दादी को मैं रातभर चोदता रहा।

काश! मैंने पहली बार सेक्स किया वो भी अपनी सगी दादी के साथ ऐसी दादी सबको मिले जब मैंने दादी की चुत में पहली बार अपना जवान लंड डाला तो दादी ने अपनी आंखें बंद करली। और सम्भोग का आनंद लेने लगी। चलो अब कहानी पर आते है। ये कहानी आप सेक्सी कहानी पर पढ़ रहे है।

मेरी दादी की उम्र 60 साल की होगी। वो सरकारी दफ्तर में काम किया करती थी। 1 साल पहले ही वो रिटायर्ड हुई थी। वो देखने में बहुत सूंदर और मिलनसार किस्म की औरत है। दादी अपने शरीर का ख्याल रखती थीं। इसलिए वो सूंदर दिखती थी। दादा जी की मौत को सालों बीत चुके है।

उनकी छातियों का साइज 36D है। वो कभी कभार ही ब्रा पहना करती थी। गोरी चिट्टी बड़ी गाँड़ वाली औरत देखकर अभी भी किसी बुड्ढे का लंड दादी को चोदने के लिए तैयार हो जाता। दादी अपनी साड़ी पेट के नीचे ही बांधती थी। जिससे उनका गोरा सा पेट और गहरी नाभि साफ झलकती है। देखने में दादी मेरी माँ से भी मॉर्डन लगती थी।

बात ऐसी है। कि घर में सिर्फ 4 लोग ही रहते थे। दादी और मेरे बीच सम्भोग का रास्ता ऐसे बना। एक दिन पाप का दूसरे शहर में तबादला हो गया। पापा के साथ माँ को भी जाना पड़ा अब माँ पापा दूसरे शहर में रहने वाले थे। उनके वहाँ जाने से सब दुःखी थे।

पापा और माँ जा चुके थे। घर में सन्नाटा हो चुका था। दादी और मैं शाम को बैठकर टीवी देख रहे थे। पता नही कब अंधेरा हो गया दादी रात का खाना बनाने लगी। हम दोनों रात का खाना खा चुके थे। मैं अपने कमरे में सोने चला गया। दादी भी अपने कमरे में सोने चली गयी।

मेरा मन अभी भी उदास था। और बार बार माँ, पापा की याद आ रही थी। मैं उठकर दादी के कमरे में चला गया। दादी भी अभी सोई नही थी। मुझे अंदर आते देख दादी ने मुझे कहा क्या बात है रवि। मैंने कहा मुझे माँ , पाप की याद आ रही है। तो दादी बोली आ जा मेरे पास लेट!

मैं उनके पास लेट गया। दादी मेरे बालों को सहलाने लगी। बोली तू 20 साल का जवान मर्द होकर रोता है। दादी बोली तेरी माँ क्या तुझे दूध पिलाती है जो तू उसे याद कर रहा है। मैं मुस्कुराने लगा। और चुप हो गया। तभी मैंने दादी से कहा दादी मुझे अपना दूध पिलाओ ना। वो मजाक समझ कर बोली हट पगले और हँसने लगी।

मैं थोड़ा लाड़ दिखा कर बोलने लगा। तो दादी ने कहा रुक पिलातीं हूँ। तो दादी ने अपनी ब्लाउज के नीचे के दो हुक खोले और नीचे से अपनी एक चूची को खींचकर निकाला और अपनी दो उँगलियों के बीच अपनी निपल्ल को दबाकर मेरे मुँह के पास बढ़ाते हुए बोली ले।

मैं भी उनके निपल्ल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मैं बिल्कुल बच्चे की तरह उनके दूध को पीने लगा। थोड़ी देर बाद दादी ने अपनी चूची पर से अपनी उंगलियों को हटा दिया। और अपनी चुचियों को मेरे चेहरे के और सामने कर दी। ताकि मैं और अच्छे से उनके निपल्ल को चूस सकू।

अभी भी दादी की चूची उनके ब्लाउज से थोड़ी सी ही बाहर थी। फिर मैंने अपने हाथ ऊपर करके उनकी उस चूची पर से ब्लाउज हटा कर ऊपर कर दिया। अब दादी की चूची की गोलाई पूरी बाहर आ गयी। मैं दादी की चूची के ज्यादा से ज्यादा भाग को मुँह में भरने लगा। दादी मेरी पीठ सहला रही थी।

दादी की चुचियों पर थोड़ी सिलवटे (झुर्रियां) थी। मगर उनके निप्पल काले और बड़े थे। उनके निप्पल एकदम जामुन की तरह काले और राशिले लग रहे थे। मैं उनकी चूची को मज़े से पी रहा था। तभी मेरा हाथ उनकी दूसरी चूची पर पड़ गया। मैंने उनकी उस चूची को भी ब्लाउज से बाहर निकाल दिया।

