अम्मी को सिड्यूस करके चुदाई की।

अम्मी को सिड्यूस करके चुदाई की।

दोस्तों ये कहानी का दूसरा भाग है। अगर आपने कहानी का पहला भाग नही पढ़ा तो जाकर पढ़े। अम्मी की चूत देखकर करदी अम्मी की चुदाई। मेरी अम्मी कल रात के बाद से मुझसे थोड़ी नाराज़ हैं। क्योंकि मैंने उनके मना करने के बाद भी मैंने उनकी चूत में अपना लंड घुसा दिया था।

उनकी मर्जी के खिलाफ मैंने उनकी चूत चोद दी थी। उसके अगली वाले दिन सुबह से अम्मी और मेरे बीच कम बातचीत हो रही थी। रात को तो मैं खुलकर उनकी चुदाई कर रहा था और वो भी मेरी चुदाई की आग को समझकर बहुत ज़िद करने के बाद उन्होंने अपनी गांड से मेरे लंड को शांत करने की अनुमति दे दी थी पर वो रात की बात थी।

सुबह मुझे उनकी तरफ देखने में भी शर्म आ रही थी। शायद उनका भी हाल मेरे जैसा ही था। पर वो कहते है न शेर के मुंह खून लगना वही हाल था बार बार रात वाले घटना और अम्मी के बड़े नंगे कूल्हों और उनकी चूत को याद करके मेरा लंड दिनभर में न जाने कितनी बार खड़ा हुआ होगा।” अम्मी को सिड्यूस करके चुदाई की।”

दिन वैसे ही गुजर गया रात को सोने से पहले अम्मी ने घर का सारा काम निपटाया मैं बैठकर टीवी देख रहा था। फिर कुछ देर बाद अम्मी सोने के लिए बिस्तर पर चली गई। 5 मिनट बाद मैं भी सोने के लिए गया देखा तो अम्मी बिस्तर के एक किनारे बाई करवट लेकर लेटी हुई थी और उनका चेहरा दीवार की तरफ और पीठ मेरी तरफ थी।

मैं भी आराम से अम्मी के पीछे जाकर लेट गया मैं जानता था की अम्मी मुझसे थोड़ी नाराज थी। तो मैंने उनकी नाराजगी खतम करने के लिए उनकी पीठ से चिपककर लेट गया अम्मी ने कोई ऐतराज़ नहीं जताया फिर मैंने अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अम्मी की छाती पर ले गया।

अम्मी अपने सीने पर अपने दोनों हाथों को चिपकाकर लेटी हुई थी। जैसे ही मेरा हाथ उनके सीने पर गया तो अम्मी के अपने दोनों हाथ खोल दिए और मुझे अपने हाथ को उनके सीने पर रखने दिया मैं जानता था की अम्मी सोई नहीं है पर उन्होंने अपनी आंखें बन्द कर रखी थी।

जब अम्मी ने मुझे अपना हाथ उनके सीने पर रखने दिया और कोई ऐतराज़ नहीं जताया तो मैं कंफर्टेबल होकर अम्मी के साथ एक टाइट कड्डल (cuddle) लेकर लेट गया। जिससे हुआ ये की अब मेरी छाती और पेट अम्मी की पीठ से चिपक गया और मेरी क़मर अम्मी की कूल्हों से चिपक गई। “अम्मी को सिड्यूस करके चुदाई की।”

अम्मी के बदन की गर्माहट से कुछ देर बाद मेरे लंड ने शैतानी रूप लेना शुरु किया मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा और अम्मी की गांड पर अपना दबाव बढ़ाने लगा। मैं जानता था की अम्मी अभी भी जाग रही थी। पर उन्होंने कुछ कहा नहीं फिर मेरे अंदर भी आग भी बढ़ने लग गई।

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मैं क्या करूं तभी मेरे हाथ ने एक हरकत कर दी। मैंने अपनी अम्मी की एक चूची को हल्के सा दबा दिया और तुंरत मैंने अम्मी की ओर देखा चूची दबाते ही अम्मी ने  अपने दोनों होठ भींचे और उनके मुंह से एक बार आ….. ह….. की आवाज निकली।

