बेटे के दोस्त ने बस अड्डे पर चोदा

मेरा नाम पूर्णिमा है मैं सूरत में रहती हूं। मेरी उम्र 50 साल के आस पास हो चुकी है। मैं आपको मेरी जिंदगी की सबसे डरावनी रात के बारे में बताने जा रही हूं। मैंने कभी अपने सपने में भी नही सोचा था की कभी मेरे बेटे का दोस्त मेरे साथ ऐसा कर सकता है। मैं ऐसा सोच भी नही सकती थी की आज कल के ज़माने का लड़का मेरे उपर इतनी बुरी नजर रखेगा।

अपने बेटे के दोस्त की वजह से मैं 2 से 3 दिनों तक ठीक से चल नहीं पाई। उसने मुझे खड़े खड़े झुकाकर 5 घंटों तक मेरी गांड़ और बुर चोदी। मैं पहले ही बता चुकी हूं की मेरी उम्र 50 की हो चुकी है। चेहरा अब कुछ खास नहीं रहा पर मैं गोरी चिट्ठी त्वचा की मालकीन हूं। मेरा पूरा बदन भरा पूरा है। मेरे शरीर का भार थोड़ा ज्यादा है जिस वजह से अब बढ़ती उम्र के साथ मुझे दिक्कत होती है।

बेटे के दोस्त ने बस अड्डे पर चोदा

मेरी ऊंचाई करीब साढ़े पांच फुट की है। मेरी कमर चौड़ी और मेरी गांड़ किसी बड़े गुब्बारे जैसे है। मेरी चूंचियों का साइज़ K – Cup का है। जिन्हें मैं अच्छे से ढक कर रखती हूं। मैं जानती हुं। की इतनी बड़ी बड़ी चुचियों को छुपाकर रखना मुश्किल है। फिर भी कभी कभार मेरी चूंचियां लोगों के आंखों में आ जाती है। वो लोग मेरी चूंचियों और मेरी थिरकती और हिलती हुई गांड़ को गंदी नजरों से देखते हैं।

जब मैं बाज़ार में चलती थी। तो नौजवान तो नही पर मेरी पति के उम्र के मर्द हमेशा मेरी गांड़ और मेरी चूंचियों को झांका करते थे। लेकिन जल्द ही मेरा वहम टूट गया और मुझे समझ आ गया की मर्द चाहे किसी भी उम्र का हो उसे बस बुर चाहिए चाहें वो किसी भी उम्र की हो।

कुछ दिन पहले की बात है। मेरे घर में मैं और मेरे पति ही रहते हैं। एक बेटा है जो दो साल से पढ़ाई के लिए दूसरे शहर में रहता है। एक दिन उसका मुझे फ़ोन आया की उसकी तबियत खराब हो गई है और उसने मुझे अपने पास बुलाया। मैंने अपने बेटे से कहा ठीक है मैं कल बस पकड़कर उसके पास आ जाऊंगी।

अगले दिन रात 10 बजे मेरी बस थी। लेकिन मेरे पति की नाईट शिफ्ट ड्यूटी थी। इसलिए मुझे बस अड्डे तक छोड़ने नही आ सकते थे और मेरा अकेले बस अड्डे जाना संभव नहीं था। जब ये बात मेरे बेटे को पता चली तो उसने अपने एक पुराने दोस्त वरुण को फ़ोन किया और मुझे बस अड्डे तक पहुंचाने को कहा।

वरुण को मैं पहले से ही जानती थी। जब मेरा बेटा यहां था तो वरुण रोज हमारे घर आया करता था। लेकिन जब से मेरा बेटे दूसरे शहर गया तब से वरुण का मेरे यहां आना बंद हो गया मैं वरुण को जानती थी और मैं उसके इरादे पहले से नही जानती थी। इसलिए मुझे उसके साथ बस अड्डे तक जानें में कोई आपत्ति नहीं थी।

करीब 9 बजे रात को वरुण मेरे घर आया और उसने मुझे चलने को कहा। उसने मेरा बैग उठा लिया और हम घर से निकलकर मेन रोड़ पर आकर ऑटो का इंतजार करने लगे। जल्दी कोई ऑटो नही मिल रही थी और मिली भी तो ट्रैफिक में फंसते हुए हम किसी तरह बस अड्डे पहुंचे। तो पता चला की 10 बजे वाली बस छुट चुकी थी।

