छोटी बहन की चुत चुदाई

आज मैं जो कहानी आप सभी को बताने जा रहा हूं। दरअसल ये बात थोड़ी पुरानी है। इस घटना को बीते 5 साल हो चुके हैं। इस कहानी के माध्यम से मैं आप सभी को बताने वाला हूं की मैंने कैसे अपनी छोटी बहन ( मौसी की लड़की ) को पहली बार चोदा था।

छोटी बहन की चुत चुदाई

नमस्कार दोस्तों मैं अनुज भुनेश्वर का रहने वाला हूं। मेरी उम्र अब करीब 25 साल की है। लेकिन जब ये घटना हुई थी उस वक्त मैं 20 या 21 साल का था। मेरी मौसी की लड़की यानी मेरी बहन मुझसे करीब दो साल छोटी है। उस घटना के बाद से मेरी मौसी की लड़की यानि मेरी बहन ने भी मेरे साथ समान्य बर्ताव रखा।

उस रात के बाद उसने कभी मुझे ये एहसास नहीं करवाया या मुझे नीचा दिखाया की मैंने उसके साथ गलत किया है। वो मेरे साथ समान्य ही व्यवहार करती थी। ऐसा लगता था की हमारे बीच कभी कुछ हुआ ही नहीं। लेकिन उस रात के बाद जब तक वो मेरे घर रही तब तक मेरे पास नहीं सोई। अब चलिए मैं आपको सीधा आज की कहानी पर ले चलता हूं।

5 साल पहले जब मेरे बड़े भाई की शादी हो रही थी। तब मेरी मां ने मौसी और उसके घर वालों को कुछ दिन यानी शादी के 15 दिन पहले ही आने को कहा था। क्योंकि मां को शादी के शॉपिंग में थोड़ी आसानी हो। लेकिन कुछ कारण वश मौसा जी नही आ सके और उन्होंने मौसी और अपनी बेटी को पहले ही भेज दिया।

मौसी अब हमारे घर आ चुकी थी। मौसी और बहन के आने पर सभी खुश थे। एक दो दिन तो वैसे ही निकल गए। अब हमारा घर बहन और मौसी के आने से भरा भरा लगने लगा था। एक दिन मेरी बहन ने कहा की भईया मुझे समुंदर घूमना है। आप सभी चलो ना सब समुंदर घूमकर आयेंगे।

तो मेरी मां और मौसी ने शादी के काम के चलते मना कर दिया मेरे बड़े भाई ने भी मना कर दिया। लेकिन बहन का उदास चेहरा देख सभी बोले की अनुज तुझे समुंदर घुमा लायेगा। मैंने भी हां कर दी इससे मेरी बहन भी खुश हो गई। अगले दिन मैं उसे समुंदर घूमाने ले गया।

अब तक मेरी मन में उसके लिए कोई गलत विचार नहीं थे। वो खुले समुंदर के किनारे को देखकर एकदम खुश हो गई। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। वो पानी की ओर भागने लगी और पानी में खड़े होकर कूदने लगी। मैं भी उसके पास गया। तब तक पीछे से एक बड़ी सी लहर आई। पानी के लहर के दबाव के कारण वो पानी में गिर गई और पूरी गीली हो गई।

जब वो उठी तो मेरी नजर अब बदल चुकी थी। मैं उसके गीले कपड़ों में से उसकी वि शेप की उसकी बैंगनी चड्डी देख रहा था। उसके सफ़ेद गीले कपड़े उसके अंदर गारमेंट्स को छुपा नहीं पा रहे थे। उसका सफ़ेद पैंट भींगने की वजह से उसकी कमर और टांगों पर एकदम चिपक गया था। मैं उसकी बैंगनी चड्डी को देखते देखते उसकी गोरी गोरी टांगों को देखने लगा।

उसकी टांगें एकदम जिम जाने वाली लड़कियों की तरह टाईट और शेप में थी और बहुत सैक्सी लग रही थी। तभी उसने कुछ कहा और मेरा ध्यान उसकी टांगों पर से हटा और उसके चेहरे की तरफ गया। तो मैं उसे देखता ही रह गया। उसकी सफ़ेद कमीज उसके सीने और पेट से एक दम चिपक गई थी। उसकी बैंगनी रंग की ब्रा की शेप खिलकर बाहर आ रही थी।

