70 साल की बुढ़िया की सूखी चुत की मोटे लौड़े से चुदाई।

मैं रांची में रहकर अपनी पॉलीटेक्निक की पढ़ाई यही करता हूँ। मेरा परिवार भागलपुर में रहता है। मुझे रांची के एक कॉलेज में एडमिशन मिल गया था। तो मैं यहाँ अकेला रहकर पढ़ाई करता हूँ। मैं एक किराए के मकान में रहता हूँ। सेक्सी कहानी

मैं ऊपर वाले कमरे में रहता था। नीचे मकान मालिक और उनका परिवार रहता है। उनके परिवार में 4 लोग ही रहते है। मकान मालिक ,उनकी माँ और बीवी और एक बच्चा। उनलोगो ने मुझे छत वाले कमरे में रहने दिया। मेरी उनलोगों से अच्छी बनती थी।

पर मकान मालिक की बूढ़ी माँ मुझे देख बस घूरती ही रहती थीं। मुझे भी अजीब लगता था। मैं भी बुढ़िया से ज्यादा बात नही करता था। एक दिन की बात है। शाम को मैं अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था। अचानक लाइट चली गयी। गर्मी के कारण मैं छत पर चला गया। वो बुढ़िया वही छत पर एक कोने में खड़ी थी।

जब मैंने उसे देखा तो वो थोड़ी कांप रही थी। मुझे समझ नही आ रहा था। कि वो इतनी गर्मी में कांप क्यों रही है। मैं छिपते हुए बुढ़िया के नज़दीक पहुँचा तो मुझे उसके चुड़ियों की खनखनाहट की आवाज आने लगी। लगातार उसकी चुड़ियों की खंखानाने की आवाज आ रही थी। सेक्सी कहानी।

वो छत के घेराव वाली दीवार से सटी हुई खड़ी थी। और उसकी पीठ पीछे की तरफ यानी मेरी तरफ थी। मैं धीरे से और आगे गया और दीवार से छिपकर देखा तो मैं भौचक्का रह गया। बुढ़िया की बाई टांग एकदम नंगी थी। बुढ़िया ने अपनी कमर तक अपनी साड़ी उठाकर अपनी बांये हाथ से अपनी चुत में उंगली कर रही थी।

इसलिए उसकी चुड़ियों की खनखन की आवाज आ रही थी। मैं समझ नही पा रहा था कि 70 साल की बुढ़िया की चुत में कितनी आग है जो अपनी चुत को उँगलियों से सांत कर रही थी। मैं उनकी मस्त मोटी जाँघे देखकर जोश में आने लगा था। वो बुढ़िया थी। मगर उसकी कसी हुई मोटी जाँघे जिसपर थोड़े बाल भी थे।

जब मैंने उसकी चूतड़ों को देखा तो बुढ़िया के हिलने से उसकी गाँड़ भी हिल रही थी। उसकी चुचियाँ तो बड़ी बड़ी थी। लेकिन पूरी इस्तेमाल होने से उसकी चुचियाँ झूल गयी थी। सेक्सी कहानी मैं कभी कभी जब ऐसे ही देखता था। तो उसके ब्लाउज के हुक के बीच के फांकों से उसकी चुचियाँ दिखाई देती थी।

मैं आते जाते जब वो दिखती तो बुढ़िया की चुचियों को तड़ता रहता था। वो बूढ़ी हो चुकी थी। तो वो अपने पल्लू से अपनी चुचियों को ठीक से ढका भी नही करती थी। अचानक मैंने देखा कि बुढ़िया ने अपनी चुत में तेज़ी से उँगली करनी शुरू करदी। और आसमान की तरफ देखती हुई। उंगली को तेजी से चुत में घुसाने लगी।

मैं समझ गया कि अब उसका चुत का पानी निकलने वाला है। तो मैं झट से गाना गुनगुनाते हुए उसके करीब बढ़ने लगा। वो समझ गयी कि छत पर कोई आया है। तुरंत बुढ़िया ने अपनी उंगली को चुत से निकलकर अपनी साड़ी को नीचे करके अपनी टांग को ढक लिया।

