बेटे का मोटा लंड

मैं सबिता आप सभी का इस कहानी में स्वागत करती हूँ। उम्मीद है आप सभी को मेरी रसीली बूर की चुदाई की कहानी जो करीब 10 साल बाद मेरे बेटे के ही लंड से चुद गयी आप सभी को पसंद आये मैं अब 45 की हो चुकी हूँ। पर मेरी चुदने की तम्मना आज भी मेरे मन में रहती है। 10 साल पहले मेरे पति गुजर चुके थे।

जिसके बाद मैं कभी चुदी नही थी। पति के गुजरने के बाद मेरे मन में चुदाई की इच्छा तो होती ही थी। पर मैं अपनी इच्छा को अपने मन में ही दबा लेती थी। कई बार तो मन किया कि पड़ोस के मर्दों से संबंध बनाऊ पर समाज के डर से ऐसा करने की हिम्मत ही नही हुई।

मैं बस घर में छुप छुपाके सब्जियों और केले से ही अपनी बूर को सांत करती थी। मैं आपको बता दूं कि मुझे इस उम्र में भी अपनी बूर को साफ सुथरा रखने की आदत थी। मैं अपने बूर को सहेज कर रखती हूं। मैं नियम से अपनी झांटो को हेयर रिमूवल क्रीम से साफ किया करती हूँ। जिससे मेरी बूर अभी भी एक दम साफ सुथरी रहती है।

मेरे बेटे का नाम रवि है जो कि अब बड़ा हो चुका था। और शरीर से काफी दुबला-पतला था। घर मे बस हम माँ बेटे ही रहते थे। सब कुछ अभी तक ठीक-ठाक ही चल रहा था। पता नही कैसे रवि को गलत लोगों की संगत हो गयी। वो काफी बिगड़ चुका था। मैं उसे बहुत समझाती पर वो न तो मुझसे डरता था। न ही मेरी बात मानता था।

एक दिन की बात है। रात के करीब 8 बज रहे थे। मैं घर मे अकेली बैठी थी। तभी दरवाज़े की बेल बजी जब मैंने दरवाजा खोला तो देखा कि रवि नशे में धुत था। उसके कपड़े गंदे थे और उसके दो दोस्त उसे कंधे के सहारे पकड़े हुए थे। वो इतना नशे में था कि वो अपने पैरों पर खड़ा भी नही हो पा रहा था।

उसके दोस्त रवि को कमरे में लेटा कर चले गए। फिर मैं उसके कमरे में गयी और उसे खूब खरी खोटी सुनाने लगी। पर रवि को कोई फर्क नही पड़ रहा था। क्योंकि वो बेसुध बेहोश बिस्तर पर पड़ा था। गुस्से से उसके कमरे से निकलते हुए मैंने घर का मेन डोर लॉक किया और फिर से रवि के कमरे के अंदर गयी। और फिर मेरा ध्यान उसके गंदे कपड़ो पर गया।

मैंने मन ही मन सोचा कि इसके गंदे कपड़े निकाल देती हूँ। नही तो बिस्तर भी गंदी हो जाएगी। फिर मैं उसके पास जाकर बैठ गयी और उसके गले में हाथ डालकर उसे उठाया और उसकी टीशर्ट निकाल दी नीचे उसने जीन्स पहनी थी। तो मैंने सोचा कि उसकी जीन्स भी निकाल देती हूँ। ताकि इसे सोने में तकलीफ न हो।

मैंने उसकी बेल्ट खोली और जीन्स की बटन को खोल दिया फिर मैंने उसकी जीन्स को जैसे ही नीचे की तरफ खींचा तो जीन्स के साथ उसकी चड्डी भी नीचे आ गयी। मुझे उसका औज़ार दिख गया शर्म के मारे मैंने अपनी आंखे बंद कर ली। पर वहाँ कोई नही था। तो मैंने अपनी आंखों खोली और मेरी नज़र उसके लंड पर पड़ी।

मैंने देखा उसका लंड घनी झांटो से घिरा हुआ था। उसका आधा लंड अभी भी उसकी चड्डी के अंदर ही था। और उसकी चड्डी में असामान्य उभार दिखाई दे रहा था। ऐसा मानो की कोई मोटा खीरा हो मुझे रवि के दुबले-पतले शरीर को देखकर ऐसा सोच भी नही सकती थी की उसका लंड इतना मोटा हो सकता है।

फिर मैंने रवि की ओर देखा तो वो अभी भी नशे में बेहोश लेटा हुआ था। मैंने उसकी जीन्स निकाल दी अब मेरे मन में उसके लंड को देखने की खुदबुदी होने लगी। मैं बार-बार उसके चड्डी को निहारती और उसका लंड चड्डी से जितना बाहर दिखाई पड़ रहा था उस हिस्से को देखती।

