बेटे ने गोद में बिठाकर चुदाई की

बेटे ने गोद में बैठाकर चुदाई की

आपने पिछली कहानी “मां की लाचारी का फ़ायदा उठाया बेटे ने” में पढ़ा ही होगा की कैसे मेरे बेटे ने मेरी शरीर की लाचारी का फ़ायदा उठाया। उस रात मेरे बेटे ने सारी रात जमकर मुझको चोदा और अपने लंड का सारा रस मेरी चूत को पिलाकर चला गया।

“बेटे ने गोद में बिठाकर चुदाई की”

मैं सारी रात नंगी पड़ी रही और अपने बेटे की करतूत पर मन ही मन बिलखती रही। पर सच कहूं तो मुझे मेरी चुदाई के बारे में सोचकर जितना मुझे दुख हो रहा था। उतना ही उस चुदाई से मुझे आनंद भी मिला था। दुख और सुख का भार मेरे मन में बराबर था।

मुझे चुदना गवारा था पर मुझे मेरे बेटे से चुदना कतई गवारा नहीं था। मैं यही सोचती रही की काश आज मेरे बेटे की जगह कोई गैर मर्द मुझे चोद गया होता तो मुझे उससे कोई आपत्ति नहीं होती। आज मेरे बेटे ने मां और बेटे के बीच की सारी मर्यादा ही पार कर दी थी।

पता नही कब मेरी आंख लग गई और मैं पेट के बल लेटी हुई ही सो गई सुबह अचानक जब मेरी नींद खुली तो मैंने कोशिश करके अपना चहेरा और अपनी नजरों को घुमाकर अपनी गांड की तरफ देखा अभी भी मेरे पेट के नीचे तकिया लगा हुआ था। जिससे मेरी गांड अभी भी उठी हुई थी।

मैं अभी भी रात की चुदाई वाली पोजीशन में बिस्तर पर पड़ी थी। जितना मैं देख पाई मेरी गांड पर इधर – उधर वीर्य के सूखे हुए धब्बें लगे हुए थे। मेरे बेटे ने अपने लंड का सारा रस मेरी चूत को पिला दिया था जिससे मुझे मेरी चूत में अब भी लट लाटाहट ( गीलापन ) था।

मैं अपने आप को वैसे ही देख ही रही थी की तभी मेरा बेटा कमरे के दरवाज़े को धकेलता हुआ अंदर आया दरवाज़े की आवाज से मेरी नज़रे उसकी तरफ गई। तो मैं एक बार फिर से अंदर से सिहर उठी अभी भी वो बिल्कुल नंगा था। और उसका 8″ का लंड अब भी टाईट होकर खड़ा था। जैसे मानों वो फिर से मुझे चोदने को तैयार है।

धीरे – धीरे वो मेरे करीब आता गया। मैं उसके लंड का साइज देखकर डर के मारे अंदर से चीख उठी पर मेरे मुंह से आवाज नही आई। वो मेरे करीब आ चुका था। उसने अपना हाथ बढ़ाया और मेरी गांड़ पर फेरने लगा। मैं सोच चुकी थी की आज ये फिर मुझे चोदने वाला है।

पर उसने थोड़ी देर मेरी गांड़ पर हाथ फेरा और मेरी गांड को मसलता हुआ उसने अपनी एक उंगली को मेरी चूत के अंदर डाल दिया। फिर वो अपनी उस उंगली से मेरी चूत को हिडने लगा। वो उंगली को बार – बार अंदर और बाहर करने लगा। करीब पांच मिनट तक उसने मेरी चूत में उंगली की।

फिर उसने अपनी नज़रे घड़ी की तरफ घुमाई और अपनी उंगली मेरी चूत से निकाल दी। फिर मेरी गांड और चूत को कपड़े से अच्छे से साफ कर दिया और फिर मुझे अपनी बांहों मे उठाकर खड़ा करके मुझे नाइटी पहना दी। उसके बाद वो मुझे व्हील चेयर पर बिठाकर बाहर हॉल में ले आया।

कुछ देर बाद नौकरानी भी आ गई और मेरा बेटा अपने ऑफिस चला गया। मैं सारा दिन यही सोचती रही मुझे मेरा बेटा कैसे चोद सकता है। चाहे बाहरी मर्द मुझे चोद जाता तो मुझे इतना बुरा नही लगता। मुझे अब इस शर्मिंदगी के साथ ही अपने बेटे के सामने रहना पड़ता यही बात मुझे खाएं जा रही थी।

मैं ये भी सोच रही थी। की काश मैं ठीक होती तो अपने बेटे के इस हरकत पर उसे कसकर मारती पर मैं ये जानती थी की ये सब अब रुकने वाला नही था। मैं अपने मन से अपने बेटे के विरोध में ही थी। मेरा मन अंदर ही अंदर मुझे कचोट रहा था। दिनभर मेरे दिमाग़ में रात वाले ही ख्याल चल रहे थे।