फिर मैंने थोड़ी हिम्मत की और धीरे से अपने होठों को अम्मी के कंधे पर रखा और उनके कंधे को चूमता हुआ हल्का हल्का अम्मी की एक चूची को दबाने लगा। जिससे फिर से अम्मी के मुंह से आ.. ह..। आ… ह.. की आवाजें निकलने लगी। उनकी आंखें अभी भी बन्द थी पर वो जाग रही थी।

मैं उनके कंधे को चूमता हुआ उनकी चूची को मसल रहा था अब अम्मी के मुंह से और भी धीमी उम्म्ह.. ऊंह… उम्ह्.. की आवाज आने लगी। मैं अम्मी के कंधे और उनकी गर्दन को चूमता हुआ उनकी दोनों चूचियों को अपने पंजों में लेकर मसलता हुआ उनके कंधे और गर्दन पर अपनी गरम सांसें छोड़ रहा था।

अम्मी ने अभी तक अपनी आंखें एक बार भी नही खोली थी वो बस आँह… उम्म… आ… ह… अ…. करती हुई अपनी गर्दन को आगे पीछे कर रही थी। अब मैंने उनकी क़मर पर अपनी एक टांग ऐसे चढ़ा दी थी की मेरे खड़ा लंड ठीक से उनकी गांड और चूत को रगड़े

मेरा लंड मेरी पैंट में ही टीला बनाए कभी अम्मी की गांड की गुफ़ा में घुसता तो कभी अम्मी के चूत के उपर रगड़ खाता। मैं अम्मी के गर्दन और कंधे को चूमता रहा और उनकी चुचियों को अपने पंजों में भरकर अदब के साथ मिसता रहा, अम्मी हम्म्म.. उम्ह्ह… उफ्फ… अंह… की सीताकारिया भरती रही।

मुझे जब लगा की अब मामला गरम है तो मैंने अपनी टांग को अम्मी के क़मर पर से हटा लिया और पूरा जोर लगाकर अपने क़मर को अम्मी के गांड के नीचे उनकी दोनों जांघो के बीच उनकी चूत पर अपना लंड दबाने लगा। फिर मैंने अम्मी की क़मर को सहलाना शुरू किया। “अम्मी को सिड्यूस करके चुदाई की।”

मैंने उनकी कमर को सहलाते हुए उनकी पजामे की डोरी को खोल दिया और अपना हाथ उनकी पेट पर सहलाते हुए उनकी नाभि के नीचे ले गया जिससे मेरा हाथ उनकी झांटों पर लगा। मैं समझ गया की अम्मी ने आज चड्डी नहीं पहनी है। फिर मैंने अम्मी की गर्दन पर एक किस किया और बार कस कर उनकी एक चूची को दबा दिया।

अम्मी लगातार अपनी मुंह से ऊंह… अम्ह…. अंहह… की आवाजे निकाल रही थी। अभी तक उन्होंने अपनी आंख नहीं खोली थी। मैं उठकर बैठ गया और धीरे से उनके पजामे को उनकी क़मर पर से खींचकर निकालने लगा। अम्मी ने भी बिना कुछ बोले हल्के से अपनी क़मर उठाकर पजामा निकालने में सहायता की मैंने अम्मी की टांगों से उनके पूरे पजामे को निकाल दिया।

अब अम्मी नीचे से पूरी नंगी हो चुकी थी और अभी भी बांई करवट लेकर लेटी हुई थी। मैं उनकी मोटी मोटी जांघों के बीच छुपी और पसीने से भींगी हुई उनकी चूत के उभार देख पा रहा था। पसीने से भीगे होने के कारण उनकी चूत के दोनों होठ चमक रहे थे। तो मैंने अम्मी की एक टांग को थोड़ा मोड़कर आगे किया और एक टांग सीधी रहने दी।

अब अम्मी की चूत तक लंड पहुंचाने का रास्ता साफ हो चुका था। नजदीक से अम्मी की चूत और भी कमाल की लग रही थी। मैंने भी अपनी पैंट और चड्डी उतारी और अपना खड़ा लंड लेकर अम्मी के पीछे उनके पीठ से चिपककर लेट गया और फिर मैंने अम्मी की क़मर पर अपनी एक टांग ऐसे चढ़ा दी जिससे मेरा लंड अम्मी की चूत के उपर आ गया।