बुढ़िया पीछे मुड़ मुझे देखने लगी। मेरे कारण वो झड़ नही पाई और मैं उसके चुत में उंगली करने में खलल पड़ गया। वो गुस्से से मुझे देखती हुई बड़बड़ाते हुए नीचे चली गयी। मैं समझ चुका था कि उसको चुदाई की आग लगी है।

मैं सोचने लगा कि यार इस बुढ़िया को शायद 35 सालों से कोई लंड नही मिला। उसके पति को गुजरे 35 साल हो चुके थे। मैं सोचने लगा कि अब तो उसकी चुत भी सिकुड़ कर टाइट हो गयी होगी। यही सब सोचकर मेरा लंड भी खड़ा हो गया। मेरे लौड़े को भी कई दिनों से कोई चुत चोदने को नही मिली थी। सेक्सी कहानी

अभी भी मैं बुढ़िया को चोदने के इरादे में नही था। वो बुढ़िया मुझे फूटे आंख सही से नही देखती तो चोदने क्या देगी। मैं यही सोचकर छत पर ही जहाँ बुढ़िया खड़ी होकर अपनी चुत में उँगली कर रही थी। वही मैं खड़ा हो कर अपने लंड को हिलाने लगा। थोड़ी ही देर में चुत के सपने देखते देखते मैं वही झड़ गया।

मैं कुछ करता उससे पहले ही मेरा सारा माल (वीर्य) सामने की दीवार और छत पर फैल गया। मैंने कई दिनों से मुठ नही मारी थी। इसलिए मेरे माल (वीर्य) की मात्रा और गाढ़ापन बहुत था। मुझे कुछ समझ नही आया कि क्या करूँ। वीर्य गाढ़े गोंद की तरह छत पर फैला हुआ छोड़ कर अपने कमरे में आ गया। सेक्सी कहानी

मैं फिर अपनी पढ़ाई में लग गया। फिर करीब एक घंटे बाद 6 बजे वो बुढ़िया फिर से छत पर गयी। मैं भी चुप कर उसके पीछे गया। हल्का अंधेरा हो चुका था। वो बुढ़िया फिर उसी दीवार के पास जाकर रुक गई। और चारो तरफ देखकर फिर दीवार से चिपक गयी।

आगे जो होने वाला था। आप समझ ही गये होंगे दीवार से सटते ही बुढ़िया के पैरों में मेरा गाढ़ा माल (वीर्य) लग गया। वो झुक कर देखने लगी। और उंगली में वीर्य को उठाकर देखने लगी। मैं डर गया कि कही वो अपने बेटे को ना बताए। सहमा हुआ सा मैं अपने कमरे में लौट आया और पढ़ने बैठ गया।

डर से पढ़ाई में भी मनन नही लग रहा था। और खुदपर गुस्सा भी आ रहा था। कि काश मैंने अपना माल (वीर्य) को छत से साफ कर दिया होता। बुढ़िया तो एक पल में ही समझ गयी होगी। कि छत पर फैली हुई चीज वीर्य ही है। 10 मिनट के बाद मैं फिर चुपके से छत की ओर गया।

देखा तो बुढ़िया फिर से अपनी चुत में उंगली कर रही थी। रात को छत पर कोई आता जाता नही था। वो निशचिंत होकर अपनी चुत में उंगली मार रही थी। फिर से उसकी चुड़ियों की खनखन की आवाज आ रही थी। सेक्सी कहानी इस बार बुढ़िया अपनी साड़ी को पूरा ऊपर करके अपनी चुत में उंगली कर रही थी।

मुझे अब उसकी चर्बी वाली हिलती हुई बड़ी 38 साइज की गाँड़ और मोटी जाँघे पीछे से एकदम नंगी दिख रही थी। मैंने ध्यान से उसकी गाँड़ के नीचे देखा तो दिखा की वो अपनी एक ही उंगली से अपनी चुत की गहराई को कुरेद रही थी। शायद चुदाई नही मिलने से ही बुढ़िया का स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया था।

