नींद में पड़ोसी दादी की बूर चुदाई का खेल।

दादी की चुदाई

मैं एक छोटे से शहर में रहने वाला एक सामान्य वर्ग का लड़का हूँ। मेरा परिवार एक खुशहाल परिवार है। मेरा नाम विशाल है मेरी उम्र 24 साल हो चुकी है। आज मैं आप सभी को बताने वाला हूँ कि कैसे मैंने मेरी पड़ोसन दादी की बूढ़ी बूर में अपना जवान लंड का स्वाद चखाया।

एक महीने पहले की बात है। मैं, मम्मी और पाप दोपहर में अपने घर मे टीवी देख रहे थे। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। जब मम्मी ने दरवाजा खोला तो, बाहर बगल वाले घर के अमित भैया खड़े थे। वो अंदर आये और कहाँ की सुधा (उनकी पत्नी) के पिता की तबियत खराब हो गयी है।

इसलिए मैं और सुधा उसके मायके जा रहे है। उन्होंने कहा की उनकी माँ घर मे अकेली रहेंगी। तो आप विशाल को मेरे घर भेज दीजियेगा। रात को विशाल वहीँ सो जाया करेगा। माँ का भी मनन लगा रहेगा। उन्होंने कहा कि वैसे भी विशाल और मेरी माँ की बीच अछि बनती है। तो दोनों का मन बहल जाएगा।

मम्मी ने भी झट से हाँ करदी। और अमित भैया से कहा कि आप घर की चिंता न करे। अमित भैया ने भी मुझसे कहा तू मेरी माँ का खयाल रखना। मैं बचपन से ही उनकी माँ को दादी कहता था। उनकी उम्र अब 50 साल से ऊपर की हो चुकी थी।

अमित भैया की ट्रेन 4 बजे से थी। तो वो 3 बजे अपनी पत्नी के साथ स्टेशन के लिए चले गए मैं और उनकी माँ ने उन दोनों को विदा किया। तो दादी ने कहा चल अंदर आ जा विशाल मैं उनके पीछे उनके घर मे चला गया। उन्होंने मुझसे खाने को पूछा तो मैंने मना कर दिया। उसके बाद मैं उनके हॉल में बैठ गया।

दादी ने कहा कि तू बैठ मैं अभी घर के काम निपटा कर आती हूँ। मैं भी बैठकर टीवी देखने लगा। आधे घंटे बाद दादी हॉल में आकर मेरे सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयी। वो थोड़ी उदास लग रही थी। मैंने उनको हँसाने के लिए उनसे मजाक करने लगा। वो थोड़ी देर में सब भूलकर हसने लगी।

अब दादी आराम से सोफे पर पैर चढ़ाकर बैठ गई। टीवी देखते-देखते जब मेरी नज़र उनके ऊपर पड़ी तो मैं दंग रह गया। वो आराम से सोफे पर अपने दोनों पैर चढ़ाकर बैठी टीवी देख रही थी। उनको भनक भी नही थी कि उनकी साड़ी नीचे से उनकी उनके घुटनो से हट कर उनकी गाँड़ के नीचे तक लटकी हुई थी।

जिससे उनकी मोटी गोरी जांघो के बीच उनकी काली झाँटो वाली बूर और गाँड़ की दरार साफ झलक रही थी। मेरे अंदर तो मानो हलचल मच चुका था। दादी के चेहरे पर झुर्रियां थी मगर उनकी बूर एक दम जवान मैं उनकी फूली हुई बूर को निहार रहा था।

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क्या बताऊँ दोस्तों मुझे कैसा लग रहा था। उनके जांघो से दबने के कारण उनकी बूर फूलकर बाहर निकल चुकी थी। उनकी बूर के किनारे उगी उनकी झाँटे उनकी बूर और बूर के बीच की गुलाबी चमड़ी को ढकने की कोशिश कर रहे थे। पर झाँटे छोटी होने के कारण उनकी बूर के पट्टो तक ही पहुंच रहे थे।