मुझे उसकी गोरी गोरी चुचियों के उभार साफ दिखाई दे रहे थे। उसकी दोनों चुचियों के बीच सीधी गहरी खाई साफ नजर आ रही थी। उसे गीले कपड़ों में देखकर मेरे लंड सनक गया। वो बिल्कुल काम देवी की तरह लग रही थी। मेरा लंड बिलकुल टाईट हो गया था। मैंने भी थोड़ा उसे समझ न आए जितना चांस लिया।

मैं पूरे बीच पर उसके कंधों तो कभी उसका हाथ अपने हाथ में लेकर इधर उधर घूमता रहा और मौका पाकर किसी बहाने कभी उसकी गांड़ को छूता, तो कभी उसकी चूंची को साइड से अपनी कोहनी से दबाता। तो कभी अपना हाथ उसकी गीली कमर पर रखता। मैंने उसे घुमाते घुमाते शाम कर दिया।

मुझे भी उसका साथ अच्छा लग रहा था और पता ही नही चला की कब शाम हो गई। मैं उसे लेकर घर आया तो शाम के 7 बज रहे थे। उस वक्त मेरा भाई मामा के घर अपनी शादी का इन्विटेशन देने गया था। मां और मौसी दिनभर शॉपिंग करके थके हुए थे। हमारे घरआने के कुछ देर बाद मां और मौसी एक कमरे में सो गए।

मेरी बहन कपड़े चेंज करके मेरे कमरे में आ गई। फिर हम दोनों दिन भर की बातों में उलझ गई। वो भी आज थकी हुई थी। लेकिन उसकी समुंदर घूमने की खुशी इतनी थी की उसकी मन से समुंदर की यादें जा ही नहीं रही थी और मेरे मन से उसका गीला बदन और उसकी बैंगनी चड्डी और ब्रा नही जा रही थी।

मैं उसकी बातें सुनते हुए पता नही कब सो गया। बीच रात में जब मेरी आंख खुली तो मैंने देखा मेरी बहन बिलकुल मेरे बगल में सोई हुई थी। उसकी पीठ मेरी तरफ थी और उसने अपनी दोनों टांगों को आगे कर मोड़ रखा था। जिससे उसकी गांड़ का उभरा हुआ आकार मुझे साफ दिखाई पड़ रहा था। उसकी गांड़ का आकार देखते ही मेरा लंड तूरंत तैयार हो गया।

अब मेरे मन में उसको चोदने के ख्याल आने लगे। मैंने अपना एक हाथ उठाया और हल्के से उसकी कमर पर रखा। जब उसने कोई हरकत नहीं की तो मेरी हिम्मत बढ़ गई। अब मैंने अपनी एक टांग ऊपर उठाई और एक बार में ही अपनी कमर से उसकी गांड़ को ढकते हुए अपनी टांग उसकी टांग पर रख दी।

अब मेरा लंड उसकी गांड़ पर दब रहा था और मेरे शरीर के आगे का हिस्सा उसके बदन के पीछे पीठ से लेकर उसकी कमर तक चिपका हुआ था। अब मुझे समझ नहीं आ रहा था की इसे चोदू कैसे तभी एक उपाय सूझा। मैंने अपनी जिस जांघ को उसके टांग पर चढ़ाया था। उसे खुजाने के बहाने से मैंने उसके पैंट को नीचे करने का सोचा।

मैंने वैसा ही किया मैं अपनी जांघ को खुजाने के बहाने से धीरे धीरे करके उसकी पैंट नीचे करने लगा। उसने अब तक कोई हरकत नहीं दिखाई थी। बीच बीच में मैं अपनी टांग खुजाता और धीरे से उसकी पैंट नीचे करता। कुछ देर बाद उसकी पैंट उसकी चूतड़ों के नीचे हो गई। लेकिन अभी भी उसकी चड्डी नहीं उतरी थी।

मैंने हल्का सा पीछे होकर देखा तो मुझे दिखा की उसकी चड्डी उसकी गांड़ के साइज से छोटी है पैंट नीचे होते ही उपर से उसकी गांड़ की दरार दिखाई दे रही थी। मैंने उसकी गांड़ की दरार में बिना उसे छुए अपनी एक उंगली घुसाई और उसकी चड्डी को अपनी उंगली से अलगा कर धीरे धीरे नीचे करना शुरु किया।

कुछ ही देर में उसकी गांड़ से आधी चड्डी उतर गई। अब मुझे उसकी गांड़ की आधी दरार साफ नजर आ रही थी। मैं हल्का सा पीछे हुआ और अपना खड़ा लंड अपनी पैंट से बाहर निकाल कर उसकी चड्डी के अंदर घुसाकर उसकी गांड़ की दरार में डाल दिया। अब उसकी चड्डी की रबड़ मेरे लंड को उसकी गरम गांड़ की दरार में दबाने लगी।