शाम हो गई थी मैं और काम वाली घर के हॉल में बैठकर टीवी देख ही रहे थे। कुछ देर टीवी देखकर मेरा ध्यान रात की घटना से हटा ही था की तब तक मेरा बेटा ऑफिस से घर आ गया। उसे अपने सामने देखते ही फिर से रात का सारा मंजर ताजा हो गया। मेरे मन में अपने बेटे के लिए घृणा जागने लगी

वो मेरी तरफ देखता हुआ चुपचाप अपने कमरे में चला गया उसके आते ही नौकरानी अपने घर चली गई। अब सिर्फ मै और मेरा बेटा ही घर में थे। कुछ देर बाद वो कपड़े बदलकर हॉल में आया उसने सिर्फ एक निक्कड़ पहनी थी। उपर उसने कुछ नहीं पहना था।

वो चुपचाप आकर सोफे पर टीवी के सामने बैठ गया और टीवी देखने लगा। कमरे में सिर्फ टीवी की आवाज ही आ रही थी। मैं भी चुपचाप टीवी की तरफ देखती रही। एक घंटे तक उसने न कुछ कहा न मैं बोलने की हालत में थी।

रात के 7 बज चुके थे। वो उठा और मेरे लिए रात का खाना लेकर आया और मेरी व्हील चेयर के पास बैठकर मुझे धीरे-धीरे खाना खिलाने लगा। उसके बाद उसने भी वही बैठकर खाया और घर का सारा काम निपटाकर फिर से हॉल में आया।

अब रात के 9 बज रहे थे। आस पड़ोस में शांति छा गई थी तो उसने घर का मेन दरवाजा लॉक किया और फिर हॉल का दरवाजा भी बंद कर दिया। उसके बाद वो मेरे सामने आकर खड़ा हो गया जिससे मेरी नजर उसकी पैंट की तरफ गई।

उसकी पैंट में उसका लंड खड़ा होकर तंबू बना चुका था। मैं समझ गईं की आज की रात मेरी चूत फिर से इसके लंड का शिकार बनने वाली है। उस वक्त जो मेरे मन की दशा थी मैं आपको बता भी नही सकती।

फिर उसने मेरे सामने ही अपनी पैंट उतार दी और अपना 8″ का लंड लहरा – लहरा कर मुझे दिखाने लगा। फिर उसने मुझे अपनी बांहों में पकड़ते हुए व्हील चेयर पर से उठाया और मुझे अपनी बांहों में कसते हुए मेरी चुचियों को आपने सीने से दबाते हुए। मुझे आपने साथ चलाकर सोफे तक ले गया।

फिर उसने मुझे खड़े – खड़े पलट कर घुमा दिया और अपना लंड मेरी गांड़ पर और गांड़ की बीच की दरार में चुभोंने लगा। फिर उसने मुझे मेरी कमर से पकड़ा और सोफे पर बैठकर मुझे अपनी गोद में बिठा लिया।

उसकी गोद में जाते ही उसका विशाल लंड मेरी गांड़ के दोनों हिस्सों के बीच में आ गया फिर उसने मेरी नाइटी को मेरी गांड़ के नीचे से निकालते हुए उपर तक उठाकर नाइटी को मेरे गले से निकाल दिया। अब मैं पूरी नंगी होकर अपने बेटे के गोद में बैठी थी। उसका लम्बा लंड मेरी गांड़ के दोनों हिस्सों के बीच से निकलता हुआ मेरी चूत को छू रहा था।

जैसे ही उसके लंड ने मेरी चूत को छुआ मेरे अंदर की औरत जागने लगी। उसके लंड के छूने से मेरी चूत में गुदगुदी सी होने लगी। अब भी ये सब अपने बेटे के साथ करने के लिए मेरा दिल राजी नहीं था और पूरे मन से अपने बेटे के विरोध में थी। पर उसका लंड उठ उठकर मेरी गांड़ पर ताव मार रहा था। जिससे मेरी चूत को लालच आ रहा था। मैं अपने आपको समझा कर खुदको संभाल रही थी।

फिर उसने अपने पैरों को थोड़ा सा फैला लिया और फिर दोनों हाथो से मेरी दोनो जांघो को पकड़कर फैलाते हुए अपनी जांघों पर चढ़ा लिया। फिर उसने मेरी एक जांघ के उपर से अपना हाथ बढ़ाकर अपने लंड को पकड़ लिया। अब वो अपने लंड की चमड़ी को आगे पीछे खिसका कर मुझे दिखाए जा रहा था।

फिर उसने अपने लंड का निशाना सीधा मेरी चूत पर लगा दिया और फिर दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़कर अपनी कमर को थोड़ा ऊपर उठाने लगा। मै भी उसके गोद में बैठी उसके कमर के साथ उपर उठने लगी। जिससे उसके कड़क लंड का टोप्पा सीधा मेरी चूत की छेद खोलता हुआ अंदर आ गया।