उनकी बूर की गुलाबी चमड़ी के बीच से पानी निकला हुआ था। और उनकी बूर के नीचे की झाँटो पर एक दो बूंद पानी लगा हुआ था। शायद वो अभी अभी पेशाब करके आयी थी। मेरा लंड खड़ा हो चुका था। मैंने अपने लंड को अपने हाथों से छुपा लिया और दादी से कहा कि बाद में आता हूँ।

मैं अपने घर आ गया और सीधा बाथरूम में गया। और दादी के बूर के नजारे को याद करके अपने लंड को सहलाने लगा। मैंने तुरंत अपनी पैंट उतारी और अपने लंड की मुठ मारने लगा। दादी की बूर में लंड घुसने की कल्पना करने लगा। 5 मिनट के अंदर ही मेरा लंड फुहार मारता हुआ झड़ गया।

मैं अपने कमरे में आ गया और लेट गया बार बार मेरे मन मे दादी के बारे में गंदे ख्याल आने लगे मुझे दादी की बूर का वो नज़ारा बार बार दिखने लगा। रात हो चुकी थी मैं खाना खा कर दादी के घर आ गया। दादी लेटी हुई थी। उन्होंने कहा तेरा ही इंतेज़ार कर रही थी।

वो उठी और घर का मेन डोर लॉक कर आयी मैं सोफ़े पर बैठ उनकी मटकती गाँड़ निहारने लगा। जब वो चल रही थी तो उनकी गाँड़ के दोनों कूल्हे ऊपर नीचे हो रहे थे। वो आकर सोफ़े पर बैठी मैं टीवी पर गाने देख रहा था। तभी Hate Story 3 का एक हॉट सांग टीवी पर आ गया। उसमे कुछ बाथरूम सीन्स थे।

दादी ने कहा ये सब गंदी चीजे क्यों देख रहा है। मैंने कहा आज कल इतना चलता है। अपना लंड मसलते हुए अनजान बन कहा सभी कभी न कभी ये सब करते है। दादी हंसने लगी। बोली तू देख मैं कपड़े चेंज करके आती हूँ। मैं भी चुपके से उनकी पीछे चला गया। दादी के रूम का दरवाजा थोड़ा खुला था।

मैंने देखा कि दादी ने अपनी साड़ी खोल दी थी। फिर दादी ने अपनी ब्लाउज भी निकाल दी अब मुझे उनके लटकते हुए मम्मे साइड से दिखने लगे। फिर उन्होंने अपनी पेटीकोट भी उतार दी। अब वो बिल्कुल नंगी मेरी आँखों के सामने थी। मैं उनकी नंगी पीठ और चौड़ी गोरी गाँड़ देख रहा था।

उन्हें उस हालात में देख मेरी हड़बड़ाहट से सांसे तेज़ हो चुकी थी। मेरा लंड मानो उनकी बूर चोदने को बेताब होने लगा। मैंने वहीं अपनी चड्डी नीचे करली और अपनी पैंट में हाथ डालकर अपने लंड को मसलने लगा। मेरा फूलकर 4″ मोटा 8″ लंबा हो चुका था। लंड तो मानो टाइट होकर फटने को तैयार था। अब लंड की नसों में जबरदस्त खिंचाव दर्द भी होने लगा था।

फिर जब बिस्तर पर पड़ी अपनी नाइटी उठाने के लिए झुकी तब उनके झूलते बड़े-बड़े मम्मे मेरी आँखों के सामने आ गए मेरे लंड ने पानी जैसा थोड़ा लार उगल दिया। दादी नाइटी पहन कर बाहर आने लगी मैं झट से भाग कर टीवी वाले रूम में सोफ़े पर बैठ गया। मेरी सांसे अभी भी तेज थी। दादी भी मेरे बगल में आकर बैठ गयी।