अब मैं अपनी क़मर हिलाकर करके अपनी अम्मी की चूत पर अपना मोटा लंड रगड़ने लगा। अम्मी की चूत पर लंड रगड़ते हुए मैंने अम्मी की सूट के नीचे से उनके पेट को सहलाते हुए अपना हाथ अंदर घुसा दिया और अम्मी के दोनों बड़े बड़े आमों को अपने हाथ से मसलने लगा अम्मी उम्ह… उम्ह्ह्…. ऊंह… ह…. करे जा रही थी। “अम्मी को सिड्यूस करके चुदाई की।”

फिर मैंने अम्मी की सूट को खींचकर उनकी चूचियों के उपर चढ़ा दिया अब उनकी बड़ी चूचियां मेरी आंखों के सामने नंगी झूल रही थी। काफ़ी देर से मैं अम्मी की चूचियों को मसलते हुए अपना लंड अम्मी की चूत पर मल रहा था। अब मेरा लंड अपना सही रूप धारण कर चुका था।

अम्मी अभी भी मेरे नीचे आधी बांई करवट लेकर लेटी हुई थी। अब मैंने अम्मी को चोदना उचित समझा तो मैंने अपना लंड पकड़ा और अपने लंड को अम्मी की गांड के छेद के नीचे से दबाता हुआ आगे उनकी चूत की छेद की तरफ रगड़ता हुआ ले जाने लगा।

जैसे ही मेरा लंड अम्मी की चूत तक पहुंचा और अम्मी की चूत की छेद को खोलता हुआ अंदर घुसा अम्मी के मुंह से एक चैन भरी सीत्कार निकली आ…. ह….. ऊं.. म.. ह… फिर मैं अम्मी की चूत में धक्के पेलने लगा और अपनी अम्मी की चूत मारने लगा। मैं नीचे से अम्मी की चूत चोदते हुए अम्मी की दोनों चूचियों को कस कसके अपने हाथो से मसल रहा था।

अम्मी अपनी आंखें बन्द किए हुए हर धक्के पर मोआन कर रही थी। अचानक अम्मी की चूत मारते हुए मेरा लंड अम्मी की चूत से फिसलकर बाहर आ गया जब मैंने दुबारा लंड को अम्मी की चूत में धकेलना चाहा तो मेरा लंड अम्मी की चूत पर से उनकी गांड की छेद की ओर मुड़ गया और मेरे लंड का धक्का अम्मी की गांड में लग गया।

उस वक्त अम्मी ने आराम से अपना हाथ पीछे किया और उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी गांड से हटाते हुए अम्मी ने मेरे लंड को अपनी चूत पर रखा जिसे देखते हुए मैंने भी अपना लंड अम्मी की चूत में दुबारा घुसा दिया और अम्मी की चूत चोदने लगा। कुछ देर अम्मी की चूत में गीलापन आ गया जिससे धक्के मारते वक्त फिर से मेरा लंड एक झटके में अम्मी की चूत के बाहर आ गया।

तो मैं उठकर बैठ गया और अम्मी की सीधी वाली टांग को अपने दोनों टांगों के बीच करके बैठा गया और उनकी दूसरी टांग जो उन्होनें मोड़कर रखी थी। उसे पकड़कर और उपर करके उनके पेट से सटा दिया। फिर मैंने अम्मी की गांड के एक उपर वाले हिस्से को थोड़ा ऊपर उठाया और अपने लंड से सटीक निसाना लगाते हुए अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया।

मैं कुछ देर बैठे बैठे अम्मी की चूत को चोदता रहा उसके बाद मैंने अपना एक हाथ अम्मी की चुचियों के पास और दूसरा उनकी पीठ के पीछे रखा दिया। क्योंकि अम्मी अभी भी आधी बांई करवट में लेटी हुई थी। मैंने अम्मी के उपर चढ़ कर उनकी चूत में धक्के लगाना शुरु कर दिया। “अम्मी को सिड्यूस करके चुदाई की।”

