बड़ी माँ की भोसड़े की चुदाई

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम नवीन है और मैं ओड़िसा का रहने वाला हूँ। आप का समय ख़राब का करते हुए मैं अब सीधा इस चुदाई की कहानी पर ही आता हूँ। मेरी बड़ी माँ एक गदराई हुई मध्यम उम्र की औरत हैं।

वो देखने में एकदम हॉट किसी मस्त कामुक माल की तरह लगती हैं उनकी टाईट गोल और बड़ी चुचियाँ और मांस से भरी बड़ी बड़ी गांड भी हैं उनकी। बड़ी माँ को देखते हुए किसी का भी लौड़ा खड़ा हो जाए ऐसी उनकी रूप रेखा हैं। उनकी आँखों मे देखने से ही पता चलता है कि वो चुदाई की कितनी भूखी हैं। पर सीधे उनसे चुदाई की बात करने भला हिम्मत कैसे करता।

एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था सिर्फ मैं और मेरी बड़ी माँ थे। वो दोपहर में सो गई थी तभी मैं कॉलेज से घर आया तो देखा की बड़ी माँ सोई हुई थी। और उनके कपड़े थोड़े अस्त व्यस्त थे यानी कि उनकी साड़ी ऊपर उठी हुई थी और उनका पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। मैं थोड़ा चलकर उनके सामने आया तो मुझे उनकी पेट के नीचे का हिस्सा यानी कि उनकी झाँटे दिखने लगी।

मैं उनकी पैरो की तरफ आ गया तो मुझे उनकी पसीने से लदफद मोटी जाँघे और बुर की झाँटे जो पूरी तरह पसीने से भीगीं हुई थी। मैं घबराता हुआ उनकी टाँगो के बीच और पास चला गया। और बड़ी माँ को नींद में सोच कर उनकी टाँगो के बीच बैठ गया।

मेरी सांसे तेज़ होने लगी थी। मैंने अपना चेहरा बड़ी के बूर के सामने लाया और उनकी बूर को बड़ी बारिकी से देखने लगा।मेरा सारा शरीर कांप रहा था। बड़ी माँ के बूर से सफेद झाग जैसा कुछ बहा हुआ था।मैंने जब बड़ी माँ की बूर की पंखुड़ियों के बीच जब अपनी उंगली पर उस झाग को लेकर चेक किया तो पता चला कि वो उनका वीर्य था। मुझे समझ आ गया की बड़ी माँ शायद अपनी बूर में उंगली करते हुए झड़ कर सो गई थी।

मैं उन्हें नींद में समझ के उनके जांघ के बीच सर घुसा कर अपनी नाक को उनकी बूर से सटा कर उनकी बूर की गंध और उनके बहे वीर्य की गंध को सूंघने लगा। क्या मस्त खुसबू आ रही थी उनके बुर से।

मैं उनकी बूर की खुशबु में डूब गया और कामुक होने लगा जिससे मेरी नाक उनकी बूर की पंखुड़ियों से जा सटी और बड़ी माँ की आँख खुल गई तब भी उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा। और वो उठ के मेरी तरफ देख रही थी। तो मैंने बात बदलते हुए उन्हें ही सुनाने लगा कि आप ठीक से सोया करो। आपके कपड़े आपके शरीर से हटे हुए थे।कोई बाहर का इंसान आपको ऐसी हालत में देख लेता तो क्या सोचता।

मैंने बड़ी माँ को बोलने का मौका ही नही दिया। पर वो मुझे एक अलग से अंदाज में देख रही थी ऐसा लग रहा था कि वो मुझसे कुछ कहना चाहती हो।मैंने कहा, क्या हुआ बड़ी माँ ऐसे क्यूँ देख रही हो। तो बड़ी माँ ने कहा की मेरा एक काम करेगा तू?

मैं: जी क्यों नहीं बड़ी माँ!

बड़ी माँ: किसी से कहेगा तो नहीं ना?

मैं: किसी से नहीं कहूंगा बड़ी माँ बात क्या है वो तो बताओ।

बड़ी माँ: तू मेरी अंगों को देख रहा था न?

मैं घबराहट और शरम से पानी पानी होने लगा।

बड़ी माँ: मैं जानती हूँ कि तू मुझे गंदी नज़रो से देखता है आज तो तूने मेरी छुपे हुए खजाने को भी देख लिया है।

बड़ी माँ: आज तो तूने मेरी बूर में उंगली डाली है। क्या पता कल अपना लौड़ा भी मेरी बूर में डाल दे।