मेरी सांसे अभी भी तेज थी। और मेरा लंड मेरी चड्डी से बाहर सिर्फ मेरी पैंट में था। मुझे भागते वक़्त चड्डी चढ़ाने का मौका नही मिला था। मैं अपने खड़े लंड को अपने हाथों से छुपाये बैठा हुआ था। तभी दादी ने पूछा तेरी सांसे तेज़ क्यों है। मैंने कहा कुछ नही बस ऐसे ही तभी दादी ने मेरी कान खींचते हुए कहा ऐसी गंदे गाने सुनने बंद करदे।

वरना!! मैंने कहा वरना क्या? तो वो मुझसे मस्ती करने लगी। वो मुझे सोफ़े पर दबा कर मारने का नाटक करने लगी। मैं भी मस्ती-मस्ती में मैंने उन्हें भी सोफ़े पर पटक दिया। वो अभी भी अपने हाथ मुझपर चला रही थी। मुझे चोट नही लग रही थी। मस्ती में ही मैंने उनको सोफ़े पर पटका और उनके ऊपर चढ़ गया।

अब उनका एक पैर सोफ़े पर और एक पैर जमीन पर था। जिससे उनकी टाँगे फैली हुई थी। मैं उन पर उनकी टाँगो के बीच लेट गया। और उनकी हाथों को पकड़ लिया वो भी हँसने लगी लेकिन मैं अगल ही फिराक में था। मैंने अपने आप को थोड़ा ऊपर खिंचा और ठीक उनके बूर के ऊपर अपना लंड रख दादी के हाथों को पड़के रखा। मेरी कमर अब उनकी कमर पर चढ़ी हुई थी।

मेरा लंड अब ठीक से दादी की बूर पर सट चुका था। मैं उनको थोड़ा लाड़ प्यार दिखा रहा था। मेरा खड़ा लंड दादी की बूर की भाप ले रहा था। इस उम्र में भी उनकी बूर काफी गर्म थी। अचानक उनकी वो हंसी रुक गयी दादी को भी मेरा जवान गर्म लंड महसूस हो रहा था। मेरे को बस मेरी पैंट और उनकी बूर को नाइटी ने रोक रखा था।

मैं हिम्मत करके कपड़े के ऊपर से ही उनकी बूर में अपना लंड चुभाने लगा और अनजान बना रहा। मुझे मज़ा आ रहा था तभी उन्होंने कहा चल हट मेरे ऊपर से मुझे नींद आ रही है। मैंने जोश में पागल हो रहा था। मैं अपनी कोहनियों से उनकी चुचियों को दबा रहा था। और बिल्कुल अजान बना हुआ था। ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड अब मेरी पैंट और उनकी नाइटी को फाड़ के सीधा दादी की बूर में दाखिल हो जाएगा।

शायद दादी को भी मेरी उज्जेजना समझ आ गयी थी। उन्होनें फिर कहा हट जा न बेटा मेरे ऊपर से मुझे नींद आ रही है। मैं उनके ऊपर से हट गया। तभी उन्होंने कहा कि मैं उनके बगल वाले बिस्तर पर सो जाऊ। घर मे कोई नही था। मैंने भी ठान लिया कि आज की रात दादी की बूर चुदाई तो हो के रहेगी।

मैंने दादी से कहा आप जाकर सोइये मैं बॉथरूम से आता हूँ। मेरा खड़ा लंड देखकर दादी को शक न हो इसलिए मैंने उनको पहले जाने को कहा दादी के जाने के बाद मैं बॉथरूम में गया और अपनी पैंट नीचे सरका कर अपने लंड को शांत करने लगा। मैंने देखा कि बॉथरूम में दादी की बहू की उतारी हुई पैंटी पड़ी थी। मैं उस पैंटी को सूंघते हुए दादी की बूर के सपने देखने लगा।