हमनें पता किया तो पता चला की अब अगली बस भोर के 3 बजे है। वरुण ने कहा अब क्या करेंगे आंटी तो मैंने कहा वरुण अब घर से वापस 3 बजे आना मुझसे संभव नहीं होगा। मैं यही रुककर 3 बजे वाली बस पकड़ लूंगी तुम चले जाओ।

उसने कहा कोई बात नही आंटी मैं भी रुक जाता हूं। आप अकेली कैसे रहोगी। मैंने उसे जाने को कहा पर वो मुझे अकेला छोड़कर नहीं गया। मुझे भी लगा की रात में मैं अकेली औरत कैसे रहूंगी यहां। मैं चुप हो गई वो भी चुप हो गया। कुछ देरी बाद हम दोनों बस अड्डे की एक बेंच पर बैठ गए।

कुछ ही देरी में बस अड्डे में सन्नाटा पसर गया। वहां कुछ ही गिने चुने लोग थे जो की बस ड्राइवर और खलासी और कुछ एका दुक्का मुसाफिर थे और सारे मर्द मैं मन ही मन सोच रही थी की अच्छा ही हुआ की वरुण मेरे साथ रुक गया। वरना मैं अकेली औरत इन अंजाने मर्दों के बीच कैसे रहती।

काफी देर से मेरे और वरुण में आपस में बात नही हुई। हालाकि हम दोनों एक साथ एक बेंच पर बैठे हुए थे। मैं जब घर से निकली थी तभी से मुझे पिसाब लगी थी। काफी देर से मैंने अपनी पीसाब को रोक रखा था। लेकिन अब मुझसे रुका नही जा रहा था। मैंने वरुण को कहा मैं जरा आती हूं। तो उसने कहा आंटी क्या मैं साथ चलूं।

तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा मैं बाथरूम जा रही हूं। तो वो भी शर्म से मुस्कुराया और कहा ठीक है। आप आइए!! मैं पिसाब की जल्दी में जल्दी जल्दी बाथरुम की ओर जाने लगी। लेकिन जब मैं बाथरुम में पहुंची तो देखा वहां का बाथरुम बहुत गंदा था और बदबू भी थी। मुझे उसमे पिसाब करने का मन नही किया और मैं वापस वरुण के पास लौटकर बेंच पर चुपचाप बैठ गई।

अब मेरे पिसाब का प्रेशर मुझसे बर्दास्त नही हो रहा था मैं अपनी दोनों जांघों को आपस में दबाए हुए थी। लेकिन पीसाब रोकने से मेरे पेट में दर्द होने लगा था। आखिरकार मुझे रहा नही गया और मैंने वरुण से कहा वरुण कोई सुनसान जगह नही है। मुझे काफी तेज पिसाब लगी है। वो मेरी तरफ देखने लगा।

वो मुझे जैसे देख रहा था। मुझे लगा की वो अपनी नजरों से मुझसे सवाल कर रहा हो की आप अभी तो बाथरुम गई थी। मैंने ही सीधे बोल दिया की यहां का बाथरुम गंदा है। तो वरुण बैग उठाकर खड़ा हो गया और इधर उधर नज़रे घुमाने लगा। फिर उसने कहा चलिए आंटी पीछे की तरफ सुनसान जगह है।

मैं भी उसके पीछे पीछे चल दी। वो मुझे बस अड्डे के पीछे जंगल जैसे एक सुनसान जगह पर ले गया। जहां टूटी फूटी बसों का जमावड़ा लगा हुआ था। मुझे अकेले आगे बढ़ने में डर लग रहा था। मैंने वरुण को कहा तुम भी आगे चलो यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी।

मैं आगे आगे और वो मेरे पीछे पीछे आ रहा था। मैं एक साफ सुथरी जगह देखकर रुक गई। मुझे वरुण के वहां होने से कोई आपत्ति नहीं थी। क्योंकि वरुण के वहां होने के शर्म से ज्यादा उसके वहां होने से हिम्मत थी और मुझे डर नहीं लग रहा था।