मैंने भी सोचा इसे भी खुश रहने दो। मैं चुप चाप अपने कमरे में आकर खाना बनाने की तैयारी करने लगा। करीब 20 के बाद बुढ़िया को नीचे की तरफ जाते देखा तो मैं समझ गया कि बुढ़िया अपनी चुत का पानी निकाल कर सांत हो गयी होगी। फिर मेरे मन में आया कि इसने अपनी चुत का माल (वीर्य) कहाँ छोड़ा होगा।

मैं यही देखने के लिए अंधेरे छत पर गया। अपने फ़ोन की टोर्च जला कर उसी दीवार के पास पहुंचा तो देखा कि ढेर सारा वीर्य दीवार से आगे तक बहा हुआ था। मेरे लंड से निकला हुआ माल(वीर्य) इतना नही था। मैं समझ गया कि इसमें बुढ़िया की चुत से निकला हुआ माल भी है।

मैं वापस आकर खाना खा कर अपने कमरे के दरवाजे को बंद करके सो गया। जब रात के 11 बजे थे। तभी किसी ने मेरे दरवाज़े पर दस्तक दी मैं आलास से नही उठा कुछ देर बाद फिर दरवाजा खटखटाने की आवाज आई।

मैंने उठकर दरवाजा खोला तो देखा कि मकान मालिक की माँ वही बुढ़िया खड़ी थी। और थोड़े गुस्से में थी मुझे लगा! मैंने पूछा इतनी रात में आप यहाँ तो वो बोली तू अंदर चल तुझसे कुछ बात करनी है। मुझे अंदर धकेलती हुई अंदर आ गयी। मैंने पूछा बात क्या है?

तो वो गुस्से से मुझे देखती हुई बोली पहले दरवाजा बंद कर मैं डर चुका था। मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया। वो बोली तू मुझे छुप छुप कर क्यों देखता है। मेरी ऊपर तेरी नियत गंदी है। मैं सब अपने बेटे को बताऊंगी। डर से मेरी हालत खराब हो गयी। मैंने कहा आप क्या कह रही हैं।

बुढ़िया बोलने लगी तो तू छत पर छुप कर मुझे क्यों देख रहा था। मैं चुप हो गया। बुढ़िया मेरे लंड को पकड़ते हुए बोली तू वहाँ छत पर माल(वीर्य) गिरा कर आया है ना। बहुत जवानी चढ़ रही है। तुझको साले। मैं चुपचाप सब बर्दास्त करके सुनता रहा। फिर वो बोली क्या देखने छत पर गया था।

मैं कुछ बोलता उससे पहले वो बोली क्या देखने गया था। बोल न क्या देखना चाहता है मेरी बूर को! ले देख ले देख इतना कहके वो मेरी बिस्तर पर लेट गयी। और अपनी साड़ी उठा कर अपनी नंगी चुत दिखाने लगी। मैं डर और शर्म से अपनी नज़रे नीचे किये खड़ा था। सेक्सी कहानी

वो बिस्तर से उठी और मुझे अपनी टाँगो के बीच खींचती हुई फिर अपनी साड़ी उठा कर अपनी नंगी चुत दिखाने लगी। बोली ले देख ले साले! ले देख मेरी बूर को मैंने कहा रहने दो आप मुझे गलत समझ रही हो। वो बोलने लगी देखकर मनन नही भरा। तो चोद ले मेरी चुत को

ले चोद न कुत्ते चोद! छुप कर गाँड़ देखता है साला ले चोद मुझे अब गुस्सा आ रहा था। साथ ही मेरा लंड उसकी नंगी चुत को देख कर खड़ा हो गया था। वो बोले जा रही थी। चोद न साले मैं जानती हूँ। तू मेरी चुत चोदना चाहता है ना तो चोद!