क्या मस्त बूर की सुगंध थी उस पैंटी में मैं और तेज़ी से लंड की मुठ मारने लगा। आखिर में मेरा सारा पानी निकल गया। और मेरे लंड का दर्द कम हो गया। फिर मुझे एक आईडिया आया कि क्यों न मैं इस पैंटी को रख लू मैंने पैंटी छुपा दी। और अपनी चड्डी उतार कर सिर्फ पैंट पहन कर वापस दादी के बगल वाली बिस्तर पर लेट गया।

2 घंटे हो चुके थे। दादी गहरी नींद में थी। मैंने उन्हें हिला डुला कर चेक किया था। मेरी हिम्मत बढ़ी मैं दादी के पीछे उनके बिस्तर पर लेट गया। और धीरे धीरे अपनी उँगलियों से उनकी नाइटी को ऊपर खींचने लगा। बीच मे रुक कर देख लेता की कही दादी जाग तो नही रही है। और फिर से उनकी नाइटी को ऊपर करने लगता। मैंने उनकी नाइटी को उनकी कमर के ऊपर कर दिया।

अब मुझे दादी की गोरी गाँड़ साफ दिख रही थी और गाँड़ के नीचे फांकों से मुझे दादी की बूर का छेद और उसपर की झाँटे देखने लगी। मैं लेटे हुए ही अपना लंड अपनी पैंट से निकाला और उनकी गाँड़ पर धीरे-धीरे मलने लगा। मैंने हिम्मत करके उनके गाँड़ की दरार में हाथ डाला दादी ने कोई हरकत नही की तो मैंने अपना लंड दादी की गाँड़ की दरार में रखा और अपना हाथ हटा लिया।

अब मेरा लंड उनकी गाँड़ की दरार में फंसा उनके दोनों कूल्हों से दबा हुआ था। मैं लेटे लेटे ही उनकी गाँड़ की दरार में अपना लंड ऊपर नीचे कर रहा था। मेरे लंड आगे पीछे करने से मेरे लंड की आगे की चमड़ी खुल सिकुड़ रही थी।

तभी दादी ने करवट बदली और मेरा लंड उनकी गाँड़ से बाहर हो गया। दादी ने करवट बदल कर अपनी एक जांघ को मेरी कमर पर रख दिया। मेरी तो डर से सांसे फूलने लगी। पर दादी अभी भी नींद में थी। करवट बदलने से उनकी नाइटी और ऊपर हो गयी थी। और मेरा हाथ दादी की बूर से सट गया। मेरी तो खुशि सातवे आसमान पर थी।

फिर मैंने दादी की बूर पर थोड़ा हाथ फेरने लगा और उनके बूर की लंबाई चौड़ाई नापने लगा। फिर मैंने उनकी बूर के होठों को उंगलियों से फैलाया और अपनी एक उंगली आधी उनके बूर में डाल दी। उनके बूर में बहुत गर्मी थी। जिससे मेरा मन ललच गया। मैंने दो उँगलियों को उनकी बूर में डाल दिया। मेरा लंड भी पानी पानी हो रहा था।

मैंने उनकी जांघो पर हाथ फेरा क्या मुलायम जाँघे थी। एकदम नर्म और एक हाथ से उनकी नाइटी का हुक खोलकर उनकी चुचियों को बाहर निकाल दिया। मैंने उनकी चुचियों को दबाना शुरू कर दिया उनकी बड़ी बड़ी चुचियाँ रुई की तरह लग रही थी।

फिर मैंने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाते हुए लंड को दादी के बूर पर लगाया। और थोड़ा ऊपर की ओर खिसक कर उनकी चुचियों तक अपना मुँह ले गया। मेरे ऊपर खिसकने से मेरा लंड फिसल कर 1″ इंच उनकी बूर में घुस गया। मेरी अंदर अजीब सी सनसनी दौड़ गई। मैंने खुद को संभाला और धीरे से उनकी जांघ को उठाया और अपनी कमर को और उनकी कमर से सटा दिया।