मैंने पीछे से अपनी साड़ी उठाई और अपनी चड्डी को खींचकर नीचे किया और अपनी साड़ी को पीछे से उठाए हुए बैठकर पिसाब करने लगी। मैं जब पिसाब कर रही थी तो मेरी बुर से निकलते पिसाब की मिट्टी से टकराने की आवाज वरुण और मुझे साफ सुनाई दे रही थी। वरुण मेरी ओर ही देख रहा था। उसको मेरी नंगी गोरी और गुब्बारों जैसी गोल गांड़ साफ दिखाई दे रही थी।

मैंने इतनी देर से पिसाब को रोक रखा था की 5 मिनट तक मेरी बुर से पिसाब की धार मिट्ठी से टकराती रही। इन 5 मिनटों तक वरुण मेरी गांड़ को घूरे जा रहा था। जैसे जैसे मेरी बुर से पिसाब का दबाव कम हो रहा था। वैसे वैसे वरुण का मेरी तरफ देखना अब मुझे खल रहा था और मेरे अंदर के औरत की लाज अब जाग रही थी।

जैसे ही मेरी बुर से मूत का निकलना बंद हुआ मैं उठकर खड़ी हुई और झुककर मैं अपनी चड्डी चढ़ाने लगी। अचानक मेरी नंगी गांड़ पर किसी का तमाचा पड़ा और मैं अंदर से पूरी तरह हिल गई। मैंने जा पीछे देखा तो वरुण खड़ा था। उसने ही मेरी गांड़ पर तमाचा मारा था।

मैंने चौंक कर वरुण को कहा की वरुण क्या कर रहे हो और अपनी चड्डी चढ़ाने लगी। तो उसने एक जोर का मुक्का मेरी गांड़ पर मारा जिससे मैं थोड़ी आगे चल गई। चांद की रोशनी में मैं उसको और वो मेरे हर अंग को साफ देख सकता था। फिर उसने मेरी दोनों टांगों में घुटनों पर फंसी चड्डी को अपने पैर से दबा दिया।

मेरी चड्डी अब उतरकर मेरी एड़ियों में आ गई। फिर उसने तुरंत अपनी उंगली सीधी मेरी बुर में घुसा दी। मैं कुछ सोच समझ पाती उससे पहले वो अपनी उंगली से मेरी फूल जैसी कोमल और बड़ी और फुली फांकों वाली बुर को अपनी उंगली से हिडने लगा। वो मेरी बुर में चारों तरफ अपनी उंगली घुमा रहा था। उसके उस व्यव्हार से मुझे काफी गहरा सदमा लगा।

मैं उसे रोकने समझाने की बहुत कोशिश कर रही थी। लेकिन वो नही माना फिर उसने अपनी दो उंगलियों को मेरी बुर में एक साथ घुसा दिया और अपनी उंगलियों को मेरी बुर में अंदर बाहर करने लगा। मैं दर्द से नही उसे वव्यहार से चीख रही थी। बस…. वरुण न न…. मत करो गलत है। लेकिन वो नही रुका मैंने कहा अपनी दोस्त की मां के साथ ऐसा नहीं करते

मैं खड़ी और आगे से झुकी हुई थी और वो मेरी बुर में अपनी मोटी मोटी दोनों उंगलियों से मेरी बुर को चोद रहा था। मैं अपना सर पीछे घुमाकर उसकी सारी करतूत देखकर उसे ये सब रोकने के लिए बोल रही थी। फिर उसने अपनी पैंट उतारी और अपना मोटा लिंग बाहर निकाल लिया। मैं उसका मोटा गठीला लंड देखकर रोने लगी।

मैं उसके लंड के साइज़ और मोटाई को देखकर सहम गई थी। जिससे मुझे रोना आ रहा था। मैं न न… नही ई…. वरुण …. नही। फिर उसने अपनी दोनों उंगलियों को मेरी बुर से निकाल लिया और मैं तूरंत खड़ी होकर चड्डी चढ़ाने लगी। तो उसने मेरी पीठपर एक कोहनी मारी और एक पंच मेरी बुर पर मारी मैं उसकी मार से और ज्यादा रोने लगी।