दादी ने मुझे रोका नही। पता नही मुझे क्या हो गया। मेरा लंड सख्त हो रहा था। मैं दादी की चूची पर दांत मारने लगा। दादी की मुँह से आशहह.. आन्ह.. की आवाज निकलने लगी। दादी कहने लगी। हो गया पी लिया ना तूने मन भर दूध अब छोड़ मुझे पर मैंने दादी की दूसरी चूची के निप्पल को भी अपने मुँह में भर कर पीने लगा।

मैं अब दादी की चूची को किसी बच्चे की तरह नही किसी मर्द की तरह निचोड़ रहा था। दादी बार बार मुझे उनके दूधो को छोड़ने के लिए कह रही थीं। मैं दादी की चुचियों को मसलने लगा। दादी हँसकर बोलने लगी। क्या कर रहा है। बेटा!

मैं दादी को पीठ के बल लेटा कर उनके ऊपर चढ़ गया। मैं दादी की जाँघों के ऊपर बैठ गया। और झुककर अपना मुँह उनकी चुचियों पर लगा दिया। फिर उनकी चुचियों पर टूट पड़ा। मेरा लंड भी खड़ा होकर दादी की चुत पर गड़ने लगा। अब दादी भी समझ गयी थी। कि मेरा लंड खड़ा होकर उनकी चुत पर गड रहा है।

दादी अब चुप हो गयी। और मुझे एक टक देखने लगी। मैं उनकी ब्लाउज को पूरा खोलकर निकाल दिया। फिर मैं दादी की चुचियों की गोलाई के चारो तरफ और चुचियों को चूमने लगा। और बीच बीच मे दादी की चुचियों के गोलो को अपने होठों से खींचने लगा।

दादी चुपचाप मुझे सब करने दे रहीं थीं। उनकी चुचियों को चुमने चाटने के बाद मैं उनके ऊपर लेट गया। और अपना एक हाथ अपने पेट के नीचे से सरकाते हुए उनके पेट पर मलने लगा। मेरा लंड अब मेरी पैंट में सीधा हो चुका था। और दादी की चुत को साड़ी के ऊपर से ही रगड़ता हुआ। उनकी नाभि तक पहुंच गया था।

दादी की चुत से भी निकलती हुई गर्म भाँप मेरे लंड पे लग रही थी। पर मैं धीरे धीरे दादी की पेट को सहलाता हुआ उनकी नाभि तक पहुंच गया। जब मैंने दादी की नाभि में अपनी उंगली डाली तो एक अजीब सी लहर मेरे अंदर उठने लगी। दादी ने भी गहरी सांसे लेते हुए अपनी आँखें बंद कर चुकी थी।

दादी की गहरी नाभि में मेरी आधी उंगली घुस चुकी थी। फिर मैं दादी के ऊपर से हट गया। दादी के बगल में लेट कर उनके कोमल गोरे पेट पर अपने हाथ से सहलाने लगा। और उनकी बड़ी बड़ी गोल चुचियों को चूसने लगा। उनके कोमल पेट पर हाथ फेरने से मेरे लंड ने पैंट में ही पानी छोड़ दिया।

मेरा लंड दादी की जाँघों को छेदता हुआ उनकी जाँघों में धस रहा था। मैं आराम से दादी की चुचियों को पिये जा रहा था। जब मेरे दाँत दादी के निप्पलों पर गड रहे थे। तो दादी इस्स स… करके मेरे गालो पर अपने हाथ रखकर अपनी चुचियों को पकड़ ले रही थी।

फिर मैंने दादी का पेट सहलाते हुए अपना हाथ उनकी कमर के ऊपर से उनकी साड़ी में डाल दिया। हाथ अंदर डालते ही दादी का पेट तेज़ सांसे लेने की वजह से ऊपर नीचे होने लगा। और अंदर हाथ डालने पर दादी की घुंघराली झाँटे उँगलियों से टकराने लगी। दादी के दोनों जाँघे आपस मे सटी हुई थी।

जैसे ही मैंने अपना हाथ उनकी चुत पर लगाया। तो पता चला कि दादी की चुत एकदम गर्म हो गयी थी। और जैसे ही मैंने अपना हाथ दादी की जाँघों के बीच घुसाया दादी ने अपनी दोनों जांघो को थोड़ा फैला दिया। और अपनी चुत तक मेरा हाथ पहुंचने का रास्ता दे दिया।

अब मेरी उंगली अजीब सी गीली चुत के बाहर लटकती हुई चमड़ी से टकराने लगी। वो चमड़ी एकदम गीली और चिपचिपी हो चुकी थी। दादी अपनी आँखें बंद करके लेटी पड़ी थी। फिर मैं उठकर खड़ा हुआ और अपने सारे कपड़े उतार दिये। और अपना नंगा लंड हाथ में पकड़ कर दादी के बगल में लेट गया।

