपने कपड़े उठाए और पहनने वाला ही था की सुनील की दादी चौंक कर बिस्तर पर बैठी और बोली राहुल बस हो गया। मैं सोंच रही थी तुम्हें और चाहिए इसलिए तुम बैठे हो। मैंने कहा मुझे तो चाहिए लेकिन मैंने सोचा आप दोगी या नहीं?

इसलिए मैं जा रहा था और मैंने सोचा शायद अब आप मेरे लंड का वार सहन नही कर पाओगी। उन्होंने कहा नही नही.. ऐसी बात नही है। उनकी बातों से लगा की मुझसे ज्यादा चुदाई की इच्छा उनकी है। फिर क्या था अब तो मैं पूरा खुल चुका था। थोड़ी सी भी शर्म नही थी।

मैंने फिर से अपने कपड़े फर्श पर फेंके और उन्हें अपनी बांहों में लेकर बिस्तर पर लिटा दिया। अब दुबारा मैं उनके उपर चढ़ गया। इस बार मैंने धमाकेदार चुदाई की और उनकी गोल मटोल चौड़ी गांड में अपना मूसल लंड दे दिया। उनकी चींख सुनकर आधी रात को सुनील दौड़कर कमरे में आ गया।

लेकिन जब उसने मेरा लंड अपनी दादी की गांड में घुसा हुआ देखा तो मुस्कुराता हुआ वापस चला गया। सुबह तक मैं बारी बारी से सुनील की दादी की बुर और गांड को चोदता रहा। अंत में वो इतनी बार झड़ चुकी थी की चुदाई के दौरान कमजोरी से बेहोश हो गई।

सुबह मैंने और सुनील ने उनको जूस पिलाया और उनके बदन को पोंछ पाछ पर साफ कर दिया। उसके बाद मैं अपने घर चला आया। दोपहर में सुनील मेरे पास आया तो मैंने उससे पूछा की सुनील तुम्हारी दादी कैसी है। तो उसने कहा यार तुमने कैसे चोदा की वो अभी भी बिस्तर पर नंगी बेसुध पड़ी है।

उनको नंगा देखकर मेरा भी मुड़ कर गया मैंने भी दो राउंड उनकी चुदाई कर दी। तुमने पता नही उनको गांड मरवाने को कैसे मना लिया। मुझे तो वो साफ मना कर देती थी। लेकिन तुम्हारी वजह से मुझे उनकी गांड चोदने को मिली।

सच बताऊं तो उनकी गांड अभी भी टाइट है और उनकी बुर से ज्यादा उनकी गांड मारने में मजा है। तो दोस्तों ये थी मेरे दोस्त की दादी की चुदाई की सच्ची कहानी। उम्मीद है कि आप सभी को पसंद आई होगी।

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