मैं: डर के मारे नही बड़ी माँ फिर ऐसा नही करूँगा। और वहाँ से भागने लगा।

तभी बड़ी माँ ने कड़क आवाज में मुझे रुकने को कहा।

मैं बड़ी माँ के पास गया तो उन्होंने मुझे पकड़ कर वही लिटा दिया और धीरे धीरे मुझपर चढ़ने लगी। और बोली कि साले मैं तो चाहती थी कि तू मुझे चोदे पर तु हरामी सिर्फ मेरी बूर की तांक झांक और सूंघ रहा था। जब मुझसे बर्दास्त नही हुआ तो मैं उठ गई और तुझे रंगे हाथों पकड़ लिया। मुझे पता है कि मेरी बूर को देखकर तेरा लौड़ा भी लार टपकाने लगा होगा।

उस वक़्त मुझे डर और खुसी दोनों के मेल होने से जो एहसास होता है वैसा महसूस हो रहा था। मेरे अन्दर अंदर भी चुदाई का कौतुहल जाग उठा था। उसपर से बड़ी माँ मेरी पैंट के ऊपर से ही अपनी बूर को मेरे लंड को दबाकर मालिश कर रही थी। उनकी बूर का वीर्य मेरी पैंट पर लग चुका था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था उनके ऐसा करने से मुझे सुकून मिल रहा था

क्यूंकि मेरे मन में सालो से तमन्ना थी बड़ी माँ की बूर को चोदने की जो आज खुद बड़ी माँ पूरी करने वाली थी। कितने दिनों से मैं बड़ी माँ की गांड और बूब्स को देखना और टच करना चाहता था। और तभी बड़ी माँ ने मेरा सर पकड़ा और अपनी बूर सरकाते हुए मेरे चेहरे पर रख दिया। और चाटने को कहने लगी।

बड़ी माँ की गीली बुर खुसबू मेरे मन मे समा गई। मैंने उनके बुर पर अपनी जीभ जैसे लगाई तो मेरे शरीर और लौड़े में 440 वोल्ट का करंट दौड़ गया। मैंने जैसे ही अपनी जीभ को उनकी बूर के छेद पर रखा सट से मेरी जीभ पिसलती हुई बड़ी माँ की बूर में घुस गई। मेरी गरम जुबान बूर में घुसते ही बड़ी माँ आ..आ..आह वोह..ह..ह..ह अ..ई..ई..ई.. उफ्फ.. फ़्फ़ करती हुई मेरे माथे को पकड़ अपनी बूर को मेरी जीभ पर दबाती हुई मलने लगी। कुछ देर बाद जब उनकी बूर मेरे थूक से चिकनी हो गयी तब!

बड़ी माँ मेरे चेहरे से उठी और अब वो और मेरी पेंट को निचे कर के बोली, तू इतने सालों से मेरी बूर के सपने देख मुठ मारता हैं तो आज जो करना चाहता हैं कर ले। बड़ी माँ मेरी कमर पर बैठी हुई थी तो मैंने भी देरी न करते हुए पसीने से लथपथ उनके कंधे को पकड़ा और उन्हें खींच कर अपने ऊपर लेटा लिया और उनके गालों को और होंठो को किस करना चालू कर दिया।

बड़ी माँ घुटनो के सहारे मेरे ऊपर लेटी हुई थी और मैं उनकी जांघो के बीच लेटा हुआ था। और उनकी पसीने से भींगी चुचियाँ मेरे सीने पर चिपकी हुई थीं। बड़ी माँ भी एकदम मदहोशी में डूबी हुई थी, अब मैंने उनकी गांड के पीछे से हाथ बढ़ा कर उनके बुर में उंगली करने लगा। वो पूरी मदहोशी से आह.. उहहह..कर रही थी।। आह्ह्ह और अंदर आह्ह्ह मेरे राजा और अंदर तक चोद अपनी बड़ी माँ के भोसड़े को! आह आह तू ही है जो मेरी चुदाई तड़प दूर करेगा मेरे राजा,, आह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह।

मैं बिना रुके दनादन बड़ी माँ की बूर में उंगली पेल रहा था। कुछ देर बाद उनकी बूर में उंगली घुसाने पर फच्च…फच्च…फच्च.. की आवाज उनकी बूर में घुसती उँगलियों की रफ्तार से मिलने लगी मैं समझ गया की उनके बूर में उंगली करने की वजह से वो झड़ने की कगार पर आ चुकी थी।

फिर मैंने उनकी बूर से उंगली निकाल कर बड़ी माँ की चुचियों को पकड़ लिया। पहले मैंने उनकी चुचियों को मसला और फिर उनकी एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया। मैं उनकी निपल्स को बारी बारी से चूसते हुए ऊपर से उनकी चुचियों को निचोड़ने लगा। तब तक बड़ी माँ अपना सारा माल मेरे लंड पर ही गिरा चुकी थी।

फिर मैंने अपना लंड पकड़ा और एक दो बार अपने लंड से उनकी बूर थपथपाई मेरा लंड भी उनकी बूर से पीटकर मज़े लेने लगा।