मेरा लंड उसकी गांड़ से सटते ही मुझे उसकी गांड़ की गरमी का एहसास होने लगा। मैं धीरे धीरे अपने लंड को आगे पीछे धकेलने लगा। मेरा लंड उसकी गांड़ की दरार में रगड़ खाता हुआ आगे पीछे होने लगा। कभी मेरा लंड आगे जाकर उसकी जांघों के बीच पहुंचता। तो कभी उसकी चुत के उभार को रगड़ता।

जब मेरा लंड उसकी चुत को छू रहा था। तब मेरे बदन में एक अलग ही फूर्ति समा रही थी। मेरे लंड से निकलते लार जैसे पानी से उसकी चुत के उपर और उसकी जांघों के उपर चिपचिपी फैल गई थी। अब मुझसे रुका नही जा रहा था। मैंने अंजाम की परवाह न करते हुए। ताकत के साथ उसकी चड्डी को उसकी गांड़ के उपर से नीचे कर उसकी जांघों तक खींच दिया।

लेकिन वो अब भी पहले की तरह ही मेरी तरफ अपनी पीठ करे अपनी दोनों टांगों को आगे मोड़े सो रही थी। मैंने अपना लंड पकड़ा और आखिरी बार पकड़े जानें के अंजाम को भुगतने के लिए खुद को तैयार किया। फिर बिना डरे अपने लंड को उसकी चुत के छेद वाली जगह पर टिकाया।

फिर मैंने उसकी कमर पर अपना एक हाथ रखा और अपनी कमर को थोड़ा आगे किया। लेकिन मेरा लंड उसकी चुत में घुसने के बजाय उसके चुत के दाने की तरफ निकल गया। उसकी दोनो जांघें आपस में सटी हुई थी। जिस वजह से उसकी चुत का छेद दब गया था। मेरे लंड के धक्के से उसकी चुत का छेद नही खुला। जिस कारण मेरा लंड उसकी चुत में जाने के बजाय बाहर हो गया।

मैंने फिर अपना लंड पकड़ा और उसकी चुत की छेद वाली जगह पर टिकाया। उसकी चुत तो किसी गरम चूल्हे जैसी धधक रही थी। जो मेरे सब्र को तोड़ रही थी। लेकिन मैंने फिर कोशिश करते हुए एक धक्का मारा और मेरा लंड फिर से बाहर ही रह गया।

मैंने तीसरी बार फिर अपना लंड पकड़ा और जैसे ही उसकी चुत की छेद वाली जगह पर लगाया। उत्तेजना के मारे वहीं भर भराकर मेरा माल निकल गया। मेरे लंड से निकले वीर्य से मेरी बहन का चुत ढक गया और उसके चुत के चारों ओर चिपचिपी फैल गई।

अब मुझे थोड़ा हल्का लग रहा था। झडने के बाद मैं अपनी बहन की चुत को निहारने लगा। आख़िर क्यों मेरा लंड अंदर नही जा रहा। उसकी चुत को देखते ही मेरे लंड में फिर से जान आने लगी। मैंने हल्का सा उसकी उपर वाले जांघ को उठाया और देखा की उसकी चुत का छेद खुल रहा था।

मैं फिर पोजिशन में आ गया और इस बार मैंने उसकी गांड़ की दरार में हाथ डाला और उसकी उपर वाली चूतड़ को हल्का सा उपर उठा लिया। फिर मैंने अपना लंड उसकी चुत की छेद वाली जगह पर लगाया। सब सेट होने के बाद मैंने एक हल्का सा धक्का मारा जिससे मेरे लंड का अगला हिस्सा उसकी तंग ( टाईट ) चुत के भीतर हो गया।

अचानक मेरी बहन करवट लेते हुए मुझसे दूर हुई और मुझे देखने लगी। उसकी नींद खुल गई थी। शायद मेरा मोटा लंड उसकी चुत में घुसते ही उसे एहसास हो गया और वो जाग गई। मैं एक दम से डर गया और वो अपनी आंखें बड़ी बड़ी किए मुझे और मेरे नंगे लंड को देख रही थी।

वो मुझसे कुछ कहती उससे पहले मैंने ही कहा बहन प्लीज एक बार.. एक बार प्लीज.. फिर कभी नही कहूंगा… बस एक बार दे दे… मैं अपना हाथ उसके हाथ पर रखते हुए कहने लगा। अब उसकी बड़ी आंखे नॉर्मल हो गई थी। वो एक टक बिस्तर पर देखे जा रही थी।

