बड़े भाई और मुझसे चुदी हमारी माँ

आज मैं आप सभी को बताने जा रहा हूं। की कैसे मैंने मेरे बड़े भाई और मेरी माँ को आधी रात को बिस्तर पर चुदाई करते हुऐ पकड़ा और उसके बाद मैंने और मेरे बड़े भाई ने अपनी चुदाई की भूखी सगी माँ को हमदोनो ने कैसे चोदा।

बड़े भाई और मुझसे चुदी हमारी माँ

मेरा नाम रवि है बात कुछ महीने पहले की है मेरी उम्र 18 साल की है और मेरा बड़ा भाई जो की 24 साल का है। मेरी माँ की उम्र वही कोई 45 से 46 साल की होगी। वो एक हाउसवाइफ है वो थोड़े पुराने खयालों वाली एक साधारण औरत है। उनकी कद काठी 5.5 फुट की है दिखने में साधारण और उनके बदन का रंग गेहुआ है।

मुझे मेरी माँ में कोई गलत आदत नजर नहीं आती थी। वो एक गृहणी के रूप में सर्वगुण संपन्न थी। जो अपने घर को और अपने परिवार को संभाल के रखती थी। कभी कभार पापा और उनके बीच अनबन हुआ करती थी। जिससे माँ और पापा ने अब अलग अलग सोना शुरू कर दिया।

जाहिर सी बात है अब माँ और पापा के बीच चुदाई होनी भी बंद हो गई थी। बहुत सोंचने के बाद समझ आया की पापा उम्र के साथ कमज़ोर हो रहे थे और उनके अंदर सेक्स करने की ईच्छा खतम हो चुकी थी। शायद ये भी उनके झगड़ों का एक कारण था। माँ अब चुदाई की आग में बहकने लगी थी। शायद यही कारण था की माँ ने अपने सगे बेटे से संबंध बना लिया।

बात एक रात की है तेज बारिश के कारण पापा काम से लेट लौटे थे। पापा के वापस आने के कुछ देर बाद माँ पापा में पता नही किस बात पे फिर से झगड़ा होने लगा। गुस्से में पापा अपने कमरे में चले गए और माँ गुस्से में हम दोनों भाई के कमरे में आ गई।

माँ गुस्से से आई और हम दोनों भाइयों के बीच में आकर लेट गई बिस्तर पर थोड़ी कम जगह थी। तो मैंने भईया को कहा की भईया बिस्तर पे कम जगह है। तुम जाकर पापा के कमरे में सो जाओ इस बात पर मेरा भाई मुझसे चीड़ गया और माँ ने भी मुझे फटकारते हुए कहा ये कही नही जायेगा। चुपचाप सो जाओ माँ का दिमाग गरम था। इसलिए मैं बिना कुछ बोले चुपचाप लेट गया।

बिस्तर पर इतनी कम जगह थी की हम तीनों आपस में सटकर सोए हुए थे। कुछ देर बाद माँ मेरी तरफ अपना चेहरा घुमाकर लेट गई और अपनी पीठ भईया के तरफ कर दिया। मैं भी अपनी आंखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा और पता ही नही चला की कब मेरी आंख लग गई।

आधी रात को पेशाब लगने के कारण जब मेरी नींद हल्की हुई तो मुझे किसी के हल्के हल्के कराहने की आवाज उह.. ऊंह… उमह… ऊंह.. की आवाज आ रही थी। मुझे ये समझते देर नहीं लगी की ये मेरी माँ की आवाज थी। मैं चिंता करते हुए झट से उठकर बैठ गया।

उठते ही मुझे वो नजारा दिखा जिसकी मैंने सपने में भी कभी कल्पना नही की थी। माँ की साड़ी पीछे से ऐसे उठी हुई थी की माँ की गांड़ और उनकी टांगें पीछे से पूरी नंगी थी और मेरे भईया अपना मोटा लंड मेरी माँ की गांड में धसाए हुए लेटा हुआ था और माँ की क़मर को अपने एक हाथ से पकड़कर हल्का हल्का अपनी क़मर से धक्का मार रहा था।

