चलती गाड़ी में चाची की गांड मारी

हेल्लो दोस्तों,

आपके लिए खास मेरी चाची अनिता की गांड मारने की कहानी पेश कर रहा हूँ और यह कहानी तब की है जब हम ट्रक में चाचा का सामान लाद कर इटारसी जा रहे थे। चलती ट्रक में ही मैंने अपनी चाची की गांड ले ली थी |

मेरे चाचा जी जिनका नाम श्याम है एक कंपनी में काम करते थे और उनकी नई नई शादी हुई थी, उनकी पत्नी अनिता 27-28 साल की होंगी और देखने मे वो बहुत ही पटाखा माल थी, चाचा तो वैसे हमारे ही साथ यही इंदौर में रहेते थे पर..

अब उनका तबादला इटारसी में हो गया। तो चाचा चाची अब इटारसी में रहने वाले थे। पर ढ़ेर सारे सामान के चलते चाचा ने ट्रेन के बजाय एक ट्रक बुक कर लिया ताकि वो अपने साथ कुछ जरूरी सामान एक बार मे ही इटारसी ले जा सके।

चाची ने मुझे कहा की मैं भी उन लोगो के साथ चलू ताकि उनको थोड़ी आसानी हो और जब चाचा ऑफिस चले जाएं तो चाची अकेली न पड़े। वैसे भी मेरी कोलेज की छुट्टिया थी इस लिए मैं उनके साथ जाने के लिए तैयार हो गया।

मैं, चाचा और चाची तीनो ट्रक के साथ चल पड़े, चाचा आगे ड्राइवर के साथ बैठें थे और हम दोनों ट्रक के पिछले हिस्से में, चाची ने आराम से बेठने के लिए वहा एक गद्दा डाल दिया और हम दोनों उपर बैठे थें | में चलती गाडी में चाची के उछलती हुई चुचियों को भरपूर देख रहा था,

उसके उछलते चुंचे मेरे लंड की हालत ख़राब कर रहे थे। हम शाम के 5 बजे इंदौर से निकले थे। राय का अन्धेरा अब छाने लगा था। चाची ने एक चद्दर निकाली और वह उसे ओढ़ के लेट गई, ट्रक अब उखड़खाबड़ रास्ते पर चल रही थी और कभी कभी तो कोई गड्डा इतना बड़ा आता था। की मैं चाची से टकरा जाता था, एक बार ऐसे ही एक खड्डे में ट्रक उछला और मैं चाची के चुन्चो से टकरा गया, वाह क्या मुलायम चुंचे थे यार…! मेरा लंड अब पेंट में ही चाची की जवानी देख लार बहाने लगा।

जैसे ही मैं चाची के चुन्चो से टकराया मेरी और चाची की नजर मिली, मैंने देखा की चाची की हलकी मुस्कान उसके होंठो पर फैल गई, मुझे लगा की चाची को भी इससे अच्छा लगा होगा | अब में जान बुझ कर हर छोटे खड्डे में भी उससे टकराने लगा और चाची भी कभी कभी सामने से टकरा जाती।

मेरी हिम्मत बढ़ गई, शायद ही ट्रक अब बीच रास्ते में रुकने वाला था और अगर रुका भी तो संभलने का वक्त तो मिल ही जाएगा..! ट्रक की केबिन से पीछे कुछ दिखे इसका भी डर नही था। क्योंकि ढेर सारे सामान के वजह से केबिन की खिड़की को ढँक गयी थी।

मैंने अब अपने हाथ चलाने शरू कर दिए, एक खड्डे पर मैंने चाची के चुचियों पर रखे हाथ हटाए नहीं बल्कि धीमे से दूसरा हाथ उनकी गांड पर ले गया और उनकी चुचियों जितनी ही मुलायम गांड सहला दी। चाची ने एक लंबी सांस ली और वह कुछ बोली नहीं।

मैंने अब हाथ को गांड के ऊपर चलाना शरू कर दिया और चाची ने चद्दर खिंच ली ताकि हमारे बीच अब जो हो वो चद्दर के अंदर ही हो। मैं अब चाची की गांड को दबाने लगा और दूसरे हाथ से उनकी सेक्सी कड़े चुचियों को दबाने लगा, चाची कुछ नहीं बोल राही थी।