दादी हल्की आँखे खोलकर चोरी से मेरे लंड को देख रही थी। जब मैं उनके तरफ देख रहा था। तो वो अपनी आँखें बंद कर ले रही थी। मैंने दादी के पैरों के पास से साड़ी पकड़ी और उनकी साड़ी उठा कर उनकी कमर पर कर दिया।

अब मुझे दादी की चुत की झाँटो के बीच उनके चुत की रेखा दिख रही थी। दादी ने अपने दोनों जांघो को फिर आपस मे चिपका दिया था। मैं दादी के जाँघों पर हाथ फेरते हुए उनकी जाँघों को मसलने लगा। दादी की गदराई हुई मोटी जाँघे बिलकुल नरम और गोरे थे।

मैं दादी के सीने के दोनों तरफ पैर किये घुटनों के बल दादी के सीने पर बैठ गया। और अपना तना हुआ लंड उनकी चुचियों के बीच रख दिया और दादी के दोनों बड़े बड़े चुचियों को अपने दोनों हाथों से दबाते हुए। लंड को दादी के चुचियों के बीच आगे पीछे सरकाने लगा। दादी के मख़मली रुए जैसे चुचो के रागड़ाव से मेरा लंड और ज्यादा तन कर टाइट हो गया।

दादी की चुचियों के बीच अपना लंड रगड़ते हुए मैं दादी के दोनों निपल्लो को अपनी चिमटी से मसल रहा था। दादी मस्त हो रही थी पर वो कुछ बोल नही रही थी। बस अपनी आंखे खोल बंद कर रहीं थीं। मेरे लंड से पानी जैसा निकलने लगा था। पर मैंने अपना एक मुट्ठी का मोटा लंड चुचियों में से हटा दिया।

फिर मैं दादी के जांघो पर बैठ गया। और दादी के ऊपर लेट कर मैंने अपना मुँह दादी के चुचियों के बीच वाले भाग में रख दिया। और अपने दोनों हाथों से उनकी दोनों चुचियों को अपने गालों पर दबाने लगा। और चुमने लगा।

इधर मेरा लंड दादी की चिपकी हुई जाँघों के बीच फंसकर बिस्तर पर सीधा टकरा रहा था। अचानक दादी ने अपनी जाँघे थोड़ी खोली तो मेरा लंड एकदम सीधा होकर उनकी चुत के होंठो के बीच टकरा गया। अचानक ऐसा होने से मैं अपने आप को संभाल नही पाया। पहली बार मेरा लंड किसी चुत को चूम रहा था।

हड़बड़ाहट में थोड़ा ऊपर खिसक गया। जिससे मेरा दमदार लंड दादी की चुत में फिसल गया। मुझे कुछ समझ नही आ रहा था। पर वो गजब का एहसास था। लंड अंदर चुत में जाते ही दादी के मुँह सेउम्म अहह की आवाज निकल गयी। मैं समझ नही पाया कि क्या हुआ है।

तो मैं दादी के ऊपर से उठा जैसे ही मेरी कमर दादी के कमर से ऊपर हुई। तो मैंने देखा कि मेरा लंड आधा दादी की चुत में समा गया था। मैं वैसे ही हवा में अपनी कमर उठाये था। और आधा लंड दादी की चुत में घुसाये दादी के चेहरे को देख रहा था। दादी की आँखे हल्की से खुली हुई थी। दादी कुछ बोल भी नही रही थी।

मेरा लंड उनकी चुत में झटके खाने लगा। जिससे मैं बहक गया। और बचा हुआ लंड का हिस्सा भी दादी की चुत में धकेल दिया। जैसे ही बचा हुआ लंड चुत में घुसने लगा। दादी की चुत से फच्च फच्च की आवाज के साथ चुत की हवा भी बाहर आने लगी।

जब मेरा पूरा लंड दादी की चुत में घुस गया। तो दादी ने अपने दोनों पैर घुटनों से मोड़ कर फैला दिये और मुझे उनकी टाँगो के बीच मे ले दिया। जब मेरा लंड दादी की चुत में पूरा समा गया। तो दादी की चुत बहुत हसीन लगने लगी थी।

मैं अपने पंजो के सहारे कमर से ऊपर के शरीर को हवा में उठाये दादी के ऊपर उनकी चुत में लंड घुसाये हुआ था। अब मुझे चुत का नशा चढ़ने लगा था। मैं धीरे धीरे अपने कमर को उठा उठा कर दादी की चुत में लंड घुसाने लगा। मैंने दादी की चुचियों को इतना मसला था कि दादी मस्त हो चुकी थी।

