बरसात की रात चाची की चुदाई

हैलो दोस्तों….मैं कवि मैं हरियाणा के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 24 साल की है। मैं दिखने में लंबा चौड़ा और मोटे लंड वाला एक जवान लड़का हूं। आज मैं जो कहानी आप सभी के बिच लाने जा रहा हूं। वो दरअसल मेरी ताई जी यानी मेरी चाची और मेरे बीच घटी एक अनचाहे संभोग (sex) की घटना है।

बरसात की रात चाची की चुदाई

मैं अपने परिवार के बारे में बताता हूं। कुछ सालों पहले तक हमारा परिवार एक खुशहाल परिवार था। मेरा और मेरे चाचा जी का परिवार सब एक साथ रहते थे और सभी खुश थे। लेकिन एक कार एक्सीडेंट में मेरे मां पापा और चाचा जी का स्वर्गवास हो गया था।

तब से मेरी गार्डियन मेरी चाची थी। अब मेरे परिवार में मैं चाची और उनका एक 12 साल का बेटा बस तीन लोग है। हम सब बीती बातें को भूलकर आगे बढ़ चुके थे। मैं अब खेती में चाची का हाथ बटाने के साथ साथ नौकरी भी कर रहा था। ताकि घर में कोई आर्थिक तंगी न आए।

मैं आप सब को मेरी चाची के बारे में बताता हूं। मेरी चाची लगभग 45 साल की एक सुंदर दिखने वाली सुडौल और गठीले बदन वाली एक देहाती औरत है। वैसे तो उनका रंग गोरा है। लेकिन खेतों में धूप गरमी में काम करने के कारण उनके कुछ अंगों पर धूप का असर हो चुका है। जिससे उनका रंग अब थोड़ा सांवला सा हो गया है।

अब मैं आप सभी को सीधे कहानी पर ले चलता हूं। गर्मी के दिन चल रहे थे। अब खेतों में फसल की कटाई चल रही थी। हमारे भी खेत के फसल कट चुके थे। जैसे जैसे समय मिलता तो हम उस फसल के गट्ठर को घर ले आते।

मेरी नौकरी की वजह से मुझे दिन भर समय नहीं मिलता। लेकिन मुझसे शाम के वक्त जितना हो पाता मैं उतनी गट्ठर सर पर लादकर घर ले आता था। एक रात ज़ोर से बदल गरजने लगे। आसमान में बिजली चमकने लगी साथ ही हल्की हल्की बूंदा बांदी भी शुरू हो गई थी।

चाची ने कहा कवि खेत में फसल पड़ी है और बारिश में भींग कर सारी फसल बर्बाद हो जायेगी। हमें जल्दी कुछ करना पड़ेगा। तभी मैंने कहा चाची जल्दी से तिरपाल लेकर आओ मैं खेत में जाकर फसल ढक आता हूं। चाची ने मुझे दो तिरपाल दिए। एक बड़ी और दुसरी छोटी।

मैं दोनों तिरपाल लेकर जैसे ही घर से निकला चाची ने मुझे पीछे से आवाज दी और कहा कवि रुको मैं भी आती हूं। दो लोग रहेंगे तो जल्दी जल्दी काम होगा। मैंने भी कहा ठीक है चाची जल्दी चलिए। तब तक बारिश थोड़ी तेज हो चुकी थी। चाची ने बिट्टू को कहा बिट्टू दरवाज़े खिड़कियां बंद करके तुम सो जाओ।

फिर चाची और मैं खेत के लिए निकल गए। हम आधे भींग चुके थे। जैसे ही हम दोनों अपने खेत में पहुंचे तो बारिश और तेज हो गई। हमनें जल्दी जल्दी फसल के गट्ठरों को बड़े वाले तिरपाल से ढक दिया। और बारिश से बचने के लिए फसल के गट्ठरो के बीच तिरपाल के अंदर घुस गए।

हम लगभग आधे से ज्यादा भींग चुके थे। चाची ने अंदर ही छोटी वाली तिरपाल बिछा दी और चाची और मैं एक दुसरे के अगल बगल बैठ गए। तभी बारिश और तेज हो गई और साथ ही आसमान में बिजली चमकने के साथ साथ बदल भी ज़ोर से गरजने लगे। सच पूछो तो आज तक मैंने कभी ऐसा मौसम नही देखा था।