अम्मी हर धक्के का जवाब उम्ह्ह्ह.. उम्म्म…. आह…के साथ दे रहीं थी पर अभी भी उनकी आंखें बन्द ही थी। मैं अम्मी के चूचियों को मसलता हुआ और उनके गालों और गर्दन को चूमता हुआ उनकी कसी हुई चूत मारता रहा

मैं धक्के मार ही रहा था की अम्मी की कामुक आवाजें जो थोड़े थोड़े देर में आ रही थी वो अब लगातार आने लगी आ.. ह..! ऊ… ह..! ऊ ह….! उम्.. ह…! सी.. ह…! आ… ह..! फिर अम्मी ने धीरे धीरे से पलटना शुरू किया और वो पलट गई वो पेट के बल बिस्तर पर चित लेट गई। मैंने उनकी चूत में धक्के पेलने चालू रखें।

कुछ ही देर में अम्मी मेरे नीचे पड़ी थी और मैं अम्मी के उपर चढ़ा पीछे से उनकी चूत में दना दन अपना लंड दौड़ा रहा था। अम्मी के ऐसे होकर लेटने से मुझे उनकी चूत मारने में आसानी हो रही थी और मेरा लंड अम्मी की चूत में पूरी गहराई तक उतर रहा था। मैं पूरी ताकत और रफ्तार के साथ उनकी चूत को चोदने लगा।

अब मेरा लंड झडने वाला था तो मैंने अपना लंड अम्मी की चूत से बाहर निकाल लिया और अब उनकी चूत के दोनों फांकों के बीच में अपना लंड रगड़ने लगा। अम्मी की चूत के दोनों फांकों के बीच लंड रगड़ते ही मेरा पानी छुट गया और मैं शांत पड़ गया और अम्मी के उपर से हटकर उनके बगल में लेट गया।

अम्मी अपना सर तकिए पर दबाए चुपचाप लेटी हुई थी मैं उन्हीं को देख रहा था। पर अम्मी ने उसके बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मैं अम्मी के नंगे बदन को देख रहा था की मेरी नज़र किसी पहाड़ की तरह उठे उनकी गांड की तरफ पड़ी। जिसे देख मैं फिर से गरम होने लगा।

मैं अम्मी की गोरी बडी गांड को सहलाने लगा अम्मी ने कुछ नहीं कहा फिर मैंने अपना हाथ अम्मी की गांड की गुफ़ा में घुसा दिया उनकी गांड की दोनों पहाड़ियों के बीच की गुफा पसीने से भरी हुई थी। क्योंकि अभी अभी ही मैंने उनकी गांड को अपनी क़मर से दबा दबाकर चोदा था।

अब मैंने अपनी एक उंगली अम्मी की गांड में घुसा दी जिससे अम्मी के शरीर में करेंट सा दौड़ गया जिसे अम्मी ने अपने हाथ पैर हिलाकर जताया पर वो कुछ बोली नहीं। फिर मैं अपनी उंगली अंदर बाहर कर अम्मी की गांड को चोदने लगा और एक हाथ से अपने लंड को हिलाकर खड़ा करने लगा।

अम्मी की टाईट गांड में मेरी उंगली एकदम जाम जा रही थी। पर मैं वैसे ही उंगली अम्मी की गांड के अंदर बाहर कर रहा था। कुछ ही देर में मेरा लंड मेरी मुट्ठी में टाईट हो गया तो मैंने अम्मी की गांड को चोदने का सोचा पर डर भी था। की एक तो अम्मी की गांड में एक उंगली डालना मुस्किल है। इतना मोटा लंड कैसे जाएगा कहीं अम्मी मारेगी तो नही या चिलाने लगी तब?

मैं यही सोचकर डर रह ही था की मेरी अम्मी के पहाड़ जैसे उठे चूतड़ों की तरफ गई जिसे देख मेरा सारा डर कही हवा हो गया मैंने सोचा की अभी तक मैंने अम्मी की चूत चोदी तो उन्होंने कुछ ऐतराज़ नहीं किया अब उनकी गांड मारने के इस चांस को हाथ से जाने नहीं दूंगा। “अम्मी को सिड्यूस करके चुदाई की।”