दादी अब भी नींद में थी। फिर मैंने अपने हाथ को उनकी जांघ से घुमाता हुआ उनकी बूर पर ले गया। फिर मैंने एक तरफ से उनके बूर के पट्टे को थोड़ा ऊपर खींचा जिससे उनके बूर का मुँह एकदम खुल गया। फिर मैंने हिम्मत करके अपना पूरा लंड उनकी बूर में धीरे धीरे घुसा दिया। उनकी बूर में पूरा लंड घुसते ही मेरे शरीर मे कंपकपी होने लगी।

मुझे डर भी लग रहा था कि कही दादी उठ गई और बुरा मान गयी तो मेरा क्या होगा? पर मैंने हिम्मत की और दादी की एक जांघ को अपने हाथ में पकड़े मैं अपना लंड उनकी बूर में घुसाये अपनी कमर आगे पीछे हिला कर उनकी बूर चोदने लगा। ये खेल करीब 10 मिनट चला। फिर दादी की बूर से फच्च फच्च की हल्की आवाज आने लगी।

मैं आवाज सुनकर रुक गया। और अपना हाथ उनकी बूर पर लगा कर देखा तो मेरा पूरा लंड और उनकी बूर पर दादी की बूर का पानी निकला हुआ था। मेरा भी जोश बढ़ गया था। अब मुझे बस उनकी बूर चोदनी थी। मैं किसी चीज की परवाह किये बिना उनकी चुचियों पर अपना मुँह फेरने लगा। और उनकी बूर में अपना लंड भी खिला रहा था।

अचानक मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने दादी की एक चूची के निपल को अपने मुँह में भर लिया और जोश में मैंने ज़ोर से निपल को अपने दांतों से दबा दिया। उसके साथ मेरे लंड का पानी भी उनकी बूर में भर गया। और दादी भी चींखकर उठ गई।

दादी ने अपनी आंखें खोली और मुझे देखा और अपनी चुचियों को ढकती हुई दादी अपना एक हाथ अपने बूर पर ले गयी। और गुस्से से देखते हुए अपनी बूर में से मेरा मोटा लंड बाहर निकाल फेंका और मुझे अपने से दूर झटकती हुई। बोली साले कमीने तुझे शर्म नही आई तू ये क्या कर रहा था। चल अभी तेरे बाप को बताती हूँ।

मैं डर गया मेरा 4″मोटा और 8″ लंबा लंड सिकुड़ कर सिमट गया। मैंने दादी से नज़र चुराते हुए माफी मांगी फिर दादी अपना सर पकड़ कर बैठ गयी। और गुस्से से मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा और खीचते हुए कहने लगी। बहुत गर्मी है ना साले तेरे लंड में फिर अपनी बूर पर नज़र डालते हुए कहने लगी।

कुत्ते इसे कौन तेरा बाप साफ करेगा। उनके बूर पर वीर्य का सफेद पानी फैला हुआ था। मैं डरे सहमे अपने हाथों से उनकी बूर को साफ करने लगा। फिर वो मेरा लंड को खींचने लगी। पता नही इस बार मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मेरे खड़े लंड को दादी ने देख लिया। और गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए बोली। साले आज तेरे लंड की सारी गर्मी को निकाल दूंगी।

मैं उनकी बूर को साफ करने में लगा था। तभी दादी बोली अपनी जीभ से साफ कर साले में भी चुप चाप उनकी बूर को अपनी जीभ से साफ करने लगा। उनकी बूर काफी गर्म थी। मैं उनकी बूर चाट कर साफ कर रहा था। दादी अपनी बूर चटवाते चटवाते बिस्तर पर लेट गयी। और गहरी गहरी सांस लेने लगी।