मुझे भी उसकी बुढ़िया कसी हुई चुत देख मेरी नियत बिगड़ने लगी। वो बुढ़िया थी। मगर उसकी चुत बहुत सेक्सी लग रही थी। उसकी चुत के दोनों पट्टो पर छोटे छोटे झाँटे थी। आधी काली आधी सफेद। और गोरी चुत के बीच निकली काली चमड़ी देख मैं काबू से बाहर हो रहा था।

वो अभी भी बिस्तर पर अपनी साड़ी उठाये नंगी लेटी हुई थी। मैं समझ नही पा रहा था। कि ये मुझे ताना मार रही थी या उकसाने के इरादे से आई थी। फिर वो मुझे खींचती हुई अपनी जांघो के बीच खड़ा करके गुस्से से बोली अब क्या हुआ साले चोद न तेरा लौड़ा खड़ा नही हो रहा है क्या?

मैं भी गुस्से में आ गया था। मैंने झट से अपनी पैंट नीचे खिंची और झट से अपना मोटा तगड़ा 8″ का लौड़ा उसकी चुत पर लगा दिया। इससे पहले की वो कुछ समझ पाती मैंने उसकी कमर को पकड़ा और एक जोरदार धक्का उसकी चुत में लगा दिया।

मेरे लौड़े का सूपड़ा उसकी चुत के दोनों पट्टो को चीरता हुआ। बुढ़िया की चुत की छेद पर अटक गया। इतने सालों से सूखी चुत इतनी जल्दी कैसे लंड निगल जाती। बुढ़िया की चुत सिकुड़ कर छोटी हो गयी थी। सेक्सी कहानी और उसकी चुत में लचीलापन नही था।

वो कुछ बोलती उससे पहले मैंने उसकी कमर को अपने दोनो हाथों से जकड़ लिया और दूसरा धक्का मार दिया। जिससे मेरा सुपड़ा तो एक झटके में अंदर घुस गया। पर लंड टेढ़ा होकर बाहर छिटक गया। वो बुढ़िया की मुँह से आआआह.. अहह आहहहह… चिलाने लगी। मैंने तुरंत उसके मुँह को हाथ से दबा दिया।

एक हाथ से उसका मुँह दबाके रखा और दूसरे हाथ से नारियल तेल की सीसी उठाई वो कराह रही थी। मैंने अचानक में उसकी चुत में लंड पेल दिया था। जिससे उसकी सुखी सिकुड़ी हुई चुत मेरे मोटे लौड़े को सहन नही कर पायी। वो अभी भी कराह कर अपनी चुत को पकड़े लेटी थी।

मैंने एक हाथ से तेल को अपने लंड पर गिराया और तेल को लंड पर अच्छे से फैलाकर मल दिया। फिर से मैंने उसकी चुत पर लंड लगाना चाहा पर बुढ़िया ने अपना हाथ नही हटाया। मैं अपनी कमर उसकी चुत से चिपका कर खड़ा हो गया। और उसकी साड़ी खोलकर उसे नंगा कर दिया।

फिर मैं अपनी कमर उसके चुत से सटाते हुए उसके पेट पर अपना लंड रगड़ने मलने लगा। मेरे दोनों गोले(आंड) उसकी चुत पर लटके हुए थे। और मेरा लंड उसकी पेट पर से उसकी नाभि तक पहुँच रहा था। अब वो मेरा लंड देखकर डर रही थी। मैंने उसकी ब्लाउज खोल दी

उसने अंदर ब्रा नही पहनी हुई थी। ब्लाउज खोलते ही उसकी बड़ी गुलगुल चुचियों दोनों तरफ झूलने लगी। मैं बुढ़िया के सीने पर अपना हाथ फेरने लगा। और उसकी चुचियों को दबाते हुए दोनों चुचियों को आपस मे चिपका दिया। और उसकी चुचियों को खूब मसलने लगा। मसल मसल कर मैंने उसकी चुचियों को लाल कर दिया।

अब उसके काले काले दानेदार निपल्ले सख्त हो चुकी थी। मैं उसकी निप्पलों को होटों से खींच खींचकर लंबा करने लगा। वो आआआह..आह उफ्फ ओफ्फो हहआ अ आ करने लगी मैंने उसे चुप रहने को कहा उसने अपनी आवाज धीमी कर दी।