खुले आसमान के नीचे और भी ज्यादा डर लग रहा था। चाची से बादलों की गर्जन बर्दास्त नही हो रही थी। उन्होंने अपने कान दोनों हाथों से बंद कर लिए थे। तभी ऐसा बादल गरजा की लगा। कहीं आस पास ही बिजली गिरी हो उस आवाज से चाची इतनी डर गई की उछल कर मेरी गोद में चढ़ गई।

उस गर्जन की आवाज ने मुझे भी अंदर से हिला के रख दिया। चाची मेरी गोद में अपनी बड़ी गांड से मेरे लंड को दबाकर बैठी थी। अपने दोनों हाथों से अपने कान को ढके हुए थी। शायद डर के मारे उनको अभी तक समझ नही आया की वो मेरी गोद बैठी हुई हैं। या फिर उस वक्त उनको ये मंजूर था।

मैंने जब ध्यान दिया तो मुझे महसूस हुआ की मेरी जांघों पर पानी टपक रहा है। जब मैंने अपना हाथ चाची की जांघों की तरफ बाध्य तो मुझे समझ आया की चाची की सलवार का पानी मेरी जांघों पर टपक रहा था। चाची की सलवार पूरी गीली हो चुकी थी उनकी सलवार पानी में लथपथ थी।

धीरे धीरे मुझे समझ आने लगा की चाची की नीचे की सारी अंगे गीले कपड़ों के वजह से ठंडी थी। लेकिन उनकी जांघों के बीच और ठीक उनकी गांड़ के नीचे एक अजीब सी गर्माहट मुझे महसूस हो रही थी। वो गर्माहट सीधे मेरे लंड पर पड़ रही थी। मैंने आराम से अपना एक हाथ चाची की कमर के नीचे उनके कूल्हे पर रखा।

तो मुझे वहां भी कुछ गीला लगा और मुझे ये भी समझ आया की चाची ने अपने गीले सलवार के अंदर कुछ पहना नही था। अभी मैं उनके कूल्हे पर हाथ फेर ही रहा था। की तभी पहले जैसे ज़ोर की गर्जन के साथ आसमान में बिजली चमकी मैंने तुरन्त अपने दोनों हाथों से चाची की कमर को घेर लिया और अपनी एक कान को चाची की पीठ पर दबा दिया।

अब मैं खुलकर चाची को इधर उधर छुने लगा। मैंने उनकी कमर को पकड़े रखा और अपना एक हाथ उनकी कमीज के अंदर घुसा दिया और सीधा अपना एक हाथ उनके पेट पर रख दिया। फिर से बदल जोर से गरजा चाची और डर गई। मैंने भी डरने का नाटक करके उनकी कमर को कसकर अपनी बांहों में जकड़ लिया। साथ ही नीचे से अपनी कमर के साथ अपने लंड को ऊपर धकेला।

जिससे मेरा लंड पैंट के अंदर ही सीधा हो गया और मेरा लंड चाची की गांड़ की दरार के नीचे से उनकी दोनों जांघों के बीच उनकी बुर से सट गया। अब मुझे चाची की भट्ठी जैसे गरम बुर का मजा मिलने लगा। अब मेरा लंड पूरी तरह से टाईट हो चुका था।

अब मुझमें ऐसा नशा छाने लगा कि मैं बिना किसी शर्म के नीचे से अपनी कमर उछाल उछालकर अपना लंड चाची की बुर पर रगड़ने की कोशिश करने लगा। मेरा लंड पैंट में ही पानी पानी हो रहा था। मैं रुक रुककर बार बार अपनी कमर उठाकर चाची की बुर पर अपना लंड रगड़ने की कोशिश करने लगा।

मैं जब अपनी कमर उछालता तो चाची का बदन भी हिलता। कुछ देर बाद शायद चाची को भी समझ आ गया की मैं क्या करना चाहता हूं। वो शायद शर्म के मारे मेरी गोद से उठने लगी। लेकिन मैंने जिस हाथ को चाची की पेट पर रखा था। उसी हाथ से उनकी सलवार की डोरी को भी पकड़ रखा था। जैसे ही चाची मेरी गोद से उठी उनकी सलवार की डोरी खींच गई।

उनकी सलवार की डोरी जैसे ही खुली मैंने बिजली की फुर्ती से उनकी सलवार को पीछे से पकड़ा और खींचकर सीधा उनकी गांड़ से नीचे तक कर दिया। अब चाची पीछे से जांघों तक नंगी हो चुकी थी। मैंने फुर्ती में उनकी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उन्हें फिर से खींचकर अपनी गोद में बैठा दिया।

