नींद में भाभी की चुदाई

मेरा नाम राजु है और मैं मनाली से  50 किलोमीटर दूर एक गावं में रहता हूँ मैं 20 साल का हूँ लम्बाई 5 फीट 8 इंच , गोरा रंग और शरीर से थोड़ा दुबला पतला हूँ। बात पिछले साल की है जब मै ग्रेजुयेशन पहले साल में था।

नींद में भाभी की चुदाई

मैं रोज़ घर से कॉलेज अप डाउन करता था। मेरे एक दूर के रिश्ते के भईया और भाभी सिटी मे रहते हैं। मैं कभी कभी कॉलेज से जल्दी छूटता था। तो अक्सर उनके घर चले जाया करता था। उनका एक बेटा है जो 7 साल का है। 

मैं आप सभी को भाभी के बारे मे बताता हूँ वो लगभग 28 साल की है। गोरे रंग के साथ ही शानदार चूचियों ओर भारी चुत्तडो की मालकिन है। कद मे थोड़ी छोटी लगभग 5.2” की है तो अब मैं आप सभी को असल कहानी पर ले चलता हूं।

पहले भईया भाभी भी गावं में ही रहते थे। लेकिन जहां तक मुझे मालूम है। बेहतर काम और जिंदगी के लिए वो लोग 1 साल पहले शहर आ गए थे। जब से भईया की शादी हुई थी तब से ही भले ही मैं उस वक्त छोटा था। लेकिन भाभी को नंगी देखना चाहता था। मैं जब कभी कभार उनके घर जाता था। तो वहां नई नवेली भाभी को देखकर मेरा मन वासना से भर जाता था। लेकिन अपने सपनों में ही उनको नंगा देखकर अपनी वासना को शांत किया करता था।

लेकिन मेरी मन की कामना कभी पूरी नही हुई। बात परसों की है मैं कॉलेज गया था और वहां से भईया के घर चला गया। मेरे भईया किसी सेठ के यहां कार चलाते थे और वो अपने मालिक के साथ 2-3 दिनों के लिए बाहर गए थे। मेरे भईया भाभी बहुत सेक्स करते थे।

पहले एक रात मैं उनके यहां उनके कहने पर रुक गया था। उनका एक कमरे का मकान था। तो उस रात मैं और उनका बेटा ऊपर पलंग पर सो गए और भईया और भाभी नीचे सो गए। करीब आधी रात को अचानक किसी की सिसकारियां सुनकर मेरी आंख खुली। तो मैंने देखा भाभी की साड़ी उनके जांघों तक उठी हुई थी। भईया भाभी की दोनों जांघों के बीच भाभी पर लेटकर भाभी को चोद रहें थे और भाभी सिसकारिया ले रही थी। जिससे मेरा भी मन भाभी को चोदने का हो गया।

आज जब में भईया के घर पहुँचा तो 2 बज रहे थे ओर मैने भाभी को प्रणाम किया फिर भाभी ने घर के हालचाल पूछे दरअसल मेरी भाभी थोड़ी रांड किस्म की है इसलिये मुझे वो पसंद नही थी। मेरी बस उनके शरीर मे दिलचस्पी थी थोडी इधर उधर की बाते करने के बाद भाभी काम करने लगी।

मैं पीछे से उनकी नाईटी में बनी पेंटी की शेप को देखने लगा साथ ही मेरा लंड भी उत्तेजित होने लगा लेकिन थोड़ी ही देर में उनका बेटा स्कूल से आ गया। उनका बेटा मुझे देख चाचा – चाचा कहते हुए बहुत खुश हो गया। फिर उसने  मुझसे वही रुकने की ज़िद की तो भाभी ने भी कहा की आज तुम्हारे भईया भी नही है आज तुम यही रुक जाओ मैने कहा ठीक है और घर पर फ़ोन कर दिया की मैं आज यही रुकूँगा.

मैं भतीजे के साथ खेलने लगा और थोड़ी देर भतीजे के साथ घूमने के बाद घर आ गया। करीब 8 बजे हमने खाना खाया और थोड़ी देर बैठकर टीवी देखी। उस वक्त भतीजा सो चुका था। भाभी और मैं  थोड़ी बाते करने लगे फिर कुछ देर बाद भाभी ने कहा की अब नींद आ रही है।

तो फिर हम लाइट ऑफ करके सो गये। उनका बेटा पहले से ही पलंग के एक किनारे दीवार की साइड सो चुका था। इसलिए पलग पर अब जो जगह थी हम उसी में लेट गए। भाभी मेरे बगल में सो गयी। अब तक मेरी भी कुछ करने की हिम्मत नही हुई थी। नाइट बल्ब की रोशनी में भाभी पेट के बल लेटी हुई थी और उनके चूतड देखने मे मुझे मज़ा आ रहा था।