मेरे मन में चुदाई का लालच आने लगा था। पर वो मेरा बेटा है ये सोचकर रुक जाती। उस वक़्त मुझपे क्या बीत रही थी मैं ही जानती हूँ। 10 साल बाद मेरी नज़रो ने लंड देखा था। मेरे होंठ सूखने लगे थे अब जब मुझसे रहा नही गया तो मैंने हिम्मत करके रवि के चड्डी के इलास्टिक को अपने हाथ से पकड़ा और उसकी चड्डी को खींच कर उसके जांघ तक कर दिया।

मेरे होश उड़ गए जब मैंने उसके लंड का साइज देखा कोई सोच भी नही सकता था कि इतने पतले-दुबले लड़के का इतना मोटा औज़ार(लंड) हो सकता है। उस वक़्त पता नही मुझे ज़्यादा आश्चर्य हो रहा था या मुझे खुसी हो रही थी। मैं उसके लंड को देखकर बौखला सी गयी थी।

फिर मैंने उसके लंड को छुआ और अपनी आंखें बंद करके मेरे पति जब मुझे चोदते थे उन पलों में खो सी गयी। फिर मैंने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में लिया तो मेरी हथेली गर्म हो गयी। और उसके सोये लंड को जब सीधा करने लगी तो उसके भारी लंड को सीधा करने में मुझे मालूम पड़ा कि मेरे बेटे के लंड में कितना वजन है।

फिर मैंने उसके लंड को सीधा करके पकड़ा और जाँचने लगी मै मन मे ही बोली कि इतना मोटा लंड तो कभी नही देखा क्या हालत होगी उस बूर की जिसे मेरे बेटे का मोटा लंड चोदेगा। उसके बाद मैंने उसके लंड की चमड़ी को पीछे सरकाया जिससे उसके लंड का बड़ा सा गोल सूपड़ा बाहर आया मुझे उसके सुपड़े को देखकर उसका स्वाद चखने का मन करने लगा।

मैंने रवि की ओर देखा वो अभी भी बेहोश था मैंने उसके तरफ देखते हुए ही अपनी जीभ उसके सुपड़े पर रखी और धीरे-धीरे सुपड़े के चारों तरफ अपनी जीभ चलाने लगी। मैं अपनी जीभ से उसके सुपड़े को चाटने लगी जिससे उसका सूपड़ा थूक से चमकने लगा। मेरे ऐसा करने से उसका लंड और ज्यादा मोटा और टाइट होने लगा।

रवि को बेहोसी में भी उतेजना हो रही थी। पर उसकी आंखें बंद थी। फिर मैंने उसके लंड को धीरे-धीरे अपनी मुँह के अंदर भरने लगी करीब उसके आधे लंड को मैं अपने मुँह में लेकर गपागप चूसने लगी। कुछ ही पलों में मेरे मुँह में लंड के घिसाव से ढेर सारा थूक भर गया और रवि का मोटा तगड़ा लंड मेरी थूक से सन गया।

इधर मेरी बूर में भी पानी आने लगा था अब मैं और मेरी बूर दोनों गर्म हो चुके थे। अब मेरी बूर को रवि के गधे जैसे लंड की तलाश थी। मैं किसी भी कीमत पर ऐसा मौका नही जाने दे सकती थी। पर उसके लंड का साइज देखकर मुझे घबराहट भी हो रही थी। कि कही मैं उसके मोटे लंड के मेरी बूर में घुसते ही चींख पड़ी और वो उठ गया तो मेरी चुदाई की चाहत मेरे और मेरे बेटे के रिश्ते को ही न खत्म कर दे।

मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि मेरी आंखों के आगे बस रवि का लंड ही दिखाई पड़ रहा था। मेरे अंगों में आग सी लग गयी थी मैं अपने ही हाथों से अपनी चुचियाँ और अपनी बूर को मसल रही थी। अब मेरी बूर का 10 सालों का उपवास तोड़ने का सही मौका था। तो मैंने अपनी नाइटी उठाई और अपने पेटिकोट का नाड़ा खोल दिया

नाड़ा खुलते ही मेरी पेटिकोट जमीन पर आ गयी और मैंने अपनी नाइटी को अपने पेट के ऊपर बांध लिया। की कहीं अगर रवि की नींद खुलने लगी तो मुझे अपने कपड़े ठीक करने या वहां से भागने का मौका मिल जाएगा। फिर मैंने अपने मुँह से थूक निकाला और अपनी बूर पर लगा दिया।

फिर मैं रवि के कमर के दोनों तरफ अपनी टाँगे करके ठीक अपनी बूर को उसके लंड के सीध में करके हवा में बैठ गयी। फिर मैंने उसके लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा और अपने बूर के दोनों पट्टो के बीच लगा दिया। उसका लंड मेरे बूर के दोनों पट्टो को फैलता हुआ बूर के छेद पर अड गया।