उसने अपनी मर्दाना आवाज में मुझे चुपचाप झुकी रहने को कहा मैं उसकी मार के डर से झुकी रही। वो मेरी बुर और गांड़ को देखकर अपने लंड को सहलाते हुए लंड को जोश दिला रहा था। अब उसके लंड का सुपाड़ा गोल हो चुका था और उसके लंड के पीछे का हिस्सा गठीला और मोटा हो चुका था। मैं उसके लंड की चुदाई के डर से मिमिया कर किसी बकरी की तरह रो रही थी।

फिर उसने अपने लंड पर थूक लिया और अपने लंड को मेरी दोनों टांगों के बीच लाकर अपने लंड से मेरी बुर को ऊपर से नीचे तक घिसने लगा। उसके थूक से लथपथ लंड के घिसाव से मेरी बुर भी उसके थूक से लपलपा गई थी। फिर उसने एक हाथ से मेरी साड़ी को कमर से पकड़ा और दूसरे हाथ से मेरी दाई जांघ को पकड़ा।

फिर उसने अपना लंड मेरी बुर में दबाना चालु किया लेकिन थूक से फिसलकर उसका लंड मेरी गांड़ की दरार में घुस गया। उसे उसका एहसास नहीं हुआ। वो अभी भी मेरी गांड़ में अपना लंड दबाए जा रहा था। अचानक उसके लंड का गोल सुपाड़ा मेरी गांड़ की सुराख पर आ गया।

मैं तूरंत चिल्लाकर उसे रोकने लगी। न न नही ई…. वरुण न नही… ये गांड़ है नही यहां नही…. उसके मुंह से जवाब आया। मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता की मेरा लंड गांड़ में जा रहा है या बुर में ! उसका लंड उसके दबाव के कारण मेरी गांड़ की दरार में टेढ़ा होने लगा। उसके लंड का सुपाड़ा मेरी गांड़ के सुराख पर था।

अचानक उसके गठीले लंड का सुपाड़ा मेरी गांड़ के सुराख को फाड़कर अंदर घुस गया। उसी वक्त उसने एक और धक्का लगा दिया और उसका पूरा लंड मेरी गांड़ में घुसकर सीधा हो गया। उस वक्त का दर्द में आपको बता नही सकती थी। मेरी गांड़ में इतना भयानक दर्द हुआ की मेरी आंखें बाहर आने को हो गई।

मैं एक तेज चीख के साथ रोने लगी। आह्ह्हह…… माई… मर गई ई…. वरुण नही… नही… रुक कक….. जाओ वरुण… आह्ह्ह्हह दर्द कर रहा है। लेकिन वो किसी बौखलाए सांढ की तरह मेरी गांड़ मे अपना लंड घुसाकर मेरी कमर पकड़े हुए था।

फिर उसने अपनी कमर से मेरी गांड़ में अपने लंड का धक्का देना शुरू किया। मैं आह… आह… कर रही थी उसे छोड़ दो वरुण आह… ओहह उम्म… आह…. कर रही थी। लेकिन उसने मेरी एक ना सुनी मैं दर्द से तड़पती रही और वो मेरी गांड़ पर चांटे मार मारकर मेरी गांड़ मारता रहा करीब 20 मिनट तक बिना रुके उसने मेरी गांड़ मारी।

फिर उसने अपना लंड मेरी गांड़ से बाहर निकाल लिया और अपने फ़ोन से मेरी चुदी हुई गांड़ की फ़ोटो लेने लगा। फिर उसने मुझे अपना फ़ोन दिखाते हुए कहा देखो आंटी आपकी गांड़ कितनी जबर्दस्त चुदी है। जब मैंने उसके फ़ोन में अपनी गांड़ की फ़ोटो देखी तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए उस फोटो में मेरी गांड़ की सुराख 5 इंच गोलाई में गोल हो चुकी थी और सुराख के अंदर देखने से मेरी गांड़ के अंदर मांस दिख रहा था।