मैंने नींद का बहाना करते हुये अपना एक पैर उनके चूतड पर रख दिया वो अचानक से उठी मेरी ओर देखा लेकिन में सोने का नाटक करता रहा चाची ने मेरा पैर चूतड पर से हटाया और सीधी लेट गयी में डर गया था।

फिर मैं सांस रोक कर लेटा रहा थोड़ी देर बाद मैने फिर हिम्मत करके अपना एक हाथ भाभी के पेट पर रख दिया। भाभी की तरफ से कोई हलचल नही हुई कुछ देर तक हाथ रखने के बाद मैने आगे बढ़ने का सोचा और अपना  घुटना मोडकर भाभी की जाँघ पर रख दिया।

मैं सोने का नाटक करता रहा भाभी का अब तक कोई प्रतिक्रिया नही दे रही थी। मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी और मैंने भाभी की जाँघ को अपने घुटने से रगड़ना शुरू किया भाभी सोई हुई थी या नहीं थी जांचने के लिये मैंने भाभी की जाँघ दबाई तो भाभी ने एक गहरी सांस ली।

अब मेरी आँखो से नींद गायब हो चुकी थी मैं बैठ गया। मैंने भाभी की नाईटी हल्की सी ऊपर उठाकर जाँघो तक कर दी मुझे बहुत मज़ा आ रहा था लेकिन डर से मेरा पसीना भी छूट रहा था। अब मैने भाभी के चेहरे की ओर देखा वो सो रही थी अब मैंने अपनी पैंट उतारी और फिर धीरे से लेट गया।

मेरा 7 इंच का लंड खड़ा हो चुका था फिर भाभी ने करवट ली और मेरी ओर तरफ चूतड कर लिये। मैंने मौका पाकर नाईटी थोड़ी और  उपर कर दी। अब मुझे भाभी की पेंटी के दर्शन हुये। मैंने अपना लंड निकाला और भाभी की गांड के पास ले गया। मैं अपने लंड को भाभी के चूतड से टच करना चाहता था। लेकिन तभी भाभी पेट के बल लेट गयी।

मैं डर गया ओर सीधा लेट गया थोड़ी देर बाद भाभी के शरीर में कोई हलचल नही हुई तो मैंने सोचा अब मेरे पास नाईटी उपर करने का अच्छा मौका है। मैंने धीरे से भाभी की नाईटी उपर की मैं नाइट बल्ब की रोशनी में भाभी के बड़े बड़े चूतड देख के पागल हो रहा था। अब मैंने भाभी के चूतडो पर अपनी जीभ लगाई और चाटने लगा। तभी मुझे लगा की भाभी जाग रही है और सोने का नाटक कर रही है।

मैंने हल्के से भाभी के चूतडो पर काटा तो भाभी की सिसकारी निकल गयी। लेकिन भाभी सोई रही में बहुत खुश हुआ। अब मैंने धीरे से भाभी की पैंटी नीचे कर दी। भाभी ने हल्के से अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दिया की मुझे पता ना चले की वो जाग रही है। लेकिन मैं अब जान चुका था।

भाभी नाटक कर रही थी। मैंने पूरी पैंटी नीचे उतार दी। अब भाभी सीधी हो गयी। मैंने उनकी नाईटी को उठाया और उनकी मस्त गोल  चूचियों को हाथ में ले लिया। मैं उनकी चूचियों को मसलने लगा। उनकी चुचियों को मसलने पर मुझे ऐसा लग रहा था की उनकी चूचियां किसी पानी भरे गुब्बारे जैसी मुलायम हों।

फिर मैं भाभी की चुचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा में हैरान भी था की भाभी अब सिसकारी ले रही थी। लेकिन सोने का नाटक भी कर रही थी। अब बाजी मेरे हाथ मे थी मैं भाभी के पूरे शरीर को चाटते हुये उनकी चूत तक पहुँचा जहां घनी और काली झाटे थी। मैंने जीभ से उनके बीच में छुपी चूत को मुँह में भर लिया। मैं भाभी की चुत चाटने लगा। भाभी अपनी आंख बंद किए हुए मज़े ले रही थी।

मैं उनकी चुत को अपने मुंह से हडेडते हुए जब अपनी जीभ को उनकी चुत के छेद में डाल रहा था तब ऐसा लग रहा था की मैं जन्नत में हूं। भाभी की चूत भी गर्म होकर लगातार पानी छोड़ रही थी।