जिससे माँ कराह रही थी उह.. ऊंह… शायद मेरा भाई मेरी माँ की गांड में अपना लंड डालकर माँ की गांड चोद रहा था। भईया की पैंट उसके घुटनों तक थी जिससे उसका लंड माँ की गांड के अंदर बाहर होता हुआ साफ दिख रहा था। मैं वो सब देखकर शॉक्ड हो चूका था मैंने थोड़ी तेज आवाज में कहा ये तुम दोनों क्या कर रहे हो।

मेरी आवाज सुनकर दोनों रुक गए और हकाबक्का होकर मेरी तरफ देखने लगे। जब मैंने तेज आवाज में माँ से कहा ये तुम क्या कर रही हो तो माँ ने गुस्से से मुझे कसकर एक थप्पड़ लगाया और चुपचाप लेटने को बोली और कहा जो तूने देखा वो अगर किसी को बताया तो तेरी खैर नहीं।

मैं माँ की थप्पड़ खाकर चुपचाप लेट गया लेकिन उन्होंने अपनी चुदाई बंद नहीं की बल्कि उसके बाद भईया ने थोड़े और तेज झटकों से माँ की गांड को चोदना शुरू कर दिया। माँ भी भईया का लंड अपनी गांड में मज़े से लेने लगी और थोड़ी तेज आवाजों के साथ आह… उह… ऊंह… कराह की आवाजें निकालने लगी।

थोड़ी देर तो मैं ये सब देखकर अपने भाई और माँ के बारे में पता नही क्या क्या सोच रहा था। तभी भईया कस कसकर माँ की गांड मारने लगा जिससे माँ दर्द से चीखने लगी और उन्होंने मेरे सर को अपनी बांहों में पकड़कर कसकर अपने चुचियों पर दबा दिया।

माँ की नरम चुचियों की गर्माहट और उनके कामुक चुदाई की आवाजों ने मेरे लंड को खड़ा कर दिया। अब मुझे भी मजा आने लगा भईया पीछे से धक्के देकर माँ की गांड चोद रहा था। जिससे माँ का बदन मेरे शरीर से बार बार लड़ रहा था।

अब मेरा लंड खड़ा होकर सीधे मेरी माँ के थुलथुले पेट पर टकरा रहा था। अब मेरे अंदर भी वासना की आग भड़कने लगी मैंने बड़ी हिम्मत करके अपना एक हाथ अपनी माँ के थुलथुले पेट पर रख दिया और धीरे धीरे अपना हाथ उनकी नाभि की ओर नीचे बढ़ाने लगा। माँ ने कोई विरोध युक्त प्रतिक्रिया नहीं दिखाया।

फिर मैंने अपना एक हाथ माँ की कमर के पास से साड़ी के अंदर घुसाते हुए अपने हाथ को उनके पेट के निचले हिस्से पर ले गया। हाथ थोड़ा और नीचे ले जाते ही मेरे हाथ में उनकी झांटे आने लगी अब उनकी चूत मेरे हाथ से ज्यादा दूर नहीं थी। मैंने हिम्मत करके अपने हाथ को और थोड़ा नीचे ले गया।

अब मेरा हाथ माँ की चुत पर पहुंच गया माँ ने जब कुछ नही कहा तो मैंने अपने हाथ के अंगूठे से माँ के चूत के दाने को सहलाने लगा। कुछ देर उनकी चूत के दाने को छेड़ने के बाद मैंने अपनी एक उंगली आगे बढ़ाई और अपनी एक उंगली माँ की चुत में डाल दी।

अब मैं अपने अंगूठे से माँ के चुत के दाने को सहला रहा था और दूसरी उंगली को उनकी चुत के अंदर बाहर करने लगा। उनकी चुत में उंगली अंदर बाहर करने पर माँ सिसकारियां लेती हुई और भी मादक आवाजें निकालने लगी और पीछे से भईया अभी भी माँ की गांड मार रहा था क्योंकि अभी भी माँ के चुत के निचले हिस्से की चमड़ी खींच और धस रही थी।

तभी भईया माँ की गांड में और तेजी से धक्के देकर लंड घुसाने लगा जिससे माँ का पूरा बदन उछलने लगा। और अचानक तेज और लंबी आहह… की आवाज के साथ भईया शांत पड़ गया। तब तक मैं माँ की चुत में उंगली करता रहा और माँ की चुत को गीला कर दिया।