मैंने भी अपनी जीभ उनकी उनकी बूर के छेद में डाल दी। अब दादी अपने सर को तकीये पर दाएं बाएं घुमाने लगी। और अपनी टाँगे मोड़कर फैला दिए। मैंने जीभ से उनकी झाँटो को भी साफ कर दिया था। तभी दादी ने मदहोश आवाज में कहा बेटा मेरे साथ यही सब करना था तो मुझसे पूछ लेता।

जो हुआ सो हुआ तू ये बात किसी से मत कहना। मैं भी चुप रहूंगी। आजा तू जो करना चाहता था वो करले। मैं समझ नही पाया कि अचानक दादी को क्या हो गया। पर मुझे उनको चोदने की आजादी दादी ने खुद दे दी थी। बस मैं दादी पर कूद गया। और झट से उनके नाइटी का हुक खोलकर उनकी चुचियों को भूखे आदमी की तरह अपने मुँह से चबाने लगा।

मैं एक चूची को अपने मुँह से चूस रहा था तो एक चूची को अपने हाथ से मसल रहा था। दादी की बड़ी बड़ी चूची को निचोड़ कर लाल कर चुका था। फिर मैंने उनको खड़ा किया और उनकी नाइटी खोल दी। दादी बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थी। मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। मैंने दादी को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया।

फिर मैंने अपना लंड हिलाते हुए उनकी एक टांग को टेबल पर रखने को कहा। दादी ने वैसा ही किया अब दादी अपनी टाँगो को फैलाये मेरा लंड अपनी बूर में लेने को तैयार थी। मैंने भी देरी नही की और अपना लंड दादी की बूर के छेद पर लगाई। और ज़ोर से मैंने अपनी कमर चला दी दादी एकदम से आआआह…करती हुई उछल गयी। मेरा लंड भी जड़ तक उनकी बूर में घुस गया। दादी ने कहा आराम से कर कोई नही है यहाँ जब तक तू मुझे चोदेगा मैं तुझसे चुदवाऊंगी।

मैंने दादी के पेट से अपना पेट सटा दिया और दनादन उनकी बूर चोदनी शुरू की दादी भी मेरे मोटे लंड को सहन नही कर पा रही थी। वो आआआह… आआआह.. ओह्ह… धीरेरेरे… आहहहह… बसस्स धीरेरेरेकर न मैं अब बूढ़ी हो चुकी हूँ। इतनी जोर जोर से सहन नही कर पाऊंगी। मैं अपनी रफ्तार धीमी कर दी। अभी भी मेरा सख्त लंड उनकी बूर में धक्के मार रहा था। फिर से दादी की बूर गीली हो गयी।

मैंने दादी का जोश बढ़ाने के लिए मैं उनकी गाँड़ को दोनों हाथों से मसलने लगा। और एक झटके में ही पूरा लंड उनकी बूर में पेलने लगा। फिर मैंने उनकी गाँड़ को सहलाते हुए। अपने दोनों हाथों से उनकी गाँड़ के दोनों हिस्सों को फैलाकर अपनी एक उंगली उनकी गाँड़ में डाल दी। दादी आहहहह… करती हुई मुझे लिपट गयी। मेरा लंड भी उनकी बूर में ही झड़ कर ढीला हो गया।

मेरा ढीला लंड फिसलकर उनकी बूर के बाहर निकल गया। दादी की बूर से मेरा माल बाहर जमीन पर टपकने लगा। हम वैसे ही खड़े रहे फिर मैंने उनकी चुचियों को पीना शुरू कर दिया। उनके निप्पल सख्त हो गये थे दादी की सांसे भी गर्म थी।फिर उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और मेरे लंड की मुट्ठ मारने लगी।

दादी मुट्ठ मारते हुए मुझसे कहने लगी। इतना मोटा लंड है। तेरा तू तो कुवाँरी बूर की धज्जियां उड़ाकर भोसड़ा बना देगा। मैंने मुस्कुराते हुए कहा आज अपनी बूर का भोसड़ा बना दूंगा। मेरी बातें सुनकर दादी हँसने लगी। बोली तुझे ये मौका 40 साल पहले मिलना चाहिए था। उस वक़्त मेरी बूर कुवाँरी थी। पर साले तूने तो मेरे भोसड़े की ऐसी तैसी कर ही दी है।