चाची ने उठना चाहा लेकिन मैंने उनकी कमर को अपने एक हाथ से पूरी ताकत से पकड़ रखा था। मैंने अपना दूसरा हाथ चाची की गांड़ के नीचे से उनकी बुर तक ले गया। फिर मैंने अपनी दो उंगलियों को एक झटके में चाची की बुर में पेल दिया और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा।

उस भारी बारिश और बिजली की गर्जन में हमें वहां कोई नहीं देखने सुनने वाला नहीं था। मैं ज़ोर ज़ोर से अपनी दो उंगलियों को उनकी बुर में अंदर बाहर करने लगा। चाची आआह्ह्ह्हह…आह… आआह्ह्ह्ह…. माआआआ… करती हुई अपने नाखून मेरी जांघों पर दबा रही थी। जिससे मेरी फुर्ती और तेज हो रही थी। मैं ज़ोर ज़ोर से अपनी उंगलियों को उनकी बुर में घुसाने निकालने लगा।

चाची आह्ह्ह्ह… अह्ह्ह…. कवि बस करो ओ ओ…. आह्ह्ह्… बसस सस…. आह…. आह… कर मेरी उंगलियों पर ही मूतने लगी। उनका सारा पेशाब मेरी उंगलियों पर निकला और अंत में उनकी बुर से चिपचिपा माल निकला जिसके बाद चाची थोड़ी शांत हो गई। मैं समझ चुका था की चाची अब झड़ गई थी।

मेरी उंगलियों पर लट्टे जैसा उनकी बुर का चिपचिपा पानी लगा हुआ था। मैंने अपनी उंगलियों को उनकी बुर से निकाला। मैंने उसी हाथ से अपनी पैंट नीचे की और अपनी उंगलियों पर लगा चाची का माल मैंने अपने लंड पर पोंछ लिया। फिर मैंने अपने खड़े लंड को मुठ्ठी में पकड़कर पैंट से बाहर निकाला।

मैं अपने लंड को मुठ्ठी में लेकर चाची की बुर पर रगड़ने लगा। जब मैं अपने लंड को चाची की बुर पर रगड़ रहा था। तो अजीब सी लपड़ लपड की आवाज आ रही। चाची को भी मजा आ रहा था। फिर मैंने अचानक से अपने लंड को चाची की बुर की छेद पर रोक दिया और एक हल्की सी उछाल के साथ अपनी कमर उछाली जिससे मेरा पूरा लंड उनकी गीली बुर में घुस गया।

उसके बाद मैं नीचे से अपनी कमर उछाल उछालकर अपने लंड को उनकी चुत के अंदर बाहर करने लगा। चाची की चुदाई करने में मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं नीचे से अपनी कमर उछाल उछालकर उनकी बुर चोद रहा था। और अपने एक हाथ को उनकी दोनों जांघों के बीच घुसाकर उनके बुर के दाने को रगड़ रहा था।

चाची भी मादक सिसकियां लेती हुई लंड पर उछलने लगी। करीब 20 मिनट तक मैंने वैसे ही अपनी चाची की बुर चोदी उसके बाद मैं झडने वाला था। तो मैंने अपना माल चाची की बुर में ही निकाल दिया और अपना लंड उनकी बुर से निकालकर दूर हट गया।

चाची की बुर में माल गिरते ही चाची फुर्ती से मेरे गोद में से उठी और मूतने वाली पोजिशन में बैठ गई। उनकी बुर से निकलती पेसाब की धार की आवाज सुनाई देने लगी। बाहर अभी भी तेज बारिश हो रही थी और ज़ोर से बदल भी गरज रहे थे। घर जाने की कोई गुंजाइश नहीं थी। तो मैंने चाची को अपने तरफ खींचा और तिरपाल पर लेटा दिया।

चाची लेट गई फिर मैंने अपनी पैंट उतारने के साथ साथ उनकी सलवार भी उनकी टांगों से निकाल दिया। अब चाची नीचे से पूरी नंगी हो चुकी थी। लेकिन अंधेरे में मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। इसलिए मैंने अपने फ़ोन की टॉर्च ऑन की जिससे वहां रोशनी हो गई। फिर हम दोनों को सब कुछ साफ साफ दिखाई देने लगा।

मैं चाची की गोरी नंगी टांगों को देखकर पागल हो गया था। पहली बार मैंने इतनी नजदीक से किसी औरत को नंगा देखा था। फिर मेरी नजर उनकी पेट के नीचे उनकी दोनों जांघों के बीच बुर पर पड़ी जिस पर उनकी कमीज़ ढकी हुई थी। मैंने चाची को अपनी कमीज़ उतारने को कहा उन्होंने अपनी कमीज उतारी उनकी बड़ी बड़ी चुचियों को देखकर मेरे मन में लालच आ गया।