फिर हमने एक दूसरे की तरफ देखा आँखों ही आंखों में इशारा हुआ मैंने इशारे में ही बड़ी माँ को कहा कि अब मैं लंड अंदर डालने वाला हूँ बड़ी माँ ने भी पलके झपका कर इशारे में हाँ किया। मैंने तुरंत अपना लंड पकड़ा और बड़ी माँ की बूर की छेद में डाल दिया। बूर में पहले से ही गीलापन था तो लंड आसानी से उनकी बूर में घुस गया।

लंड बूर में घुसते ही बड़ी माँ अंगड़ाई लेने लगी मेरा लंड उनकी बूर में अटक चुका था। मैंने धीरे धीरे नीचे से अपनी कमर उठा कर उनकी बूर में धक्का मारने लगा। बड़ी माँ आहआह.. उम्मह ह..हह.. मररररर गईईए ओह्ह… बड़ी माँ भी मदमस्त आवाजे निकालते हुए अपनी बूर ऊपर नीचे कर मेरे लंड को अपनी बूर में भींचने लगी ऐसा लग रहा था मेरे लंड पर अजीब सा खिंचाव हो रहा था। बड़ी माँ झड़ने वाली थी। वो और ज्यादा ताकत से मेरे लंड पर उछलने लगी।

कुछ देर बाद बड़ी माँ झड़ गयी पर मैं अभी तक उनकी बूर में लंड पेल रहा था। मैं भी सिमा तक आ गया मैंने और भी जोर जोर से बड़ी माँ की बुर को चोदने लगा मेरे ज़ोरदार धक्कों से बड़ी माँ आआआह…हह…हह ई.. श.श.श.श ओह ओह उ उ.. कर चिल्लाने लगी। उतने ही देर में ऐसी दमदार चुदाई के चलते वो फिर से एक बार झड़ गई और मैं भी उनके साथ ही झड़ गया।

हमदोनों का वीर्य एक साथ मेरे लंड से होता हुआ बिस्तर पर टपकने लगा। कुछ देर बाद मैंने अपना लौड़ा बड़ी माँ को चूसने के लिए कहा। बड़ी माँ चुदाई की भूखी एकदम चुदासी औरत थी। वो भी झट से मेरे लौड़े को पकड़ कर इतना हॉट ब्लोव्जोब दिया मुझे की मेरे लौड़े में जैसे आग सी लगा दी। वो अपनी जबान से सुपारे को हिलाती थी और लंड को एकदम तडपा के फिर अपने मुँह में ले लेती। मैं 5 मिनट में ही बड़ी माँ के मुँह में झड़ गया। बड़ी माँ ने सब वीर्य पी लिया।

फिर हम दोंनो ने एक दुसरे को गले लगा लिया। 2 मिनट के बाद फिर बड़ी माँ ने फिर से मेरा लंड हिलाना चालू कर दिया। बड़ी माँ ने मेरे सिकुड़े हुए लोडे में फिर से जान ला दी और मेरे लंड की सारी सलवटें मिट के लौड़ा फिर से कडक हो गया। अब मैंने बड़ी माँ को लेटा दिया और खुद उनके पैरों को अपने कंधों पर रख कर उनकी बुर की पंखुड़ियों को अपने लंड से चीरते हुए उनकी बूर की छेद को खोला और अपने लंड के सुपड़े को उनके बुर की छेद में पेल दिया।

बड़ी माँ: आह….जल्दी से अन्दर कर दे अपने मोटे जवान लंड को मेरी बूर बहुत ही प्यासी हैं।

मैंने एक झटका दिया और मेरा पूरा लौड़ा बड़ी माँ के बुर में घुस गया। मैंने अपने मुह में उनकी चुचियों को भर लिया और मैं उनकी चूची को चूसते हुए ही उन्हें चोदने लगा। बड़ी माँ को बड़ा अच्छा लग रहा था और वो भी अपनी गांड उठा उठा के चुदवा रही थी।

20 मिनट तक उनकी बूर चोदने के बाद फिर मैंने अपना सब वीर्य बड़ी माँ के बुर में ही छोड़ दिया। बड़ी माँ ने फिर मेरा लौड़ा अपने मुँह में भर लिया और लंड पर लगे हमारे वीर्य को चाटकर के सारा वीर्य पी गयी।

दोस्तों यह थी मेरी और बड़ी माँ की पहली चुदाई का अनुभव उस दिन के बाद बड़ी माँ मेरी लंड को सांत करने वाली औरत बन गयी। अब वो मुझे एक ऐसा मर्द समझती है जो उनकी बूर को चोदकर उनकी चुदाई की प्यास सांत करता है। अब बड़ी माँ और मैं रेगुलर एक दूसरे के साथ सेक्स करते है बस उनके मासिक चक्र के दिनों को छोड़कर चाहे दिन हो या रात हर दिन मैं बड़ी माँ को चोदता हूँ।

आप ये कहानी सेक्सी कहानी पर पढ़ रहे है।

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