एक तो उस कुत्ते का लंड इतना मोटा था मानो जैसे कोई बेलन हो जैसे ही झटके से उसका लंड मेरी चूत की छेद को फैलाकर अंदर गया मानों मेरी तो जान ही निकल गई। मैं रोना चाहती थी पर मुंह से आवाज नही निकली पर मेरी आंखों में चूत का दर्द साफ झलक आया था। मैं मन ही मन उसे गालियां दे रही थी साले हरामी की औलाद थोड़ा थूक ही लगाकर ठेल देता।

मेरी चूत में उसका लंड ऐसा टाईट घुस रहा था जैसे की किसी बंद मुट्ठी में कोई जबरदस्ती उंगली घुसाने की कोशिश कर रहा हो। और थोड़ा गलत पोजीशन में होने के कारण भी लंड अड़ा होकर घुसा था। जिससे मेरी चूत में जलन होने लगी।

करीब एक डेढ़ इंच ही उसका लंड मेरी चूत में घुसा होगा। फिर उसने मेरी चुचियों को मसलना शुरू किया मैंने राहत की सांस ली क्योंकि वो उसी वक्त फिर मेरी चूत में धक्का पेलता तो मैं मर ही जाती। उसके चूचियां मसलने से मेरे अंदर चुदाई का सुरूर आने लगा।

अब मुझे वो एक हवसी मर्द लगने लगा जो मेरी चूत चुदाई की आग को अब शांत करने वाला था। अब मुझे मेरी चूत में घुसा उसका 2 इंच लंड अब मुझे मज़े देने लगा। मेरी चूत गीली होने लगी जिसका रस उसके लंड पर भी लग रहा था। अब मेरी चूत में और उसके लंड पर चिकनाहट बनने लगी।

उसके लंड पर चिकनाहट बनने के कारण सट से उसका लंड सीधा होकर मेरी चूत में घुस गया। हालाकि इस बार मुझे दर्द नहीं हुआ बल्कि उसका लंड मेरी चूत में पूरा घुसने के बाद मुझे और मजा आने लगा। अब मेरे मन का सारा विरोध खतम हो चुका था। मैं चाहती थी की अब वो जमकर मेरी चूत को चोदे

उसने वैसा ही किया अब वो अपनी कमर को धीरे धीरे उपर नीचे करके मुझे अपनी गोद में उछालने लगा। मै अब उसकी गोद में उछल रही थी। और उसका लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था। कुत्ते का लंड उसके बाप से भी मोटा था। तो मुझे दूसरी बार अपने बेटे के मोटे लंड की चुदाई मिल रही थी।

फिर वो सोफे पर थोड़ा आगे की ओर खिसक गया और मुझे पीछे अपने सीने पर खींचकर मुझे किस करने लगा और मेरी चुचियों को अपने पंजों से मसलते हुए अपनी कमर उछाल उछालकर मेरी चूत को अपने लंड से भेदने लगा।

उसकी तरह चोदते चोदते वो मेरी चूत में ही झड़ गया था। पर साले का जोश कम नहीं हुआ वो अभी भी मेरी चूत मे अपना मोटा लंड दौड़ाए जा रहा था। मैं भी कुछ देर बाद झड़ गई अब मेरी चूत के पानी को मेरा बेटा मेरी चूत में मथे जा रहा था। जिससे मेरी चूत और उसके लंड पर वीर्य के मोटी दही जैसी परत जहां तहां जम चुकी थी।

वो मुझे अपनी गोद में बिठाकर तारों की सैर करवा रहा था। करीब आधे घंटे बाद वो जोर की आ….आह आआह… की आवाज के साथ फिर से मेरी चूत में ही झड़ गया। उसके बाद उसने मुझे थोड़ा ऊपर उठाया और अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया।

मुझे सोफे पर बैठाते हुए वो उठाकर खड़ा हुआ और मुझे सोफे के पीछे हिस्से पर टिकाते हुए मेरी दोनो टांगों को फैला दिया। मेरी चूत से हम दोनों के वीर्य के बुलबुले निकलने लगे करीब दो बार मेरा बेटा मेरी चूत में झड़ा था। दोनो बार का माल मेरी चूत में ही जमा था।

मेरी टांगे फैलाते ही मेरी चूत की छेद थोड़ी सी खुल गई जिससे वीर्य बाहर आ रहा था। मेरी चूत से टपकते वीर्य को देखकर मेरे बेटे के चेहरे पर कोई जंग जीतने वाली मुस्कान थी। वो मुझे सोफे पर ओनार के चला गया।

दोस्तों उसके बाद क्या हुआ मै आप सभी को कहानी के अगले भाग में बताऊंगी। उम्मीद है आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी। Email:kavitasaw@outlook.com

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