मैं चाची के सीने पर अपना सर रखकर लेट गया और उनकी एक चूची को अपने हाथ में लेकर दबाने लगा। फिर मैंने उनकी निप्पल को अपने मुंह में भर लिया। मैं बारी बारी से उनकी दोनों चूचियों को पीने लगा। चाची की चूचियां चूसते चूसते मेरा लंड खड़ा होने लगा।

अब मैं चाची को फिर से चोदने के लिए तैयार हो चुका था। मैंने चाची को अपना लंड दिखाकर इशारा किया। चाची ने अपनी दोनों टांगों को फैला दिया। लेकिन मैंने कहा चाची ऐसे नही घोड़ी बनो। चाची घोड़ी बन गई। चाची मेरे सामने घोड़ी बनी हुई थी जिससे उनकी गांड़ और चौड़ी और बड़ी लग रही थी।

मैंने अपने दोनों हाथों से चाची की चर्बी वाली कमर को पकड़ा और अपना लंड उनकी बुर की छेद पर रखकर एक ज़ोरदार धक्का दिया। जिससे मेरा लंड गच्च से उनकी बुर में घुस गया। मैं ज़ोर ज़ोर से अपने मोटे लंड को चाची की बुर में डालने लगा। मेरे धक्कों से चाची की चर्बी वाली गांड़ थलथल करती हुई हिल रही थी।

मैंने चाची की कमर को छोड़कर अपने दोनों हाथों में उनकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और दबाते हुए उनकी बुर की चुदाई करने लगा। मैं उन्हें घोड़ी बनाकर बहुत देर तक चोदता रहा। फिर मैंने उन्हें लेटने का इशारा किया। वो लेट गई और मैं भी उनकी बुर में अपना लंड डाले उनपर लेट गया।

मैं पीछे से उनकी बुर में अपना लंड डालने लगा। मैं आगे से उनकी दोनों चुचियों को मिसता और पीछे से उनकी गांड़ पर अपनी कमर पटक पटककर उनकी बुर चोदता रहा। मैंने चाची को अपनी दोनों टांगों को आपस में चिपकाने को कहा जिससे मेरा लंड थोड़ा टाईट जाए और मुझे मजा आए।

चाची ने ठीक वैसा ही किया। मैं घोड़े जैसी ताकत से उनकी बुर को रफ़्तार में चोदने लगा। करीब आधे घंटे तक मैं उनको चोदता रहा और अंत में उनकी बुर में ही झड़ गया। मैं अपना लंड उनकी बुर में डाले चाची के उपर लेटा रहा। करीब रात के 3 बजे बारिश बंद हुई। तो हमनें कपड़े पहने और घर आ गए।

अगले दिन मैं काम पर नहीं गया बिट्टू जैसे ही स्कूल गया। मैने चाची को पकड़ लिया और दोपहर तक उनकी चुदाई की जब तक बिट्टू घर वापस नहीं आया। उसके बाद से मैं और चाची लगभग हर रात चुदाई का मजा लेने लगे। बिट्टू को मैं रात को अपना फ़ोन देकर अलग कमरे में भेज देता था। वो गेम खेलते खेलते वही सो जाता था।

मैं चाची के साथ उनके कमरे में रात को चुदाई का खेल खेलता था। उसके बाद हम एकदम निश्चिंत होकर चुदाई करते थे। लेकिन कुछ ज्यादा ही आत्म विश्वास ने मुझे और चाची को कई बार शर्मिंदा किया। मैं और चाची चुदाई करते समय ये भूल जाते थे की बिट्टू इसी घर में है। वो कई बार हमारी चुदाई की आवाजें सुनकर कमरे में आ जाता था।

उसने एक दो बार मुझे और अपनी मां यानी मेरी चाची को एक साथ नंगा देखा था। लेकिन वो बिना कुछ बोले शर्माकर भाग जाता था। लेकिन कभी किसी को कुछ कहा नहीं। उसके बाद मैं और चाची खुलकर चुदाई करने लगे और चाची खुलकर आआह्ह्ह… उह्ह्ह… आह… की आवाजें निकाल निकालकर चुदवाती है।

तो दोस्तों कैसी लगी आप सभी को मेरी और मेरी चाची की चुदाई की ये कहानी उम्मीद है आप सभी को पसंद आई होगी।

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