मैंने कहा अभी अब आपकी बूर की असली चुदाई होगी। आज आपको अपने लंड की दीवानी बना दूंगा आप रोज मेरे लंड से अपनी बूर चुदवाने को तड़पोगी। ऐसा कहकर मैं ज़ोर से उनकी चुचियों को अपने दाँतो से चबाने लग गया। फिर मैंने अपना लंड उनकी गाँड़ पर फिराने लगा। जैसे ही मैंने उनकी गाँड़ की छेद में लंड को धकेला दादी ने मेरे लंड को अपनी गाँड़ से हटा दिया।

अपनी बूर पर लंड सटाते हुए बोली आज बस तू मेरी बूर चोद मेरी बूर की तड़पन दूर करदे कई सालों से मेरी बूर चुदी नही है। मेरी गाँड़ तू कभी और मार लेना। मैंने भी अपने लंड से उसकी बूर को कसके रगड़ने लगा। दादी भी ओह्ह…ओह्ह…ओह्ह… करने लगी। फिर से मैंने दादी की बूर की गहराई में अपने लंड को धकेल दिया।

और उन्हें गोद मे उठा लिया। दादी भी मेरे गले मे अपने हाथ फंसा कर मेरी गोद में आ गयी। मैं खड़े खड़े लंड को दादी की बूर में घुसाने लगा। दादी भी भूखी शेरनी की तरह मेरे लंड को अपनी बूर में उछल उछल कर चुदवाने लगी। मैं उनकी बड़ी गाँड़ को अपनी उंगलियों से मसलने लगा। करीब 10 मिनट तक मैंने उनको अपनी गोद में उछाल उछाल कर चोदा।

फिर मैंने उनको बिस्तर पर लिटा दिया। और उनकी दोनों टाँगो को अपने हाथों से पकड़कर ऊपर उठा दिया। अब उनकी जांघो के बीच दबी बूर बहुत सेक्सी लग रही थी। फिर मैंने अपना मोटा तगड़ा लंड उनकी बूर के होठों के बीच फँसा दिया और एक ही झटके में दादी की बूर में अपना लंड घुसा दिया। दादी की बूर उनके जांघो से दबने से मेरा लंड एकदम टाइट जा रहा था।

अब मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था मैंने अपनी बाँहों से उनकी जांघो को जकड़ कर दबा दिया जिससे उनकी बूर उनकी जांघो से और भी दबने लगी। और मेरे लंड पर भी दबाव पड़ने लगा। ऐसा लग रहा था कि किसी औरत की टाइट बूर है। मैंने दादी की उस बूढ़ी बूर में दनादन अपना लंड घुसाने लगा।

दादी आआआह…..आआआह….रे रे रे …मर गई ई ई ई … आराम से चोद न साले मुझ बुढ़िया पे रहम कर आआआह…ओह्ह ओह्ह इसस्स इसस्स उफ्फ्फ…. आआआह.. मैंने और ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया। लगातार लंड से जबरदस्त रागड़ाव से उनकी बूर की ऊपरी चमड़ी गुलाबी से लाल हो चुकी थी। 20 मिनट की चुदाई से दादी झड़ गई।

फिर मैंने उनकी टाँगो को बिस्तर पर फैला दिया और उनके टाँगो के बीच बैठकर फिर से अपना लंड उनकी बूर में डाला और उनकी एक टांग को अपने हाथ में फंसाकर उनके ऊपर कर दी। फिर मैं उनके बदन से चिपक के उनके ऊपर लेट गया। और उनकी निप्पलों को दाँतो से खींचने लगा। जब वो थोड़ी गर्म होने लगी तो मैंने झट से अपने होठों को उनके होंठो पर रख उनके होंठो को चूसने लगा।

