बेटे ने सारी रात मेरी गांड़ मारी

बेटे ने सारी रात मेरी गांड़ मारी

नमस्ते दोस्तों, मैं कविता आज मैं आप सभी को मेरी चुदाई की कहानी के तीसरे भाग में क्या हुआ वो बताने वाली हुं। अगर आप सभी ने मेरी कहानी के पहले भाग माँ की लाचारी का फ़ायदा उठाया बेटे ने और दूसरा भाग बेटे ने गोद में बिठाकर चुदाई की नहीं पढ़ी तो पढ़े।

चलिए मैं आप सभी को सीधे कहानी पर ले आती हूं। उस रात मेरे बेटे ने मुझे अपनी गोद में बिठाकर बहुत देर तक मेरी चुत को अपने 8 इंच मोटे लंड से चोदा और उसने उस दौरान दो बार मेरी चुत को अपने वीर्य से सींच दिया था।

उसके बाद वो मुझे सोफे पर ओनार कर मेरी दोनों टांगों को फैलाकर चला गया। मेरी दोनों टांगें फैलने से मेरी चुत थोड़ी खुली हुई थी। जिससे मेरी चुत में भरा वीर्य बूंद बूंद करके खाली हो रहा था। मैं चाह कर भी अपने बेटे को मेरे साथ ऐसा करने से रोक नहीं सकी। मेरा बेटा मेरी पैरालिसिस का भरपूर फायदा उठा रहा था।

मैं अपनी आंखों से अपनी चुत से निकलते वीर्य और मेरे बेटे के बीज को देखकर थोड़ी हताश थी। मुझे चुत चुदने से मन और तन की शांति तो मिली थी। पर अभी भी मुझे अपने बेटे से चुदना मंजूर नहीं था। जब वो मुझे चोदता तब मैं अपने माँ बेटे का रिश्ता भूलकर उसे सिर्फ एक मर्द और खुद को एक औरत समझती थी। जिससे मेरे मन की तकलीफ थोड़ी कम हो जाती।

मैं अभी भी चाहती थी की कोई गैर मर्द भले मुझे चोदता तो मुझे इतनी तकलीफ नहीं होती पर अपने बेटे के सामने नंगी होना और उसी लंड से चुदना जो मेरे अंदर से ही निकला है थोड़ा अजीब लग रहा था।

जब वो मुझे सोफे पर नंगी हालत में छोड़कर गया तो मुझे ये समझ नही आ रहा था की अब मैं क्या करू या वो क्या करने वाला है। मैं अपनी चुत से उसके वीर्य को खंगाल के निकालना चाहती थी। हालाकि किसी भी औरत को अपनी चुत में गरम वीर्य लेना एक चरम सुख देता है पर अपने बेटे का वीर्य मेरी चुत और मन को तेजाब जैसा महसूस हो रहा था।

मेरे बेटे ने मेरी चुत में अपना अंग/लंड डालकर मेरी बदन और हमारे बीच के रिश्ते को नापाक कर दिया था। मैं बैठी बैठी यही सब सोच रही थी की तभी वो फिर से नंगा मेरे सामने आकर खड़ा हो गया। जब इस बार मेरी नजर उसके लंड पर गई तो मैं सचमुच कांप गई।

मैं समझ गई की वो मुझे ऐसे छोड़कर क्या करने गया था। जब वो मेरे सामने आया तो उसका लंड एकदम चिकना था। उसने अपने लंड और गोटियों पर जमी झांटों को बड़ी चिकनाई से साफ किया था। जिससे उसका लंड और भी ज्यादा बड़ा और मोटा लग रहा था।

उसका लंड देखकर मैं समझ गई की मैं उसके लंड के साइज का गलत अंदाजा लगा रही थी। उसका लंड 8 नही बल्कि लगभग 10 इंच लम्बा था और 4 इंच मोटा मैं अपने बेटे का लंड देखकर खौफ़ से रोने लगी मेरी मूंह से आवाज नहीं निकल रही थी। लेकिन मेरी दोनो आंखों में भरे आंसु मेरे गालों पर बह रहे थे। जिसे मेरा बेटा भी देख रहा था पर मैं जानती थी की वो मुझे बक्शने वाला नही है।