वरुण मेरी गांड़ से अपना लंड निकाल चुका था। मुझे लगा की अब उसका मन भर गया है। वो अब मुझे छोड़ देगा मेरी गांड़ में तेज दर्द हो रहा था। मैं जैसे तैसे सीधी हुई और अपनी चड्डी ऊपर चढ़ाने लगी। तो वरुण ने मेरी पीठपर फिर एक मुक्का मारा और मेरी गांड़ पर अपने घुटनें से वार किया।

मैं फिर से बकरी की तरह मिमियाने और रोने लगी। मुझे मारते हुए उसने कहा की आंटी आपको चड्डी पहनने की जल्दी क्यों है अभी मेरा लंड झड़ा नहीं अभी तो इसे आपकी बुर में घुसाना है। मैं उसकी बातों को सुनकर और रोने लगी। उसने मुझे फिर खड़े खड़े आगे से झुका दिया और पीछे से मेरी साड़ी उठा दी।

वो मेरी नंगी गुब्बारों जैसी गांड़ पर चांटे मारने लगा। फिर उसने मेरी चड्डी पकड़ी और एक ही बार में मेरी चड्डी को फाड़ कर मेरी टांगों से निकाल दिया और मेरी चड्डी की हालत पोंछे जैसी कर दी। फिर उसने अपना मोटा गठीला लंड पकड़ा और लंड को मेरी बुर पर घिसने लगा।

मैं जानती थी की इस बार वो मेरी बुर को चोदेगा। मैं अभी भी उसे रोकने का प्रयास कर रही थी। लेकिन वो मुझे चोदने की नीयत में था उसने मेरी बातों को अनसुना करते हुए अपने मोटे गठीले लंड का गोल सुपाड़ा मेरी बुर के छेद पर अड़ा दिया। फिर उसने मेरी गांड़ को अपने हवसी पंजों से मसलना शुरू किया।

जब वो अपने सख़्त पंजों से मेरी गांड़ को मसल रहा था। तो मेरी गांड़ चुदाई का दर्द फिर से हरा हो गया। मुझे उसके पंजों के दबाव से मेरी गांड़ के मांस में दर्द हो रहा था और मेरी गांड़ के सुराख में भी तेज़ दर्द हो रहा था। जैसे ही मेरा ध्यान उसके लंड पर से भटका अचानक उसने अपना मोटा गठीला लंड मेरी बुर में धकेल दिया।

अचानक अपनी बुर में लंड घुसने से मैं एक दम से सकपका गई। मैं कुछ समझ पाती तब तक उसने दूसरे धक्के में अपना पूरा लंड मेरी बुर में उतार दिया। अब वरुण दनादन मेरी बुर में अपना लंड अंदर बाहर खींचने लगा। उसने अपने दोनों हाथों के अंगूठे से मेरी बुर के फांकों को फैला लिया था।

किसी तगड़े सांढ की तरह वो मेरी बुर में अपना मोटा तगड़ा लिंग डालकर मेरी बुर को चोद रहा था। उसके धक्कों से मेरी बुर का बुरा हाल हो रहा था। उसके तेज़ धक्कों से मेरी बुर को तकलीफ हो रही थी। चुदते चुदते अचानक से मेरा पिसाब निकल गया। फिर वरुण मेरे पेट के नीचे से अपना एक हाथ मेरी बुर पर ले गया।

वरुण मेरी बुर में अपने लंड से धक्के देने के साथ साथ ही मेरे बुर के दाने को अपनी उंगलियों से छेड़ रहा था। उसके मेरी बुर के दाने को रगड़ना मेरी बुर को सहन नही हो रहा था। सच बताऊं तो मुझे उस वक्त अच्छा भी लग रहा था। उस वक्त मैं उसकी जबरदस्ती को भूल गई थी।

अचानक मेरी बुर सिकुड़ने लगी और वरुण का लंड मेरी बुर में तंग जानें लगा। मैं उसके सामने झड़ना नही चाहती थी क्योंकि उसे लगता की मुझे भी मजा आ रहा है। लेकिन मैं खुद को रोक नहीं पाई और मैं झड़ गई। वरुण को भी मेरे झड़ने का एहसाह हो गया उसके लंड पर मेरी बुर का गरम पानी निकल रहा था।