दादी तेज़ी से सांस लेने लगी। उनकी चुचियाँ मेरे सीने से दबी उनकी निपल्ले मेरी सीने पर चुभने लगी। मैंने उनकी टाँगो को को और ऊपर करके अपने कंधे के नीचे दबा लिया। और धीरे धीरे अपने लंड को उनकी बूर में पेलने लगा। दादी की बूर में सूझन होने लगी थी। उनकी बूर वल्वा (होंठ) फूल चुकी थी। मेरे लंड के रगड़ने से उसकी बूर में काफी दर्द हो रहा था।

पर कुछ देर बाद दर्द कम हुआ मैंने चुदाई में थोड़ी तेज़ी करदी मैं तेजी से उनके बूर में लंड पेलने लगा। दादी दर्द से बाआआपरे रे… अईईनहीई ईई.. चिल्लाने लगी। मेरा लंड उनकी बूर की अंदर दीवारों को रगड़ता फाड़ता अंदर टकरा रहा था। अब मेरा लंड और दादी की बूर पर पानी फैल चुका था। दादी की बूर में मेरा लंड अंदर बाहर होकर वीर्य का झाग बना चुका था। जो मेरे लंड और उनकी बूर पर फैल कर लग गया था।

दादी अपना पानी दो बार झाड़ चुकी थी। मैं उन्हें लगातार आधे घंटे से चोद रहा था। अब उनकी कमर में भी दर्द होने लगा था। मैं भी जल्दी झड़ने वाला था तो मैंने अपने आखिरी धक्के दम लगा कर उनकी बूर में अपना लंड डालने लगा दादी चिल्लाने लगी। दादी की आँखों से आँसू तक निकल रहे थे। पर मैं नही रुका और झड़ने तक मैंने अपने लंड का पूरा दम लगाकर उनकी बूर फाड़ता रहा। 10 से 15 धक्कों के बाद मेरे लंड ने सारा गाढ़ा वीर्य दादी की बूर में उगल दिया।

अपना सारा पानी दादी की बूर में झाड़ने के बाद मैं उनके बगल में लेट गया। और पता नही कब सो गया। दादी भी बुरी तरह चुदने के बाद थक गई थी। वो भी सो गई करीब रात के 3 बजे जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा दादी अपनी दोनों टाँगो को फैलाकर नींद से सो रही थी। जब मैंने उनकी बूर को देखा तो उनकी बूर पावरोटी की तरह फूल कर लाल पड़ी थी।

जब सुबह मेरी नींद खुली तब दादी पहले से ही उठ चुकी थी। मैं उन्हें ढूंढता हुआ उनके पास पहुँचा तो उन्होंने मेरी कान खीचते हुए अपनी साड़ी उठाकर अपनी सूझी हुई बूर दिखा कहने लगी ये कैसे कुत्ते तूने मेरी बूर को कितना सुझा दिया है। मेरी बूर में बहुत दर्द हो रहा है। मैंने मस्ती में कहा चलो एक बार और हो जाये वो हुई बोली हट बेशर्म दिन में कोई आ जाएगा।

और तू इस हालत में मेरी सूझी हुई बूर चोदेगा तो मैं मर ही जाऊंगी। भले आज रात तू कुछ और माँगेगा तो वो तुझे मिलेगा पर बूर में नही करने दूंगी। मैंने कहा ठीक है आज रात में मैं आपकी गाँड़ मरूँगा। तेल लगा कर तैयार रहना दादी शर्माते हुए बोली ठीक है।

अगली कहानी में दादी की गाँड़ की चुदाई बताऊँगा की कैसे मैंने दादी की गाँड़ मारी जानता हूँ कि ये कहानी थोड़ी लंबी हो गयी है। आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरी ये कहानी पसंद आई होगी।

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