वो अपना मोटा 10 इंच का लंड अपने मुट्ठी में भरकर मेरी तरफ आने लगा और सोफे पर चढ़कर वो मेरे पेट के दोनों तरफ पैर करके घुटनों के बल बैठ गया और अपना 10 इंच का हथियार मेरे मुंह में डालने लगा। मैंने अपने दोनों होठ आपस में चिपका लिए। जिससे वो अपना लंड मेरी मूंह में न डाल सके।

क्योंकि मैंने कभी अपने पति तक का लंड अपने मुंह में नही लिया था मुझे लंड मुंह में डालना पसंद नही और घिन्न आती थी। मेरी आंखों से आंसू बहे जा रहे थे। लेकिन मैं उसकी शरीर की ताक़त के आगे नहीं टिक पाई। उसने मेरे होठों पर अपना लंड दबा दबाकर मुंह खोलने को मजबुर कर दिया।

जैसे ही मैंने अपना मुंह हल्का सा खोला उसका लंबा लंड मेरे गले तक घुस गया। वो अपनी क़मर आगे पीछे करके मेरे मुंह को अपने लंड से चोदने लगा। उसके लंड के अंदर बाहर आने पर मेरे मुंह से थूक और लार टपकने लगा।

कुछ देर वो वैसे ही मेरे साथ खेलता रहा जब मेरा मुंह चोदने से उसका मन भर गया। तो उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और मुझे अपने कमरे में ले गया। फिर उसने मुझे बिस्तर पर पेट के बल पलट पटक दिया।

फिर उसने मेरी क़मर के नीचे ऊंचा तकिया लगा दिया जिससे मेरी गांड़ उपर उठ गई। मैं समझ गई की ये बेरहम आज सारी रात मेरी चुत की चटनी बनाएगा। उस वक्त का माहोल देखकर मुझे पहली रात की दर्दनाक सारी बातें याद आने लगी।

तभी वो ड्रेसिंग टेबल से वेसलीन लोशन का डब्बा लेकर आया और मेरी दोनों जांघों को आपस में चिपकाकर मेरी जांघों पर बैठ गया। मैं पेट के बल लेटी हुई थी। और अपनी गर्दन जितना घुमा पा रही थी उतना घुमाकर उसकी सारी हरकतें देख रही थी।

फिर उसने अपने हाथ पर वेसलीन लोशन की आधी डिब्बी खाली की और वेसलीन को मेरी गांड़ पर पोतने लगा। वो वेसलीन से मेरी गांड़ और अगल बगल के हिस्सों पर मलने लगा। वो अपने दोनों हाथों से मेरी चूतड़ के दोनों हिस्सों को सहलाते हुए मालिश कर रहा था।

कभी वो अपना हाथ मेरी गांड़ की मालिश करते हुए नीचे मेरी जांघों तक ले जा रहा था तो कभी मेरी जांघों की मालिश करते हुए मेरी चूतड़ों की तरफ ले जा रहा था। वेसलीन से मेरी गांड़ पुरी तरह चमक रही थी। फिर उसने वेसलीन की डिब्बी उठाई और एक हाथ से मेरी चूतड़ के दोनों हिस्सों को फैलाकर अलग अलग किया।

फिर उसने मेरी गांड़ के दोनों हिस्सों के बीच वेसलीन भरना शुरू किया फिर उसने अपने एक हाथ की उंगलियों को मेरी गांड़ के दोनों हिस्सों के बीच घुसा कर मेरी गांड़ की दरार की मालिश करनी शुरू कर दी।