मेरे झड़ते ही वरुण मेरी बुर को और तेज रफ़्तार के साथ चोदने लगा। 10 से 15 धक्कों के बाद वो भी हाँफने लगा और कुछ देर बाद उसने अपना सारा माल मेरी बुर में ही निकाल दिया। उसके लंड से निकले वीर्य से मेरी बुर लबालब भर चुकी थी। मैं अचंभित हो गई थी की किसी के लंड से इतना वीर्य कैसे निकल सकता है।

जब उसका लंड पूरी तरह मेरे बुर में ख़ाली हो गया तब उसने अपना लंड धीरे धीरे मेरी बुर से बाहर खींचते हुए मेरे चेहरे के साथ मेरी बुर से अपने बाहर निकलते हुए लंड की एक वीडियो बना ली और अपना लंड मेरी बुर से निकाल लिया। जब उसने मेरी बुर से अपना लंड निकाला तो उसका लंड वीर्य से सफ़ेद हो चुका था। अब मेरी बुर में हल्का हल्का महसूस हो रहा था। फिर उसने मेरी फटी हुई चड्डी को मेरी बुर में ठूंस दिया।

मेरी गांड़ का तो दर्द से बुरा हाल था। अभी भी लग रहा था की मेरी गांड़ में कोई मोटी सी चीज घुसी हुई है। मुझे चलने में तकलीफ हो रही थी। लगभग एक घंटे की चुदाई में उसने मेरी गांड़ और बुर का अंजर पंजर ढीला कर दिया था। अब मुझे लगा की वरुण अब मुझे छोड़ देगा पर मैं गलत थी।

एक तो मैं लंगड़ा लंगड़ाकर चल रही थी। तभी उसने मुझे एक जर्जर खराब पड़ी कबाड़ बस में चढ़ने को कहा और मुझे पीछे से धकेलकर मुझे बस में चढ़ा दिया। साथ ही वो भी मेरा बैग लेकर मेरे पीछे से बस में चढ़ गया। मुझे समझ नही आ रहा था की वो अब क्या करने वाला है। फिर मैंने सोचा अब ये मुझे चोद तो चुका ही है। इससे और बुरा क्या करेगा।

फिर वो मुझे उस जर्जर कबाड़ बस के पीछले सीट तक ले गया और खुद उस गद्दीदार सीट पर पहले ही बैठ गया। फिर उसने मुझे बस की सीट पर बैठने को कहा और बोला आंटी अब यहीं 3 बजे वाली बस का इंतजार करेंगे। मैं चुपचाप उससे थोड़ी दूर उसी सीट पर चुपचाप बैठ गई।

फिर उसने अपनी पैंट उतारकर अपने घुटनों तक सरका दी और मुझे दिखाकर अपने मोटे गठीले लंड की चमड़ी को ऊपर नीचे खिसकाकर अपने लंड को ताव दिलाने लगा। मैं उसकी हरकतों को देखकर फिर से डर गई। मैं सोचने लगी की अब ये क्या करने वाला है। तभी उसने मेरा सिर पकड़ा और एक झटके में मेरे सर को अपनी गोद में दबा लिया।

मैं उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी। लेकिन उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी की मैं चाह कर भी उससे छुट नही पाई। फिर उसने अपना मोटा तगड़ा लंड एक हाथ से पकड़ा और मेरे मुंह में डालने की कोशिश करने लगा। मैंने अपने दोनों होठों को आपस में कस लिया ताकि वो मेरे मुंह में अपना लिंग न डाल सकें।

लेकिन तभी उसने मेरे एक गाल पर झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया। मैं रोने लगी और मेरा मुंह खुल गया तभी उसने अपना लंड मेरे मुंह में घुसा दिया। उसके लंड का सुपाड़ा इतना बड़ा और गोल था की मेरे मूंह में नहीं जा रहा था। मेरा मुंह पूरा खुला हुआ था। उसने ज़ोर जबरदस्ती करके अपना आधा लिंग मेरे मुंह में घुसा दिया।

वो अपने हाथ से मेरा सिर उपर से दबाता और नीचे से अपनी कमर उठाकर अपना लंड मेरे मुंह में ठेलता फिर भी उसका बड़ा मोटा लंड मेरे मुंह में नही समा पाया और जब मैं खांसने लगी। तब वो रुक गया और अपना आधा लंड ही मेरे मुंह में दिया।