फिर मैंने अपने लंड को उसकी चुत के छेद पर लगा दिया। और धीरे से धकेल कर अपने लौड़े का सूपड़ा चुत में घुसा दिया। फिर मैंने उसकी टाँगो को अपने हाथों में फंसाते हुए ऊपर करके उसके कंधों को पकड़ लिया। और धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चुत में पेल दिया।

जब लंड का आखिरी 3″ छोड़ आधे से ज्यादा लंड उसकी चुत में तेल की वजह से फिसलकर घुस गया। तो मैं वैसे ही रुक गया जब मैंने बुढ़िया की आँखों को देखा तो वो दर्द के मारे बंद थी। मैंने उससे कहा कि देख मैं तेरी चुत का फिर से कैसे भोसड़ा बनाता हूँ। वो चुप थी।

फिर मैंने अपना लंड पूरा उसकी चुत से बाहर निकाला और फिर से लंड के सुपड़े को उसकी चुत की छेद पर लगा दिया। और एक ज़ोरदार धक्का मारते हुए अपने लंड को उसकी चुत में जड़ तक ठेल दिया। एक झटके में लंड घुसते ही वो दर्द से तड़प गयी।

उसने चींखने की कोशिश की पर मैंने उसके मुँह को हाथ से दबा लिया। वो दबी हुई आवाज में उई ई ई…मां अ अ आ आ आ अरे बआआप रे ए ए निकाल दे निकाल बहुत दर्द हो रहा है। मैंने उसकी मुँह दबाए रखी। और दुबारा अपने लंड को पीछे खिंचके कमर तोड़ झटके से उसकी चुत में पूरा लंड घुसा के उसपर लेट गया।

वो दर्द से तड़पते हुए अपने हाथ पैर मारने लगी। मैं उसे अपने नीचे दब के उसपर काबू करने लगा। अंदर धक्का मारने से उसकी चुत फिर से फैल रही थी। इसीलिए उसे इतना दर्द हो रहा था। मैंने कहा मुझे पता है तू यहाँ मुझसे चुदवाने ही आयी थी। सेक्सी कहानी

अब तेरी गाँड़ क्यों फट रही है। ले खा अपनी चुत में मेरा जवान लंड फिर मैं उसकी चुत में लंड डालने लगा। अब उसकी चुत खुल गयी थी। मानो मैंने उसी चुत की सील तोड़ दी थी। मैं उसे जबदस्त शॉर्ट मारने लगा। मेरे लंड में भी जलन होने लगी थी। मैं उसे चोदता रहा आखिर 20 मिनट में वो झड़ गयी।

मैंने अपना लंड बाहर निकाल उसकी चुत का पानी बाहर निकलने दिया। उसकी चुत के दोनों फांके फैलकर अलग हो चुके थे। अब उसकी चुत फट कर चुत में 3″ का छेद हो चुका था। जब उसकी चुत का पानी बाहर निकल गया। फिर से मैंने अपना लंड उसकी चुत में डाल दिया।

पर इसबार उसको दर्द नही मज़ा आ रहा था। मैं जितनी ज़ोर के धक्के से उसकी चुत में लंड को पेलता वो भी अपनी गाँड़ को ऊपर उठा कर नीचे से धक्के मारती। अब मैंने उसके दोनों टाँगो को ऊपर करके अपने कंधों पर रख दिया। और मैं अपने पैर के पंजो की सहारे अपनी गाँड़ को हवा में लहराते हुए। उसकी चुत में अपने लंड की बरसात करने लगा।

बुढ़िया भी आह आह ओह्ह ओह्ह आआआह उमहहह आन्हह करती हुई चुदने लगी। वो भी अपनी चुत में मेरे लंड पर दबाव बनाते हुए मेरे लंड को अपनी चुत में खींचने लगी। उसके ऐसा करने से फच्च मेरे लंड ने उसकी चुत में पिचकारी मार दी। मैं उसकी चुत में ही झड़ गया। पर मैंने उसकी चुत चुदाई बंद नही की।

और उसकी चुत में धक्के पर धक्के मरता रहा। थोड़ी देर में जब लंड अंदर से ही बाहर आता तो लंड के साथ मेरा उसकी चुत में छोड़ा हुआ माल(वीर्य) भी बाहर निकलने लगा। बढ़ते धक्कों से वीर्य का फेन बनकर बुढ़िया की चुत के बाहर बहने लगा। मैं दुबारा उसकी चुत में झड़ गया।