मैंने मन में ही सोचा की अगर उन्हें ज्यादा दर्द हुआ और उन्होंने मना किया तो मैं रुक जाऊंगा और उनकी गांड नही मारूंगा। मैं एक बार फिर से पलटकर अम्मी के उपर उनकी गांड पर अपनी क़मर चढ़ा कर लेट गया। अम्मी ने अभी तक कुछ नहीं कहा।

फिर मैंने अपने दोनों हाथों को अम्मी के छाती के नीचे ले गया और दोनों हाथों में उनके दोनों बड़े बड़े गेंदों को पकड़ लिया और दबाने लगा साथ ही मैं उनकी पीठ को चूमने लगा। जिससे अम्मी की सांसे तेज होने लगी और उनकी गरम सांसें बिस्तर से टकराकर वापस होकर मेरे माथे पर लगने लगी।

कुछ देर मैं वैसे ही अम्मी को गरम करता रहा अब जब मैं अम्मी की चूचियों को मसल रहा था। तो अम्मी फिर से कामूक आवाजें आह… अह…! अपने होठों को भींचते हुए   ऊ.. ह! आ.. ह..! स… अ.. ह..! की आवाजे निकाल रही थी।

और मेरा लंड उनकी गांड के उभारों के बीच दबकर उनकी चूत को चूम रहा था। अम्मी की चूत पानी पानी होकर अपनी उत्तेजना जाहिर कर रही थी। अब अम्मी पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। तो मैंने अम्मी के होठों को एक लंबा किस किया ताकि अम्मी समझ जाए की अब मैं उनको चोदने वाला हूं।

मैं उठकर अम्मी की जांघों पर बैठ गया और अम्मी की गांड की दोनों हिस्सों को फ़ैलाकर उनकी गांड की छेद को देखने लगा। अम्मी की गांड इतनी बड़ी बड़ी थी की मुझे अपनी पूरी ताक़त के साथ उनके गांड के दोनों हिस्सों को अलग करना पड़ रहा था।

फिर मैंने अपना लंड अम्मी की गांड की छेद पर लगा दिया और जैसे ही धक्का मारना चाहा मेरा लंड फिसल गया मैंने दुबारा कोशिश की पर नतीजा वही हुआ। मैंने दोनो हाथों से अम्मी के चूतड़ के दोनों हिस्से को फैला रखा था और बिना पकड़े ही लंड को उनकी गांड में धकेल रहा था। जिससे मेरा लंड बार बार गलत चल जा रहा था।

इस बार जब मैंने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा और उनकी गांड की छेद पर लगाया तो अम्मी के दोनों चूतड़ आपस में सट गए जिससे मुझे उनकी गांड की छेद दिखनी बंद हो गई। अम्मी गांड की छेद इतनी अंदर थी की उनके बड़ी गांड के दोनों टीलो को हटाए बिना उनकी गांड में लंड घुसाना मुस्कील था।

कुछ देर मैं कोशिश करता रहा पर हर बार या तो मेरा लंड इधर उधर फिसल जाता या मुझे सही से उनकी गांड की छेद ही नही दिखती आख़िर में शायद अम्मी को मेरी मुश्किल समझ आई उन्होंने अपने दोनों हाथ पीछे किया और अपने दोनों हाथों से उन्होने अपनी गांड के दोनों हिस्सों को फैलाया और अपनी गांड की छेद का रास्ता खोल दिया। “अम्मी को सिड्यूस करके चुदाई की।”

मुझे थोड़ी खुशी हुई की अम्मी खुद भी अपनी गांड मरवाना चाहती है मैंने देरी न करते हुए अपने लंड पर थूक लगाया और अपना लंड अम्मी की गांड की छेद पर लगा दिया। अम्मी ने अपनी गांड अपने हाथों से फैला रखा था। अब मैं अम्मी की गांड की छेद में अपने लंड का ज़ोर लगाने लगा।

अम्मी आ आह… आह..! करने लगी देखते ही देखते उनकी गांड की छेद ने मेरे लंड को निगलना शुरू कर दिया इस बीच अम्मी थोड़ी जोर से चीख रही थी। आ..आह…. अ…आह….. इ… स.. इ..स!  मैंने उनकी गांड में दबाव बनाए रखा देखते ही देखते अम्मी की गांड मेरे लंड के सपाड़े को निगल गई।