उसने मुझसे कहा चूसो मेरे लंड को आंटी मजा आयेगा। जब मैंने न नुकुर की तो फिर से उसने मेरे गाल पर एक जोर का थप्पड़ रसीद कर दिया। अब मेरे पास उसके लंड को चूसने के अलावा कोई चारा नहीं था। मैं मन न होते हुए भी उसका लंड चूसने लगी। कुछ ही देर में उसका लंड एक दम टाईट हो गया।

वो मुझसे अपना लंड चुसवाते हुए मेरी ब्लाउस में हाथ डालकर मेरी K-cup साइज़ की दोनों चूचियों को मसल रहा था। फिर उसने अपना लंड मेरे मुंह से निकाला और मुझे सीट पर सीधी होकर लेटने को कहा। मैं धीरे धीरे उठकर लेटने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उसे हड़बड़ी थी तो उसने मुझे पकड़कर मुझे सीट पर पटक दिया।

जल्दी से उसने मेरा पल्लू मेरे सीने पर से खींच दिया और ब्लाउज़ के उपर से ही मेरी दोनों चूचियों को दबाने लगा। फिर उसने मेरी ब्लाउज़ खोल दी और ब्रा के उपर से ही मेरी चुचियों को दबाने लगा। वो अब सीट पर मेरे दोनों बगल अपने घुटनों के बल मुझपर चढ़ा हुआ था।

उसका नंगा मोटा और गठीला लंड मेरे चेहरे के सामने और मेरी छाती के उपर लहरा रहा था। फिर उसने मेरी टाईट ब्रा को खोलने की कोशिश की जब मेरी ब्रा उससे नही खुली तो उसने गुस्से से मेरी ब्रा को फाड़ दिया और एक झटके में मेरी ब्रा मेरे तन से अलग कर दी।

फिर उसने अपना लंड मेरी दोनों चूचियों के बीच रखा और अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों चूचियों को आपस में चिपकाकर अपने लंड को मेरी चूंचियों से दबाकर मेरी चूंचियां मसलते हुए अपने लंड से मेरी चूंचियों को चोदने लगा।

मेरे साथ ऐसा पहली बार हो रहा था की कोई मेरी चूंचियों को चोद रहा हो। मैं अभी भी उसे रोकने को कह रही थी। लेकिन वो अब दरिंदा बन चुका था। वो मेरी गोरी गोरी चूचियों को मसलते हुए बीच में अपना लंड डालकर मेरी चुचियों को चोद रहा था।

वो ऐसे ही 10 से 15 मिनट तक मेरी चूंचियों को अपने लंड से चोदता रहा। बाद में जब उसका मन मेरी चूंचियों को चोदकर भर गया। तो उसने मुझे पकड़ा और उठाकर सीट पर सीधा बैठा दिया। मैं चुपचाप सीट पर बैठी थी। वो मेरे चेहरे के पास अपने लंड की चमड़ी सरकाकर मूझे दिखा रहा था।

वो अपना लंड हिलाते हुए बीच बीच में अपने लंड से मेरे दोनों गालों पर थप्पड़ मार रहा था। फिर उसने अचानक मेरी दोनों टांगों को पकड़ा और उपर उठा दिया। मैं पीठ और गर्दन के बल सीट पर फैल गई। फिर उसने अपनी पैंट पूरी उतार दी।

फिर उसने मेरी साड़ी उठाकर मेरी कमर तक कर दी। अब मेरी टांगें और बुर पूरी तरह नंगी हो चुकी थी। फिर वो घुटनों के बल मेरी दोनों जांघों के बीच बैठ गया और अपना लंड मेरी बुर पर से रगड़ते हुए मेरी गांड़ की सुराख पर ले गया। एक बार फिर मैं उस दर्द को याद करके सिहर सी गई।

मेरी दोनों टांगें उठने से मेरी गांड़ की सुराख खुल गई थी। उसने अपना लंड फिर एक बार मेरी गांड़ की सुराख पर लगाया और अपनी कमर आगे चलाई और एक तेज दर्द और चीख के साथ उसका लंड फिर मेरी गांड़ में घुस गया।