मैं चाची के उभरते चुचियों को अब और भी जोर से दबाने लगा और अब चाची हलकी हलकी सिस्कारिया निकालने लगी, चाची भी अब ताव में आ गई और उसने अपना हाथ सीधा करके मेरी पैंट में डालकर मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया।

मैंने चाची के ब्लाउज को हटा कर, उनके स्तन को ब्रा के उपर से ही चूसने शरू कर दिए, चाची ने मेरी मदद की और अपनी ब्रा बिना खोले ही अपनी चुचियों को ब्रा से बाहर निकाला मैं उनके स्तन के तने हुए निप्पलों को मुहं में लेकर चुसाई करने लगा। चाची मेरे लंड को मसलने लगी और वह एक हाथ से मेरे माथे को अपने स्तन पर दबा रही थी,

मैंने चाची की साड़ी को ऊपर खींच दिया और उनकी पेंटी को खींच कर उनके घुटनो तक कर दिया। जिससे चाची के शरीर का निचला हिस्सा पूरा नंगा हो चुका था। चाची ने मेरा लंड एक हाथ से अभी भी पकडे रखा था। मेरा लंड अपनी नसे फुलाये बिलकुल तना हुआ था और उसे अब अपनी प्यास बुझानी ही थी। चाची अब बायीं करवट लेकर लेट गई और चाची कस इरादा लंड को अपनी चूत में डलवाने का था,

पर मुझे उनकी गांड में कुछ ज्यादा दिलचस्पी थी और मुझे पता था की आज जो करूँगा वो करने देगी मना नही करेगी, इसलिए मैंने अपने हाथ के उपर थोडा थूंक निकाला और उसकी गांडके छेद पर थूंक मलने लगा | चाचीने मेरे सामने देखा और वह हंस पड़ी |

मैंने अब लंड को उनकी गांड के छेद के करीब रख दिया, उसकी गांड अब भी टाईट थी ज्यादा फैली नही थी। मैंने अब धीमे धीमे लंड गांड के अंदर घुसेड़ना शरू किया, ट्रक अभी भी झटके मार रहा था इसलिए लंड को अंदर डालने में दिक्कत आ रही थी, तभी चाची ने आपने मुहं से थूंक हाथ में लिया और थूक को लंड के सुपाड़े पर मल के लंड को गोटों के करीब से पकड कर अपनी कड़ी गांड में लेना शरु किया,

थूंक की चिकनाहट और चाची के अनुभव के चलते लंड गांड में घुस गया, मुझे धक्के मारने की दिक्कत नहीं उठानी पड़ी, क्यूंकि एक तरफ से चाची अपनी गांड आगे पीछे हिलाने लगी और मैं भी अपने लंड को आगे पीछे करके चाची की गांड में लंड अंदर बाहर कर रहा था। और ट्रक के हिलने की वजह से मुझे चाची की गांड मारने में आसानी हो रही थी।

करीब 10 मिनट ही मैंने चाची की गांड मारी होगी, की मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी निकल गयी, थोड़ा सा वीर्य चाची की गांड के अंदर गया और कुछ गांड की दरार के बीच छूट गया। मैं शांत हो चुका था। तभी चाची मेरी तरफ देख मुस्काई फिर चाची ने अपनी पेंटी पहन ली।

पेंटी ने चाची की गांड पर फैला हुआ सारा वीर्य सोंख लिया। फिर रास्ते मे ही मैं फिर गर्म हो गया और चाची को भी गरम कर दिया। इसबार मैंने चाची की चुत खूब ज़ोर ज़ोर से बजायी चाची ने भी आन्ह… उम्म.. उम्म..आन्ह.. करके मुझसे अपनी चुत खूब चुदवाई,

चाची ने आज तो अपनी गांड और चुत दे कर मुझे बहुत मजे करा दिए, इटारसी में भी मैंने चाची की चुत और गांड जी भरकर चोदी हर दिन मैं चाची को चोदता था। फिर मैं वहां से इंदौर लौट गया कुछ दोनों बाद पता चला कि चाची पेट से है। पर उन्हें भी नही पता कि ये किसका बच्चा है मेरा या चाचा का ये सब मुझे खुद चाची ने बताया था।

तो दोस्तों कैसी लगी लगी आप सभी को मेरी ये कहानी आप इस कहानी को सेक्सी कहानी पर पढ़ रहे है। हम कोशिश करते है कि हम आप सभी का मनोरंजन अच्छी कहानियों से करे।

error: Content is protected !!

DMCA.com Protection Status