अब मैं अपनी दो उंगलियों से उसके लंड को संभालती हुई उसके लंड पर धीरे-धीरे बैठने लगी उसका सुपड़े तक तो लंड आराम से मेरी बूर में घुस गया। जब मैंने लंड को बूर में और अंदर करने के लिए अपनी कमर दबानी शुरू की तो मेरी बूर में बहुत दर्द होने लगा। “ऐसा लग रहा था कि चींटी के बिल में हाथी घुस रहा हो”। मेरी बूर के दोनों पट्टो में दर्द होने लगा।

पर मैं इस सुख के लिए वो दर्द झेल सकती थी। तो मैंने धीरे धीरे करके आधा लंड अपनी बूर में ठूस लिया उस वक़्त मुझे ऐसा दर्द हुआ कि मानो मेरी बूर की सील दुबारा टूट गयी हो। अब मैं उसके आधे लंड को ही अपनी बूर में पेलने लगी। दर्द के मारे मेरी जान जा रही थी। पर मैं चींख भी नही सकती थी। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और अपनी कमर को ऊपर नीचे करके मैं रवि के लंड पर उछलने लगी।

कई सालों बाद मेरी बूर आज चुद रही थी। उस उत्सुकता और रवि के मोटे लंड से बूर में रागड़ाव से मेरी बूर का पानी चुदते-चुदते ही रवि के लंड पर ही झड़ गया और मेरी बूर का वीर्य रवि के लंड को अंतिम जड़ तक गिला कर चुका था। जिससे अब रवि का लंड आसानी से मेरी बूर में पिछल रहा था।

अब मैंने सोचा कि क्यों न एक बार पूरा लंड अपनी बूर में ले लूं। तो मैंने अपनी कमर ऊपर की और उसके लंड को अपनी बूर के बाहर निकाला और देखा कि लगभग 5″ लंड से ही मैं अब तक चुद रही थी। उसके लंड का 3″ का हिस्सा मेरी बूर में नही गया था। मैंने अपनी बूर को उसके लंड के निशाने पर किया और फिर उसके लंड को पकड़ कर अपनी बूर के छेद में डाल दिया।

अब मैं धीरे धीरे लंड पर बैठने लगी उसका लंड भी आसानी से पिछलता हुआ मेरी बूर में उतरने लगा अंत में मैंने अपनी कमर को ज़ोर से लंड पे दबा दिया जिससे पूरा लंड मेरी बूर में समा गया। जैसे ही उसका मोटा लंड पूरा मेरी बूर में घुसा तो उसके लंड ने मेरी बच्चेदानी में चोट मार जिससे मैं दर्द से तड़पकर रह गयी।

अब उसका लंड पूरा अंदर तक मेरी बूर को फाड़ चुका था। और मेरी बूर के पट्टे उसकी झांटो से रगड़ खा रहे थे। मुझे भी मज़ा आने लगा मैं अपनी गांड आगे पीछे करके उसके लंड की सवारी करने लगी। रवि का लंड एक दम कड़क मोटा हो चुका था।

फिर मैं उछल-उछल कर धक्के मारने लगी और उसके लंड से अपनी प्यासी बूर को चोदने लगी। करीब 20 मिनट की ऐसी चुदाई करने के बाद मैं झड़ने वाली थी। मेरी बूर सिकुड़ने लगी थी जिससे रवि के लंड पे दबाव बढ़ने लगा होगा। मैं उस वक़्त उसके लंड को अपनी बूर में जकड़ते हुए तेज़-तेज़ उछल कर अपनी बूर को चोदने लगी।

दो चार उछालो में ही मेरी बूर फिर झड़ गयी। और उसके कुछ पल बाद ही रवि के लंड ने भी मेरी बूर में वीर्य के फुहारे मार दिए। मेरी बूर से वीर्य की नदी बहने लगी। तभी मेरी नज़र रवि की तरफ गयी। उसकी नींद खुल रही थी वो अब जाग रहा था तभी मैंने झट से उसका लंड अपनी बूर से बाहर किया और बिस्तर से नीचे कूदकर कमरे की बत्ती बंद की और अपने कमरे में भाग गई।

मैं अपने कमरे में आकर सीधा बॉथरूम गयी और वही बैठ गयी और अपनी बूर में भरे रवि के वीर्य को नीचे पेसाब के साथ बून्द-बून्द करके अपनी बूर से निकालने लगी।

तो दोस्तों कैसी लगी आपको ये मेरी कहानी उम्मीद करती हूँ कि आप सभी को पसंद आई हो।

error: Content is protected !!

DMCA.com Protection Status