अब मेरे लिये सब्र करना मुश्किल था। मैंने अपना लंड भाभी की चूत पर रखा और रगड़ने लगा। ऐसा लग रहा था जैसे किसी गर्म तवे पर रग़ड रहा हूँ। मैने भाभी की टाँगे फैलाई और लंड को चूत के छेद पर रखा और हल्का सा धक्का दिया और लंड रास्ता बनाता हुआ अंदर जाने लगा। भाभी ने फिर सिसकारी ली और अपने हाथों  से मुट्ठी में चादर टाइट पकड़ ली।

दोस्तों उस पल ऐसा लगा जैसे मैंने अपना लंड किसी गर्म रस में डाल दिया है। इतना मज़ा आया की में उसकी कल्पना भी नही कर सकता था। मैंने एक और धक्का लगाया और लंड चूत की दीवारों से रगड़ता हुआ। जड़ तक उतर गया अब में भाभी के उपर झुक गया। भाभी ने अपने चेहर पर चादर डाल ली थी ताकि मुझे उनका मस्ती में झूमता चेहरा न दिखे वो हल्के हल्के से चादर के भीतर से ही सिसकारी ले रही थी।

अब मैंने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया ओर मेरा लंड भाभी की चूत के रस मे गोते लगाने लगा मेरी स्पीड बडने लगी। भाभी की सिसकारियाँ भी अब मैंने भाभी की टांगो को उपर उठाया और धक्के लगाने लगा मेरा लंड भाभी की चूत मे तेज़ी से दौड़ रहा था। भाभी के चूतड भी मेरे धक्कों से ताल मिला रहे थे।

लगभग 15 मिनट तक चोदने के बाद भाभी ने अपने पैरों से मुझे दबा लिया और तेज़ी से चूतड उछालने लगी। मैंने भी धक्कों की स्पीड बड़ा दी और भाभी के साथ ही छूटने लगा। भाभी ने मुझे कसकर दबा लिया और मैंने अपना वीर्य भाभी की चूत मे ही डाल दिया। भाभी के चूत के रस में मेरा लंड तर हो चुकी था और मैं भाभी के उपर ही लेट गया।

भाभी की चूचियाँ मेरे सीने से दबकर उपर नीचे हो रही थी। मैंने सोचा की जब तक भाभी नही हटायेगी में भाभी के ऊपर से नही हटूँगा। इससे भाभी को मेरे सामने उठना पड़ता कुछ देर लेटे रहने के बाद भाभी ने बड़ी चालाकी से एक करवट ली और मुझे अपने उपर से उतार दिया।

मेरा लंड फक की आवाज़ के साथ उनकी चूत से बाहर निकल गया और वो वैसे ही लेट गयी मैं भी बहुत थक गया था और मुझे नींद आ गयी सुबह जब मेरी नींद खुली तो 9 बज चुके थे। उनका बेटा स्कूल जा चुका था। मैं फ्रेश होकर आया तो देखा की भाभी नाश्ता लगा रही थी। मुझे रात की बाते याद आई तो में भाभी से आँखे नही मिला पा रहा था।

लेकिन भाभी बिल्कुल नॉर्मल थी। भाभी बोली की कल रात मुझे ठीक से नींद नही आई और कमर मे भी दर्द हो रहा है तुम थोड़ी मालिश कर दो में समझ गया की अब भाभी मुझे क्या हिंट दे रही थी। मैंने उनकी कमर की मालिश करनी शुरु की। मैं सिर्फ़ मालिश ही कर रहा था। जब भाभी से खुद बर्दास्त नही हुआ। तो वो झट से पलटी और एकदम से मेरे होठों को अपनी होंठों में कस लिया।

उसके बाद से अपने आप ही आगे का सारा काम होने लगा। लेकिन उस दिन के बाद से मैं कभी उनके घर अभी तक नही गया हूं। शायद उस रात उनको मन भर चुदाई नही मिली थी। इसलिए वो चुदाई के आग में तप रही थीं और सुबह खुद ही अपनी हवस मिटाने का मौका मुझे दे गई। शायद उनको भी उस दिन के बाद अपने आप पर शर्म आती होगी जैसे मुझे आती है। पर अब मेरा भी मन कर रहा है की एक दिन मैं उनसे मिल आऊं।

इतना तो साफ है उनके पास जाने के बाद वो मुझे चुदाई के लिए मना नहीं करेंगी। उम्मीद है आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आएगी।

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