अब मेरी गांड़ के बीच अच्छी चिकनाई बन चुकी थी। और मेरे बेटे के उंगलियों पर भी वेसलीन की परत लगी हुई थी। तभी उसने कुछ ऐसा किया जिसकी उम्मीद मुझे नही थी। उसने अपनी एक वेसलीन से लिपटी हुई ऊंगली को मेरी गांड़ की छेद में डाल दिया। जिससे मुझे दर्द होने लगा।

मैं बता भी नही सकती की मेरी टाईट गांड़ की छेद में उसकी एक ऊंगली घुसने से कितनी तकलीफ हुई। अगर आप लोगों को विश्वास न हो तो किसी औरत से पूछ लेना। उसने पल ही भर में अपनी पुरी ऊंगली को मेरी गांड़ में ठेल दिया। उसके बाद उसने अपनी दूसरी ऊंगली को मेरी चुत में घुसा दिया।

चुत और गांड़ दोनों जगह ऊंगली एक साथ ऊंगली जानें पर मुझे अजीब सा दर्द और सुकून एक साथ मिलने लगा। उसकी ऊंगली मेरी गांड़ को दर्द दे रही थी और उसकी दूसरी उंगली मेरी चुत को सुकून दे रही थी। फिर उसने अपनी दोनों उंगलियों को एक साथ मेरी गांड़ और चुत के अंदर बाहर करना शुरू किया।

अब वो अपनी दो अगल अलग उंगलियों से मेरी चुत और गांड़ एक साथ चोदने लगा। मैं बिस्तर पर पड़ी पड़ी अपनी दोनों मुट्ठियों को बंद करके सब झेल रही थी। इतने ही देर में मेरी चुत से फचफचाहट की आवाज आने लगी। मेरी चुत ने पानी छोड़ दिया था और मेरे बेटे का लंड मेरी गांड़ को देखकर मेरी गांड़ पर अपना लार टपकाना शुरू कर दिया था।

फिर उसने मेरी चुत और गांड़ से अपनी उंगलियां निकाल दी और अपनी दो उंगलियों को मेरी गांड़ के उभार के बीच घुसा दिया। फिर उसने अपनी दो उंगलियों के सहारे मेरी गांड़ के दोनों उभारों को फैला दिया और मेरी गांड़ की छेद को ढूंढ लिया।

अब मैं समझ चुकी थी की आज ये मेरी गांड़ मारने वाला है। फिर उसने अपना गरम लंड मेरी गांड़ की छेद पर सटा दिया। उस वक्त ऐसा लग रहा था की कोई गरम रॉड से मेरी गांड़ को छू रहा है। फिर उसने अपना मोटा 10 इंच लम्बा लंड मेरी गांड़ की छेद पर दबा दिया।

उतने में ही मेरी जान निकल गई मैं रो पड़ी भले ही मेरी मुंह से आवाज नहीं आई लेकिन आंखों से आंसू आने लगे। उतने में ही उसने फिर से अपना लंड मेरी गांड़ की छेद पर फिर से दबा दिया। इस बार शायद उसके लंड का अगला हिस्सा मेरी गांड़ की छेद की चीरकर अंदर घुस चुका था।

मेरी गांड़ लहरने लगी थी। ऐसा लग रहा था की चींटी की छेद में कोई हाथी घुसा रहा हो। अब मेरी गांड़ की सील फट चुकी थी। मेरे बेटे के लंड ने अपने मोटाई के हिसाब से मेरी गांड़ की छेद को फाड़ दिया था। अब उसने धीरे धीरे करके अपना बचा हुआ लंड भी मेरी गांड़ की गहराई के अंदर पंहुचा दिया था।

अब वो धीरे धीरे आगे पीछे होकर मेरी गांड़ की सवारी करने लगा। उसका लंड अब थोड़ा थोड़ा मेरी गांड़ के अंदर बाहर होने लगा। थोड़ी देर तो मैं दर्द के मारे बेहोश होने की हालत तक आ पहुंची थी। लेकिन बाद में उसका मोटा लंड मेरी गांड़ और मुझे मज़े देने लगा। जिससे मेरी चुत अपने आप पानी छोड़ने लगी।