कुछ देर आराम करने के बाद भईया ने पीछे से माँ की टांग को पकड़कर उठाया और अपनी टांग पर चढ़ा लिया और अपना मोटा लंड जब उसने माँ की चुत में डालना चाहा तो माँ ने कहा तू आज चुत में मत कर आज अपने छोटे भाई को मेरी चुत में करने दे। माँ के मुंह से ऐसी बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गया।

भईया अब पीछे हट चुका था। माँ अब सामने से अपनी चुत चोदने का मौका दे रही थी। मैंने तुरंत आगे से माँ की साड़ी को उठाकर पेट तक चढ़ा दिया। फिर मैंने उत्साह में अपना पैंट खोलकर नीचे अपने घुटनों तक सरका दिया। माँ भी मेरे लंड की ओर ही देख रही थी। जब माँ ने मेरा नंगा कड़क लंड देखा तो।

उन्होंने अपनी बांई टांग को उठाया और मेरी कमर पर चढ़ा दिया। फिर उन्होंने मेरी कमर को पकड़ा और मेरी कमर को खिंच कर अपनी चुत के नजदीक कर लिया। फिर उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चुत की छेद पर सेट कर दिया। अब क्या था मैंने धीरे धीरे अपनी कमर आगे पीछे करने लगा।

अब मेरा लंड माँ की चुत के अंदर बाहर होने लगा। शुरू शुरू के जोश के कारण तो मैं तेज़ी से अपने लंड से माँ की चुत में चोट मार रहा था। जिससे मेरी माँ आन्ह… आँह… माँआ….करने लगी। माँ को मेरे चोदने के तरीके से दर्द हो रहा था। क्योंकि मैं अभी नौसिखिया था तो जैसे मन चाहें वैसे उनकी चूत में अपना लंड डाल रहा था।

कुछ 5 मिनट तक माँ की चुत में धक्के मारने के बाद मैं थक सा गया था। उपर से माँ की भारी जांघ की वजह से मेरी कमर में दर्द हो रहा था और मुझमें और धक्के लगाने की ताकत नहीं थी। पर मेरा मन अभी तक भरा नहीं था न ही मैं अभी झड़ा था। माँ मेरी तकलीफ़ समझ गई और उन्होंने अपनी जांघ को उठाकर मेरा लंड अपनी चूत से निकाल दिया।

फिर उन्होंने मुझे सीधा होकर लेटने को कहा और फिर उन्होंने कहा देख ऐसे की और करवाई जाती है चुदाई, फिर माँ भी उठकर बैठ गई और अपनी साड़ी और पेटीकोट को खोलकर नीचे से पूरी तरह नंगी हो गई।

अब उन्होंने अपनी दोनों टांगों को मेरी क़मर के दोनों तरफ रख दिया और मेरे लंड को पकड़ती हुई अपनी चूत पर सेट करके धीरे धीरे बैठने लगी देखते ही देखते मेरा लंड माँ की चूत में कही गुम हो गया। फिर माँ मेरे लंड पर उठक बैठक करने लगी। दोस्तों क्या बताऊं उस वक्त का सुख कैसा था। ऐसा लग रहा था की मानों मैं स्वर्ग में पहुंच गया था।

माँ अपनी गांड को मेरी जांघों पर पटक पटककर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी। माँ की चुदाई के अंदाज ने मुझे सातवे आसमान पर पहुंचा दिया था। माँ मेरे लंड पर उछलती हुई अपनी ब्लाउज़ के बटन खोलने लगी बटन के खुलते ही उनकी 36 D की दोनो चूचियां आज़ाद होकर लटकने लगी।

माँ मेरे लंड पर उठक बैठक करती हुई थोड़ी आगे झुकी जिससे उनकी दोनों चूचियां मेरे मुंह पर लटकने लगी। मैं अब अपनी माँ की दोनो चुचियों को चुसने और चाटने लगा। जिससे माँ को भी काफी मजा आ रहा था। वो मदमस्त होकर बोलने लगी बेटा चूस ले अपनी माँ का सारा दूध बेटे निप्पलों को अपने होठों से मिस बेटा आह…आह… मेरे उनकी निप्पलों को मिसते ही माँ में एक अलग सा रूप आ गया।