मैं किसी भूखे भिखारी की तरह उससे उसकी चुत मांग रहा था। प्लीज बहन एक बार दे…. दे… लास्ट बार दे.. एक बार थोड़ी देर में हो जायेगा प्लीज…. । उसके बाद शायद वो मेरी बात और मेरी गिड़गिड़ाहट पर पिघल गई। वो चुपचाप अपना चेहरा नीचे किए हुए पेट के बल लेट गई।

न ही उसने कुछ कहा न ही अपनी गांड को ढका वो वैसी ही खुली पैंट और आधी उतरी चड्डी में अपनी गांड़ उपर किए लेट गई। मैंने उसे उसकी हां समझा। मैंने अपनी पैंट खोली और एक दो बार अपने लंड को सोटा और बहन के बदन पर लेट गया। जैसे चंदन के पेड़ से सांप लिपटता है।

मैं उसकी पीठ और कमर पर अपने शरीर का सारा भार डालकर अपना लंड उसकी गांड की दरार में घिस रहा था। मैंने उसके उपर लेटे हुए ही उसकी चड्डी समेत उसकी पैंट भी उसके घुटनों तक नीचे कर दी।

फिर मैंने अपने टांगों से उसकी टांगें फैलाई और अपना लंड उसकी चुत की छेद पर रखकर धीरे धीरे अपना लंड उसकी चुत में दबाने लगा। वो अपना मुंह दाबकर भईया… भईया… दर्द हो रहा है.. आह. आह. की आवाज में अपना दर्द बयां करने लगी।

मैंने कहा ठीक हो जायेगा थोड़ी देर रुको मैं अपना लंड धीरे धीरे उसकी चुत में दबाता रहा। कुछ देर में मेरे लंड का अगला मोटा हिस्सा उसकी चुत में घुस गया। अब मेरा आधा लंड उसकी चुत में जा चुका था। मैंने थोड़ी देर के लिए उसकी चुत में दबाव डालना रोक दिया। उसके भी आराम मिल रहा था। वो चुपचाप मेरे नीचे पड़ी थी।

10 मिनट के बाद मैंने आधे लंड को ही उसकी चुत के अंदर बाहर करना शुरू किया। वो कभी आह.. आआ.. की आवाज में कराहती तो कभी उसके मुंह से आनंदमय आह.. आ.. ऊ ओ… म्म्म्म… की आवाज निकलती। मैं जब जोश में आकर ज़ोर से उसकी चुत में धक्का मारता तो वो आहाह … आह… कराह कर कहती भईया अब निकाल दो दर्द हो रहा है।

करीब मैं 15 मिनट तक उसी धीमी रफ़्तार में ही उसकी चुत चोदता रहा। उसके बाद मेरा पूरा लंड उसकी चुत में जाने लगा। वो भी मस्ती से मुझसे अपनी चुत चुदवाने लगी। वो भी नीचे से अपनी गांड़ उपर उठाकर मेरा लंड अपनी चुत में मज़े से लेने लगी।

उसके कुछ देर बाद मैं झडने वाला था। तो मैंने अपना लंड उसकी चुत से बाहर निकाल लिया और उसकी गांड़ की दरार में अपना लंड घिसते हुए। उसकी गांड़ पर झड़ गया। मेरा वीर्य उसकी दोनों चूतड़ों से लेकर उसकी गांड़ की दरार में भरा हुआ था। मैं अपने वीर्य को उसकी गांड़ और चुत पर मलने लगा।

उसकी चुत पर अपना वीर्य मलते हुए मैंने अपनी एक उंगली अचानक से उसकी चुत में घुसा दी। जिसपर वो उछल पड़ी और मेरा हाथ पकड़कर मुझे रोकने लगी। लेकिन मैं अपनी उंगली को उसकी चुत के अंदर बाहर करने लगा। मैं फिर से उसका मूड़ बना रहा था।

कुछ ही देर में वो लंबी लंबी सांसे लेने लगी। अब वो तैयार हो चुकी थी। और एक मेरा लंड थकने का नाम ही नही ले रहा था। मैंने बहन को पलटकर सीधा लिटा दिया। फिर मैंने उसकी ब्रा सहित उसकी कमीज को उसकी चुचियों के उपर कर दिया।

फिर मैंने उसकी दोनों टांगों को फैला दिया और उसकी टांगों के बीच बैठते हुए उसके उपर लेटकर उसकी अनछुई कड़क चुचियों को मुठ्ठी में लेकर मसलने लगा। वो आ… आ.. म्म… म्म्म .. की सिसकारियां भरने लगी। फिर मैंने अपना मुंह उसकी चूची पर लगा दिया और उसकी दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूसने लगा।