और उसके बगल में लेट गया। बुढ़िया और मेरी दोनों की सांसे तेज़ चल रही थी। हमदोनों एक दूसरे को ही देख रहे थे। थोड़ा आराम करने के बाद वो उठी और अपनी साड़ी उठा कर पहनने लगी। उसने अपनी पीठ मेरी तरफ की थी। मुझे उसकी चर्बी से भरी चौड़ी गोल गाँड़ दिख रही थी। सेक्सी कहानी।

मेरे लौड़े की नीयत फिर बिगड़ गयी। मैंने भी सोचा चलो आज इसे भी अच्छे से खुराक दिला दिया जाए। पता नही अब कब चुत के दर्शन हो। तो मैं उठकर बुढ़िया की चर्बी वाली गाँड़ को दोनों हाथों से मिसने लगा। वो दूर भाग गई। मैंने उसे पीछे से दबोच लिया।

उसे बिस्तर पर पेट के बल पटक दिया। वो ना नही करती रही। पर मेरे लौड़े को उसकी गाँड़ का चस्का लग चुका था। मैंने उसे बिस्तर पर पेट के बल पटक दिया। मगर उसकी टाँगे जमीन पर ही थी। जैसे डॉगी स्टाइल मैं उसकी पीठ को बिस्तर पर दबाए उसकी गाँड़ में लंड रगड़ने लगा।

देरी न करते हुए मैंने अपना लंड उसकी गाँड़ की दरारों में डाल दिया। और लंड से उसकी गाँड़ की छेद ढूंढने लगा। उसकी गाँड़ की छेद पर लंड टकराते ही मैं रुक गया। तेल सीसी को उसकी गाँड़ की दरार में उड़ेल दिया। जब तेल बहता हुआ मेरे लंड और उसकी गाँड़ की छेद पर पहुँचा।

तो मैंने एक ज़ोर का धक्का मार और फच्च की आवाज के साथ मेरा मोटा 8″ का लौड़ा आधा उसकी गाँड़ में उतर गया। वो अपना चेहरा बिस्तर पर दबाये रोने लगी। और गाँड़ से लंड को निकालने को कहने लगी। मैंने उसकी बातों पर ध्यान न देते हुए। अपना बाहर बचा हुआ लंड का हिस्सा भी उसकी गाँड़ में घुसा दिया।

फिर मैंने उसकी गाँड़ के दोनों गोलों को अलग करके देखा तो लंड अभी भी दो इंच बाहर था। मैंने अपने हाथों से उसकी गाँड़ के दोनों हिस्से फैला दिए और एक धक्का मार जिससे पूरा लंड उसकी गाँड़ में समा गया। अब मैं उसकी गाँड़ मारने लगा।

वो आआआह आआआह आ आ मा अ आ आ मार गई ई ई छोड़ दे अब निकाल बाहर गाँड़ दुख रही है। पर मैं बुढ़िया की गाँड़ मारते रहा। जब मेरी कमर उसके कूल्हों से टकरातीं तो ठप ठाप ठाप्प की आवाज आती और जब उसकी गाँड़ में लंड अंदर जाता तो फच्च फच्च कर उसकी गाँड़ से ही हवा निकलती। सेक्सी कहानी।

मैंने बुढ़िया की गाँड़ बहुत चोदी इतनी चोदी की तीन बार उसकी गाँड़ में झड़ने के बाद मैंने उस रात चौथी बार उसकी गाँड़ मारी उसकी गाँड़ की काली गोल छेद सूझ कर लाल हो चुकी थी। मैं उसे भोर के 3 बजे तक कभी गाँड़ कभी चुत चोदता रहा। उसके बाद वो कभी मुझसे चुदने नही आई। इस बात को करीब 15 दिन हो चुके है। अगली बार अगर इस बुढ़िया को चोदने का मौका मिला तो आपको जरूर बताऊँगा।

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