मैं दर्द से रोती रही वो मुस्कुराते हुए मेरी गांड़ मारता रहा। करीब 15 मिनट मेरी गांड़ मारने के बाद अचानक उसकी स्पीड तेज हो गई और उसने अपना फ़ोन निकाला और वीडियो रिकॉर्डिंग चालू की वो मेरे दर्द से कराहते चेहरे मेरी नंगी बड़ी बड़ी चुचियों और मेरी गांड़ में घुसते मोटे लंड की विडियो बनाने लगा। अचानक वो रुक गया और मेरे गांड़ में उसके गरम वीर्य की बाढ़ आ गई।

मेरी गांड़ में झड़ने के बाद वो धीरे धीरे अपना लंड मेरी गांड़ से निकालते हुए विडियो बनाने लगा। विडियो में साफ दिख रहा था की उसके लंड के साथ साथ मेरी गांड़ से उसका वीर्य निकला रहा था। उसके कुछ देर बाद उसने अपना लंड अब मेरी बुर में डाल दिया और मेरी बुर में न जाने कितनी बार बाढ़ ले आया।

उस रात तीन चार बार वो मेरी बुर में झड़ा था। आखिरी बार जब उसने मेरी बुर चोदी और मेरी बुर में अपना वीर्य छोड़ा तब उसने फिर विडियो रिकॉर्डिंग चालू की और बोलने लगा। आज मैं अपनी आंटी को चोद रहा हूं। आप सभी देख सकते है की मेरा लंड अभी मेरी आंटी की बुर में है और मैंने अपना सारा माल आंटी की बुर को पिला दिया है। फिर उसने धीरे धीरे अपना लंड मेरी बुर से निकाला और मेरे चेहरे के साथ अपने मेरी नंगी चूचियों और मेरी बुर से निकलते अपने लंड को विडियो में कैद करने लगा।

उसके बाद मेरी बस का टाइम हो चुका था। तो उसने मुझे अपने कपडे ठीक करने को कहा और खुद भी अपने कपड़े पहने और मुझे धमकाते हुए कहा की अगर अपने ये सब किसी को बताया तो आपकी चुदाई का विडियो है मेरे पास फिर उसने मेरी फटी हुई ब्रा और चड्डी को अपने पास रख लिया और कहा इन्हें मैं आपकी चुदाई के याद में अपने पास रखूंगा।

उसके बाद मैं लंगड़ाती हुई धीरे धीरे बस तक गई उसने मुझे बस में बैठा दिया और वो चला गया। मेरा पूरा बदन चुदाई से हिल गया था। न जानें कितनी बार उसने मेरी गांड़ और बुर चोदी थी। मेरी गांड़ में दर्द होने से मुझसे बैठा भी नही जा रहा था। मेरी बुर में अनगिनत बार लंड के घिसाव से मेरी बुर के फांकों में जलन हो रही थी।

सारे सफर मैं उस भयानक रात को याद कर करके रोती रही। हालाकि बीच बीच में उसका लंड मुझे भी मजा दे रहा था। आज तक मेरे पति ने 6 महीनों में मेरी इतनी चुदाई नही की थी जितनी मेरे बेटे के दोस्त ने मुझे एक रात में चोदा।

अपने बेटे के पास पहुंचकर मुझे अच्छा तो लगा। लेकिन 2 – 3 दिनों तक मुझे चुदाई का दर्द रहा और मुझे चलने हगने में तकलीफ हुई लेकिन उसके बाद मैं उस रात के बारे में भूलने लगी। मैं बड़ा दिल रखकर वरुण को माफ कर चुकी थी। शायद उसने जवानी के जोश में ऐसा कर दिया होगा। मैंने खुद को समझा लिया और हंसी खुशी अपने बेटे के पास 20 दिन रही।

जब वो ठीक हो गया तो मैं घर वापस लौट आई। तो उम्मीद करती हूं मेरी ये साथ घटी ये सच्ची घटना ” बेटे के दोस्त ने बस अड्डे पर चोदा “आप सभी को पसंद आई होगी।

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