उसके बाद मेरा बेटा मेरे उपर लेट गया और मेरी गांड़ में लंड डालकर सारी रात मेरी गांड़ का बला//त्का₹ करता रहा। मुझे भी उसका मेरी गांड़ चोदना अच्छा नहीं लगा पर उस रात कुछ ऐसा हुआ की जब उसने तीसरी बार मेरी गांड़ चोदनी शुरू की तो वो थोड़ा बेरहमी से मेरी गांड़ मारने लगा।

जिससे मुझे जोरों का दर्द हो रहा था। वो किसी भूखे दरिंदे की तरह मेरी चुदाई कर रहा था पूरे कमरे में ठप ठप… फट फटट और पलंग के टूटने जैसी खटर खटर आवाज आ रही थी। मेरी आंखों से आंसू बहे जा रहे थे। अब वो झडने वाला था। तो उसने और तेज़ रफतार के साथ मेरी गांड़ चोदनी शुरू की।

वो दर्द मेरे बर्दास्त के बाहर था। तभी मेरे गले से अचानक आवाज निकल आई और मेरी टांगों में थोड़ी हरकत होने लगी। मैंने जब लड़खड़ाती आवाज़ में उसे रुकने को कहा तब वो चौंक गया और मेरी टांगों की हरकत देखकर वो झट से मेरे उपर से हट गया।

मैंने उसे अटकती आवाज में दो चार गालियां दी और अपने टांगों के सहारे सीधी पलटने की कोशिश करने लगी। मैं समझ गई थी की मेरे बदन के लकवे वाले हिस्सों में जान आने लगी थी।

तभी मेरे बेटे ने कहा देखो माँ मैंने तुम्हें ठीक कर दिया अगर मैं आपकी चुदाई नही करता तो आज आपकी हालत में सुधार नहीं हुआ होता। उसके बातें सुनकर मैं भी स्तब्ध हो गई। मैंने भी सोचा की शायद ये सही कह रहा है। इसकी चुदाई के कारण ही मुझे तेज दर्द हुआ और मेरी बॉडी और आवाज में हरकत आ गई।

तभी मैंने अपनी अटकती आवाज में कहा की ऐसे भी कोई गांड़ चोदता है वो मेरी बातें समझ पा रहा था। तुने तो मेरी गांड़ का बला/त्का₹ कर दिया। उसने कहा माँ आप की हालत में थोड़ा सुधार तो आया।

मैं भी कही न कही उसकी बातों से सहमत थी। मैंने अपने बेटे से कहा ठीक है तू मेरी गांड़ ऐसे ही चोद शायद इससे मैं जल्दी ठीक हो जाऊ। उसके बाद वो रोज रात को मेरी चुत और गांड़ की चुदाई करता है। उसकी चुदाई ने सही काम किया मैं धीरे धीरे ठीक होने लगी। लगभग 2 महीनों में मैं अपने पैर पर खड़ी हो गई।

अब मैं किसी पर ज्यादा निर्भर नहीं थी। लेकिन उस दो महीनों में मेरी चुत और गांड़ बर्बाद हो गई। मेरे बेटे ने मुझे रोज चोद चोदकर मेरी चुत और गांड़ की छेद को फाड़ के रख दिया है। लगातार हमारे बीच सेक्स के संबंध बनाने से हम दोनों को सेक्स की लत लग गई थी। ठीक होने के बाद मेरे और मेरे बेटे के बीच अब भी सेक्स होता है।

अब मुझे उसके 10 इंच के हतियार को देखकर डर नही लगता अब मैं पूरे मन से अपने बेटे का लंड लेती हूं। तो दोस्तों कैसी लगी आप सभी को मेरी ये कहानी उम्मीद करती हूं आप सभी को मेरी कहानी पसंद आई हो।
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