वो थोड़े नशीले अंदाज में मेरी तरफ देखते हुऐ अपने दोनों होठों को आपस में भींचते हुए मेरे लंड की सवारी कर रही थी। अब मैं माँ की एक निप्पल को अपने होठों से मिस्ता तो दूसरी निप्पल को अपनी चिमटियो से मसलता अब मेरी माँ मस्त हो चुकी थी। तभी अचानक नीचे कुछ फच्च की आवाज हुई और मेरे लंड पर कुछ गीला गीला महसूस होने लगा।

माँ अब अपना पानी झाड़ चुकी थी पर अब भी वो मज़े से मेरे लंड की सवारी कर रही थी। उनकी गीली चूत की लटलटाहट में जब भी लंड अंदर बाहर होता तो फ्च.. फच… पच.. पच… की आवाज आने लगी। उसके बाद माँ ने अपनी चुदाई का तरीका बदल दिया। कभी वो मेरे पर लेट कर आगे पीछे घिसटकर मेरा लंड अपनी चूत में लेती तो कभी अपनी कमर को गोल गोल घुमाकर मेरे लंड को अपनी चुत में ऐंठती।

माँ की इस चुदाई के अंदाज ने मेरे लंड का सारा पानी झाड़ दिया। इससे पहले की मैं माँ को सतर्क करता की मैं झडने वाला हूं। इससे पहले मैं तेज़ आ…आह्हह.. की आवाज के साथ माँ की चुत में ही झड़ गया। इस बात पर माँ ने मुझे बहुत गालियां दी। बोली कुत्ते पहले नही बता सकता था।

मैं मुस्कुराता हुआ चुप रहा जब तक मेरी माँ ने मेरे लंड को अपनी चुत से निकाला तब तक तो मेरा लंड 3 से 4 पिचकारी उनकी चुत के अंदर ही मार चुका था और लंड उनकी चुत से बाहर आने के बाद भी बीज छोड़ रहा था। तेज़ तेज़ धार के साथ बाहर आते वीर्य ने माँ की जांघ को भी भर दिया था।

माँ के बदन के निचले हिस्सों पर वीर्य पूरा फैला हुआ था। जिसे देख माँ थोड़े गुस्से में बोली पता नही कुत्ते ने कितने महीनों से अपना माल नहीं निकाला है। मेरा पूरा शरीर अपने वीर्य से रंग कर रख दिया। इसी के साथ माँ सावधानी के साथ उठी ताकि बिस्तर पर वीर्य ना फैले और अपनी पेटीकोट से अपनी चुत और जांघ को साफ करने लगी।

मेरे लंड पर पहली बार की औरत की चुत का पानी चढ़ा था जिसे मैं साफ नहीं करना चाहता था। तो मैं वैसे ही अपने लंड पर पैंट चढ़ाकर सो गया। कुछ दिनों तक तो फिर माँ और मेरे बीच कुछ नही हुआ। लेकिन फिर एक रात की मेरी पहला ने हम माँ बेटे के बीच के सारे बंधन को तोड़ दिया और उस रात फिर से मेरी माँ मुझसे चुदी।

उसके बाद हमारे बीच रोज सेक्स होने लगा कभी कभी एक दिन में ही दो से तीन बार अब मेरी माँ मुझसे और भैया दोनो से चुदवाती है कभी कभी हम दोनों भाई साथ मिलकर माँ को चोदते है। एक बार की कोंख में बच्चा भी ठहर गया था। लेकिन आज तक ये नही पता चला की वो बच्चा मुझसे ठहरा या भईया से लेकिन हमने माँ का अनवांटेड प्रेगनेंसी के केस में बच्चा गिरवाया।

उस घटना के बाद से हमने माँ को तीन महीने वाली नो प्रेगनेंसी वाली दवा दिलाई और उसके बाद मैं और भईया मज़े से माँ को चोदने लगे। अब भैया की शादी हो चुकी है। अब माँ पर सिर्फ मेरा राज है। मैं माँ को इतना चोद चुका हूं। अब उनकी चुत फटकर ढीली हो चुकी है और उनकी चुत की अंदर की गुलाबी चमड़ी भी चुत से बाहर लटकती हुई दिखती।

तो दोस्तों कैसी लगी आप सब को मेरी और मेरी,भईया और माँ की (बड़े भाई और मुझसे चुदी हमारी माँ) चुदाई की ये कहानी। उम्मीद हैं आप सभी को पसंद आई हो।

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