सुपाड़ा अम्मी की गांड में घुसने के बाद अम्मी ने सांस ली और मैंने धीरे धीरे अपनी क़मर आगे पीछे करनी शुरू कर दी। अब मेरा मोटा लंड अम्मी की गांड में जड़ तक समा गया। मुझे पहली बार औरत की गांड चोदने का मौका मिला था। मुझे अपने लंड पर उनकी गांड का कसाव साफ समझ आ रहा था।

तो मैंने अपनी अम्मी के दोनों कंधो को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और अम्मी की गांड की सवारी करने लगा। अम्मी आह…आह!! उम्म्… उम्ह्ह्ह्…. चिंगाड़ मार रही थी। जिससे सुनकर मुझे अपनी मर्दानगी महसूस हो रही थी। मैं अपनी अम्मी की चींखे निकालने में कामयाब हो रहा था।

यानि मैं अब अपनी अम्मी या किसी भी औरत की वासना को शांत करने में सक्षम था। मैं करीब आधे घंटे तक अम्मी की गांड की सवारी करता रहा उसके बाद मैंने अम्मी के उपर लेटकर अपने हाथ पैर अम्मी के उपर फैला दिया।”अम्मी को सिड्यूस करके चुदाई की।”

और अपनी क़मर को उपर नीचे उठाकर उपर की पोजिशन से अम्मी की गांड पर अपनी क़मर पटक पटककर अम्मी की गांड को चोदने लगा। मैं तेज़ी तेज़ी से झटके मार रहा था और अम्मी तेज़ तेज़ आह.. ऊंह… अह्ह्ह.. आह… आआह्ह… की आवाजें निकाल रही थी।

मैं अम्मी की गांड में ही झाड़ना चाहता था क्योंकि गांड में माल निकालने पर कोई औरत प्रेगनेट नही होती तो मैं तेज़ी से अम्मी की गांड में धक्के लगाता हुआ अम्मी की गांड में ही झड़ गया और अम्मी के उपर ही लेट गया पता नही मैं कब सो गया।

सुबह मेरी जब आंख खुली तो अम्मी बिस्तर पर नही थी। मैं अकेला ही नंगा बिस्तर पर पड़ा हुआ था। जब मैं उठकर बैठा तो मेरी नज़र एक चिट्ठी पर गई जो अम्मी ने मेरे लिए छोड़ी थी। जिसमे लिखा था बेटा रात की मेहनत के बाद तुम सो रहे थे। तो मैंने तुम्हें जगाना ठीक नही समझा मैं दुकान का सामान लेने के लिए बाहर आई हूं।

नीचे लिखा था की तुमने कल रात अपनी अम्मी को जीत लिया मैं अब तुम्हारी हूं। अब तुम्हारा मुझपर पूरा हक है बेटा मैं जिस खुशी के लिए सालों से तरस रही थी। वो खुशी तूमने कल रात मुझे दे दी। माफ करना बेटा अम्मी और बेटे के रिश्ते का खयाल था इसलिए मैं तुम्हारे साथ पहले सख्ती से पेश आई।

अब तुम अपनी अम्मी पर पूरा हक रखते हो अब जब भी तुम्हारा मन  करें तुम अपनी अम्मी को अपनी बीवी समझकर हमबिस्तर हो सकते हो। तुम्हारी अम्मी अपने दिल से तुम्हें अपनी चूत और गांड सौंपती है। बेटा शाम को मैं घर आ जाऊंगी उसके बाद से मैं तुम्हारी जितना मन करे उतना चोदना मैं उफ़ तक नहीं करूंगी।

अम्मी अब मेरी चुदाई की दीवानी हो चुकी थी इससे समझ आता है की कल रात मैंने उनको बिस्तर पर खुश कर दिया था। जिससे वो अपना बदन मुझे सौंप चुकी थी। अब मेरी अम्मी मेरी बीवी बनकर रहेगी जिससे घर में ही हमेशा के लिए चूत का जुगाड़ हो गया।

उम्मीद है दोस्तों आप सबको मेरी ये कहानी पसंद आई होगी। कृपया अपना सुझाव कमेंट करके दे।”अम्मी को सिड्यूस करके चुदाई की।”

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