दादी की गीली रशिली चुत में घुसते जवान लंड ने रफ्तार पकड़ ली थी। अब हर धक्के में दादी बिस्तर पर ऊपर नीचे हिलने लगी साथ ही दादी की बड़ी बड़ी चुचियाँ ऊपर नीचे बाउंस करने लगी। मैंने आज तक कभी किसी औरत को नही चोदा था। ये मेरा पहला चुदाई का अनुभव था।

मैं तेज़ी से दादी की चुत की चुदाई करने लगा जब मेरा लंड दादी की चुत में अंदर बाहर जाता तब तब उनकी चुत से फच्चर फच्चर फच्च फच्च फच्च फच्चर की आवाज आने लगी। इतने सालों के बाद दादी की चुत चुद रही थी। इतने ही में दादी की चुत से ढेर सारा सफेद पानी बहने लगा।

मैं भी रुक गया और अपना लंड दादी की चुत से बाहर निकाल लिया। लंड चुत से निकलते ही चुत से और तेज़ी से वीर्य की धार बाहर निकलने लगी। हर धार के साथ दादी की चुत से फर्रर्रर्र.. फच्च.. की आवाज निकलती।

दादी की चुत से इतनी तेज धार बाहर आ रही थीं कि उनकी चुत से निकला सफेद पानी 1 फ़ीट दूर तक पिचकारी मरता हुआ बाहर उनकी चुत पर फैल उनकी गाँड़ की दरार से भी बह रहा था। जब मैंने दादी की तरफ देखा तो वो अपनी चुचियों को मसलते हुए ज़ोर ज़ोर की सांसो के साथ आन्ह आन्ह आन्ह आह आह कर रही थी।

और उनकी चुत का छेद अभी भी फैल सिकुड़ रहा था और सफेद पानी निकाल रहा था। मैंने दादी के चुत से निकले सफेद गाढ़े पानी को अपने लंड पर माल लिया। और दादी की एक जांघ को ऊपर उठता हुआ।

अपना लंड उनकी चुत में लगाने लगा जब लंड उनकी चुत के छेद पर टिक गया। तो मैंने धीरे धीरे अपना लंड आधा उनकी चुत के अंदर कर दिया। एक धक्के के साथ बचा हुआ लंड पूरा उनकी चुत में घुसेड़ दिया। धक्के से दादी की मुँह खुली की खुली रह गयी। मैंने खूब देर तक दादी को चोदा और दादी की चुत को अपने लंड से अस्त व्यस्त कर दिया। मतलब मैंने दादी की चुत पे अपने लंड की मुहर लगा दी।

बीच मे एक दो बार रुक कर मैं बिना झड़े दादी की चुत को एक घंटे से चोद रहा था। आखिर में मैं झड़ने वाला था। मुझे कुछ समझ नही आया कि मेरा जोश और बढ़ गया। जब लगा कि मेरे लंड से कुछ निकलने वाला है तब तक देर हो चुकी थी। जैसे ही मेरे लंड ने दादी की चुत में पिचकारी मारी मैं दादी के सीने पर लेट गया।

अपना सारा माल दादी की चुत में ही गिरा दिया मैं डर गया था। की कही दादी माँ न बन जाये जब मैं पूरा झड़ कर सांत हो गया। तो मेरे लंड की कड़कपन खत्म हो गया और मेरा लंड अपने आप दादी की चुत से बाहर निकल गया। मैंने आहिस्ते से दादी के कान में कहा दादी अंदर ही निकल गया। आप माँ तो नही बनोगी। दादी ने ना में सर हिलाते हुए मेरा फिक्र दूर कर दिया।

सुबह के 4 बज चुके थे पता नही कब नींद आ गयी। जब मेरी नींद खुली तो देखा कि सुबह के 8 बज चुके थे। और मैं और दादी नंगे साथ मे लेटे हुए थे। दादी मुझसे चिपक कर सोई हुई थी। और दादी की एक जांघ मेरी कमर के ऊपर से होती हुई दूसरी ओर थी। उनकी लंबी बड़ी चुत ठीक मेरे लंड के ऊपर फिर क्या मेरा लंड फिर तैयार हो गया।

मैंने वैसे ही दादी की चुत फिर से अपना लंड घुसा दिया।दादी अभी भी नींद में थी। नींद में ही दादी की चुत को चोदकर फिर अपने लंड का सारा पानी उनकी चुत को पिला दिया। उसदिन दिनभर हमने एकदूसरे से नज़रे नही मिलाई। पर मेरे अंदर का शैतान दादी की चुत का पीछा कहाँ छोड़ने वाला था। वो सब फिर हुआ और अब तक होता है।

तो दोस्तों आप ये कहानी सेक्सी कहानी पर पढ़ रहे है। उम्मीद करता हूँ। आप सब को ये कहानी पसंद आई होगी।

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