मैंने गौर किया की उसकी निपल्ले सख़्त होती जा रही थी। फिर मैंने अपना लंड पकड़कर उसकी चुत पर लगाया। एक ही धक्के में आधा लंड उसकी चुत में घुसा दिया। उसने फिर अपना मूंह दबाकर अपनी चिंख रोक ली। फिर मैंने उसकी चुचियों को चूस चूसकर उसे आराम पहुंचाना शुरू किया। कुछ ही देर वो मस्त होकर अपना दर्द भूल गई। तभी मैंने एक और हल्का सा धक्का मारा जिससे मेरा बचा हुआ लंड भी उसकी चुत में घुस गया।

दूसरे धक्के पर भी वो चिंखी लेकिन उसने अपने दोनों होठ आपस में दबा लिए और कसकर मुट्ठी बांधते हुए बिस्तर को खींचने लगी। अब मैंने धीरे धीरे अपना लंड उसकी चुत के अंदर बाहर करना शुरू किया। अब मैं समान्य रफ़्तार में उसकी चुत को चोदने लगा। अब वो अपनी दोनों टांगें हवा में झुलाते हुए। अपनी टाईट चुत चुदवाने लगी।

अब उसे भी मजा आने लगा था। तभी वो अपने दोनों हाथों से मेरे कंधों को पकड़ती। तो कभी अपने दोनों हाथों से मेरे पीठ को सहलाती हुई मुझे और उत्तेजित करती। मैंने अपने दोनों हाथ पीछे की और उसकी गांड़ के नीचे करके उसकी गांड़ पकड़ ली और कस कस कर अपने लंड को उसकी चुत में दबाने लगा।

मैं आज रात उसकी चुत को ढीला करके ही छोड़ने वाला था। क्योंकि जब कभी वो किसी से चुदे तो उसे आज की तरह दर्द न हो और वो मेरे मोटे लंड को जिंदगी भर याद रखें। मैंने नीचे से उसकी गांड़ के दोनों हिस्सों को अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा था और कस कसकर अपने लंड को उसकी चुत में मार रहा था।

पलंग से धम.. धम… चर.. चर की आवाज आने लगी और मेरे कमर की उसकी कमर से टकराने की ठप… ठप आवाजें भी आ रही थी। मैं उसकी चुत में तेजी से लंड अंदर बाहर करता हुआ। कभी उसके गाल तो कभी उसके कान को चाट रहा था। वो मेरे कान के पास ही मेरे धक्कों से बेहाल होकर। आह… आन्ह्ह्ह्ह… आ… आह… कराह रही थी।

मैं उसकी कराहों से और वासना में लिप्त होकर उसकी चुदाई कर रहा था। उसकी कराहों ने मुझे झाड़ना शुरू कर दिया। मैं उसकी चुत में धक्के लगाते हुए ही झडने लगा। मुझे न ही तो उसकी चुत से लंड निकालने का ख्याल आया नही उस वक्त मेरा मन कर रहा था। मैं धक्के पर धक्का मारता रहा। हर धक्के के साथ कुछ वीर्य उसकी चुत में तो कुछ बाहर बिखर रहा था।

उसकी गांड़ मेरे बहते वीर्य से भर चुकी थी और जब मैं अपना लंड उसकी चुत में डालता तो भर्रर की आवाज के साथ वीर्य के फुहारे और छींटे उसकी चुत से छूटते। मैं उसकी चुत चोदते चोदते पूरा झड़ चुका था। जैसे ही मैं उसके उपर से उठा वो उठकर मूतने वाली पोजिशन में बैठ गई और अपनी चुत में गिरा सारा वीर्य निकालने लगी।

उसके बाद मैंने फिर से उसे गरम करना चालू कर दिया। पहले तो वो मना करने लगी। लेकिन बाद में मान गई उस रात मैंने रुक रुककर उसे लगभग 3 से 4 घंटों तक चोदा। सवेरा होने से पहले उसने और मैंने अपने अपने कपड़े पहनें और वो बाहर चली गई। मैं बिस्तर ठीक करके फिर से सो गया। उस पूरे दिन वो और मैं सामने नहीं आए। लेकिन अगले दिन से वो मेरे साथ समान्य व्यवहार करने लगी और मैं भी ऐसा करने लगा की कभी हमारे बीच कुछ हुआ ही न हो।

तो दोस्तों उम्मीद है आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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